15th August
विमर्श

Special on 15th August : राष्ट्र का शान व स्वाभिमान है हमारा राष्ट्रीय झंडा

Special on 15th August : सोनपुर कोर्ट : यह सर्वविदित है कि राष्ट्रीय झंडा हमारी स्वतंत्रता और संप्रभुता का प्रतीक है । कोई भी व्यक्ति , निजी संगठन अथवा शैक्षणिक संस्थान गौरव और सम्मान के साथ प्रतिदिन या किसी विशेष अवसर पर राष्ट्रीय झंडे को फहरा सकता है । स्वतंत्र भारत के अपने प्यारे राष्ट्र ध्वज ‘ तिरंगा ‘ को वर्तमान में हम जिस रूप में देख रहे है , उस रूप में आने में करीब 120 वर्षों से अधिक का समय लगा है।

राष्ट्रीय ध्वज सर्वप्रथम परिकल्पना मैडम भीखा जी रुस्तम कामा ने की थी और सन् 1905 में जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में निर्वासित क्रांतिकारियों के सहयोग से इसे फहराया गया था। इसको भारतीय आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला पहला ध्वजारोहण माना गया। इस झंडे में तीन पट्टियां थी- लाल, पीली और हरी। सबसे ऊपर की लालपट्टी में सफेद कमल के साथ सात तारे आकाशगंगा के रूप में बने थे। बीच की पीली पट्टी में देवनागरी लिपि में ‘वंदे मातरम’ लिखा था। नीचे की हरी पट्टी में बाई ओर सूर्य तथा दाहिनी ओर चांद तारा बना था।

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लोगों की ऐसी धारणा है कि मुंबई की पारसी वीरांगना मैडम भीखाजी कामा राष्ट्रध्वज की जनमात्री है। पेरिस में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मैडम भीखाजी जी कामा बोलने के लिए पहुंची हुई थी। मंच पर जब बोलने के लिए उपस्थित हुई, तो उनसे अपने देश के झंडे के बारे में पूछा गया। उस समय संपूर्ण भारत में इंग्लैंड का यूनियन जैक ही हवा में लहराता था। भीखाजी कामा ने तिरंगा को लहराते हुए कहा कि यही हमारा देश का झंडा है। यही से तिरंगा का सफर शुरू हुआ। इसमें हरा पीला और लाल रंग था।

होमरूल आंदोलन में एनी बेसेंट और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने एक और झंडे का स्वरूप पेश किया। उसमे ऊपर वाले कोने में यूनियन जैक था। यूनियन जैक उन दिनों भारतीय जनमानस में ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत होमरूल अर्थात स्वशासन की मांग का प्रतीक था। झंडे के बाकी हिस्से में बारी-बारी से लाल तथा हरी पट्टियां भी जिनपर बीच में आकाशगंगा फैली थी और नीचे दाहिने कोने में चांद तारा बना था।

वर्तमान में जो राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराया जाता है इसका वृहद इतिहास है। कई तरह के प्रस्ताव आए और उसपर विचार हुए। 22 जुलाई 1947 को भारतीय ध्वज के रूप में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया, जिस पर संपूर्ण चरखा के जगह पर 24 तीलियों वाले अशोक चक्र को स्थान दिया गया। जिसे राष्ट्र ध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया गया।

इस चक्रांकित तिरंगे ध्वज को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सर्वप्रथम 15 अगस्त 1947 को दिल्ली के लाल किला के प्राचीर पर फहराया। हमारे राष्ट्रध्वज ‘तिरंगा’ है। इसमें सबसे ऊपर केसरिया रंग साहस व त्याग का प्रतीक, बीच का सफेद रंग आस्था और सदभाव का प्रतीक है। हमारे राष्ट्रध्वज ‘तिरंगा’ से संबंधित कुछ नियम है। उन नियमों की अवहेलना दंडनीय अपराध माना गया है।

सन् 1971 में बने एक कानून के अनुसार सार्वजनिक रूप से ध्वज फाड़ने, बिगाड़ने, दूषित करने, विकृत करने, नष्ट करने या किसी अन्य कारण से निरादर करने के दोषी व्यक्ति को 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा देने का प्रावधान बनाया गया। राष्ट्रीय ध्वज को सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराना जाना चाहिए। जहां तक संभव हो झंडा भारतीय ध्वज संहिता 2002 के भाग-1 में उल्लेखित विनिर्देशो अनुरूप होना चाहिए।

राष्ट्रीय झंडे प्रतिदिन केवल लोकसभा, राज्यसभा,सर्वोच्च न्यायालय, सीमा चौकियों, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल और उपराज्यपालो के राजकीय निवास पर फहराया जा सकता है। भारतीय नागरिक होने के कारण हर व्यक्ति का कर्तव्य बनता है कि अपने प्यारे राष्ट्रीय ‘तिरंगे’ झंडे का सम्मान करें साथ ही साथ इससे संबंधित नियमों का पालन और आदर करें।

इस वर्ष 15 अगस्त (15th August ) को पूरे भारतवर्ष में अमृत महोत्सव के रूप में स्वतंत्रा दिवस विधि विधान के साथ मनाया जा रहा है। इस राष्ट्रीय महापर्व के पावन अवसर पर सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी कार्यालयों,प्रतिष्ठानों, ग्राम पंचायतों, स्कूल ,कालेजों के साथ ही साथ सर्वत्र सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय झंडे फहरा कर वहां के प्रमुख झंडे की सलामी देगे तथा सामूहिक गान प्रस्तुत करेंगे — जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता ।ब

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.