district administration chhapra : छपरा में इन दिनों एनजीटी के आदेश पर खनुआ नाला पर बनी दुकानों को तोड़ने का आदेश जिला प्रशासन के द्वारा दिया गया हैं और जिला प्रशासन लगातार खनुआ ओर बने दुकानों पर लगातार बुलडोजर चला कर ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। पहले चरण में दो दुकानों को हटाया गया था उसके बाद दूसरे चरण में 20 दुकानों को तोड़ दिया गया। इस प्रकार अभी तक 22 दुकानों को जिला प्रशासन ने तोड़ दिया है।
वही इसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय से सटे नगर निगम मार्केट में बनी 65 दुकानों को 13 सितंबर तक खाली करने का नोटिस जारी किया गया है जिसको लेकर स्थानीय दुकानदारो में हड़कंप मचा हुआ है और इन दुकानदारो ने अपना सामान जल्द से जल्द हटाना शुरू कर दिया है। इस प्रकार एक तरफ जहां छपरा में खनुआ नाला पर से दुकानें हटाने की प्रक्रिया शुरु हो गयी है। वही इससे बहुत हद तक शहर में जल जमाव की समस्या का खात्मा हो जाने की उम्मीद है। लेकीन इन उम्मीदों से बढ़ कर यहां क़े दुकानदारो के सामने भुखमरी की समस्या भी उत्पन्न हो गयी है और इतने सारे दुकान दारो के सामने बेरोजगारी की समस्या भी मुह बाए खड़ी है।
district administration chhapra : वही शहर के ह्र्दय स्थली में अवस्थित यह मार्केट कल की तारीख में मलवे के ढेर में बदल जायेगा और कई के सामने कल रोटी और निवाले का भी संकट खड़ा होगा।। वही इन दुकानदारो को कही पुनर्वास करने की दिशा में भी जिला प्रशासन और राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिये। लेकिन इनकी ओर कोई भी देखने को तैयार नही है। वही छपरा में अपने सरकारी दौरे पर आए उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद के सामने इस संवाददाता ने प्रमुखता से रखा था। और इन दुकान दारो को पुनर्वास करने की दिशा में उप मुख्यमंत्री ने आश्वासन भी दिया था की विस्थापित दुकान दारो के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
क्या हैं पूरा मामला
छपरा में टोडरमल के समय मे छपरा शहर के मध्य मे सामान को लाने ले जाने वाले एक नहर का निर्माण किया गया था जिसमे नाव चला करता था और परिवहन का एक साधन भी था। समय के साथ साथ यह नहर एक गंदे नाले में तबदील हो गया। उसके बाद जिला प्रशासन ने वर्ष 1995 में इस नाले पर 286 दुकानों का निर्माण करा कर लोगों को एलाट कर दिया। उसके बाद इस नाले का प्रवाह अवरुद्ध हो गया और छपरा शहर में भयंकर जल जमाव शुरू हो गया उसके बाद स्थानीय लोगो ने कोर्ट कचहरी की शरण ली। उसके बाद एनजीटी का आदेश आया कि खनुआ नाले को उसके वास्तविक स्वरूप में लाया जाए। उसके बाद यह कार्रवाई की जा रही हैं। लेकिन शहर की साफ सफाई के नाम पर तो यह ठीक है इसके पुननिर्माण में जो दुकान दार विस्थापित हुए है वह अतिक्रमण कर के वहा स्थापित नही हुए है उन्हें बकायदा एलाट किया गया हैं लेकिन इन दुकान दारो के सामने बसने और उजड़ने की बारी एक बार फिर आ गयी है।