मोतिहारी,संवाददाता। जेपी उर्फ जयप्रकाश नारायण लोक नायक और महानायक थे, जिन्होंने आजादी के पहले और आजादी के बाद भी आंदोलनों की अगुवाई की। संपूर्ण क्रांति का नारा दिया और व्यवस्था परिवर्त्तण के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए इंदिरा गांधी जैसी आयरन लेडी को सत्ता से बेदखल तक कर दिया। ये बातें ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने जीकेसी व्याख्यान माला के तहत मोतीहारी में लोकनायक जयप्रकाश नारायण पर आयेजित व्याख्यान कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि देश में आजादी की लड़ाई से लेकर वर्ष 1977 तक के तमाम आंदोलनों की मशाल थामने वाले जेपी अपने विचारों, दर्शन तथा व्यक्तित्व से देश को एक नई दिशा दी। श्री प्रसाद ने आज जीकेसी की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव पर कायस्थ रत्न रणबांकुरों और अमर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धापूर्वक याद किया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मौके पर जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने कहा कि उनके आन्दोलनकारी रूप से तो सभी परिचित हैं। सभी यह भी जानते हैं कि वो एक महान त्यागी भी बलिदानी भी थे। तभी वह प्रधानमंत्री के पद का भी त्याग किया। लेकिन उनके ब्रह्मचर्य रूप को बहुत ही कम लोग जानते हैं। उन्होंने अपनी पत्नी प्रभावती के लिए जब ब्रह्मचर्य का व्रत लिया तो उसका भी उन्होंने पालन किया। वो वास्तव में राजनीति के नायकों में अपना अलग स्थान रखते हैं।
अपने व्याख्यान में जीकेसी बिहार की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा कि जीवनभर संघर्ष करने वाले और इसी संघर्ष की आग में तपकर कुंदन की तरह दमकते हुए समाज के सामने आदर्श बन जाने वाले प्रेरणास्त्रोत थे लोकनायक जयप्रकाश नारायण। उन्होंने दिनकर कि पंक्ति सिंहासन खाली करो कि जनता आती है को भलि भांति-चरितार्थ किया।1974 में उन्होंने जनता के देश की सत्ता बदल दी।
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जीकेसी मीडिया सेल के प्रदेश महासचिव मुकेश महान ने अपने व्याख्यान में जेपी से संबंधित अनछुए पहलु को जोड़ते हुए कि अगर आज बिहार का स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तीत्व है तो सिर्फ और सिर्फ जयप्रकाश नारायाण की बदौलत है। डा. सच्चिदानंद सिन्हा ने अपने आंदोलन की बदौलत बिहार को बंगाल से अलग करवा कर स्वतंत्र राज्य तो बनवा दिया था लेकिन आजादी के बाद एक समय ऐसा भी आया था। जब पश्चिम बंगाल और बिहार विधान सभा में बंगाल में बिहार विलय का प्रस्ताव पारित कर दिया गया था। प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू जी को पश्चिम बंगाल के तब के मुख्यमंत्री इसके लिए सहमत भी कर लिए थे। तब जयप्रकाश नारायण ने दोनों प्रदेशों के प्रस्ताव को वापस करवाया था और तब बिहार स्वतंत्र राज्य बना रहा ।
मौके पर इंजीनियर अजय कुमार आजाद ने कहा कि एक चिंगारी पूरे जंगल को जला सकती है। इस कथन को जयप्रकाश नारायण ने साबित कर दिया। वो व्यवस्था परिवर्तण के लिए अकेले चले थे , कारवां जुड़ता गया और फाइनली सत्ता बदल गई।
व्याख्यान के पहले भगवान चित्रगुप्त को पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। पुष्पांजलि के बाद किशिन श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। मौके पर संजय श्रीवास्तव, बलराम, बब्बू जी डब्लू जी , राजेश कुमार संजू, शैलेश कुमार, प्रियरंजन समेत कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का समापन संजय श्रीवास्तव के धल्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।