औरंगाबाद,वेदप्रकाश।बिहार के औरंगाबाद जिले के देव मंदिर ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पर्यटन के दृष्टिकोण से विश्व प्रसिद्ध त्रेतायुगीन पर्यटकों और श्रद्धालु की अटूट आस्था का केन्द्र है। इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिमाभिमुख सूर्यमंदिर (Dev Surya Mandir) होने का गौरव हासिल है।
Also read: मानव सेवा धर्म ही जीवन है : Dr. Anil Ray
इसे अभूतपूर्व स्थापत्य कला, शिल्प एवं कलात्मक भव्यता का अद्भूत नमूना कहा जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर को कोई साधारण शिल्पी ने नहीं बल्कि इसका निर्माण खुद देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने अपने हाथों से किया है। काले और भूरे पत्थरों की अति सुंदर कृति जिस तरह ओड़िसा के पूरी के जगन्नाथ मंदिर और कोणार्क के सूर्यमंदिर का है, ठीक उसी से मिलता-जुलता शिल्प इस मंदिर का भी है।
कहा जाता है कि यह मंदिर अति प्राचीन है जिसका इलापुत्र राजा ऐल ने त्रेतायुग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद निर्माण आरंभ कराया था। इस मंदिर में 7 रथों से सूर्य की उत्कीर्ण प्रस्तर मूर्तियां अपने तीनों रूपों उदयाचल-प्रातः सूर्य, मध्याचल-मध्य सूर्य और अस्ताचल सूर्याअस्त सूर्य के रूप में विद्यमान हैं। पूरी दुनिया में देव का ही मंदिर एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर (Dev Surya Mandir) है, जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है।
इस बारे में यह माना जाता है कि भगवान भास्कर का यह मंदिर सदियों से लोगों को मनोवांछित फल देनेवाला पवित्र धर्मस्थल रहा है। यूं तो सालों भर देश के विभिन्न जगहों से लोग आकर मनौतियां मांगते हैं और सूर्य देव द्वारा इसकी पूर्ति होने पर अर्घ्य देने आते हैं। लेकिन छठ पूजा के दौरान यहां दर्शन-पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्वा है। मंदिर के पुजारी राजेश पाठक बताते हैं कि इस सूर्य मंदिर में प्रत्येक वर्ष तीस लाख से ज्यादा लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं।
शरीर के रोगों को दूर करता है कुष्ठ निवारक-देव सूर्यकुंड तालाब किसी कुण्ड या तालाब में स्नान करने से कुष्ठ और सफेद दाग जैसे रोगों के दूर होने की बात चिकित्सा विज्ञानियों के गले भले ही नहीं उतरने वाली है लेकिन देव स्थित सूर्य कुण्ड के प्रति इस तरह की आस्था अत्यंत ही बलवान है। इसके पीछे कई जनश्रुतियां प्रचलित हैं। जिसमें सूर्य पुराण से सर्वाधिक प्रचारित जनश्रुति के अनुसार राजा ऐल के शरीर का श्वेत दाग प्राचीन समय में इसी तालाब में स्नान करने से दूर हुआ था और उसके बाद उन्होंने यहां सूर्यमंदिर का निर्माण करवाया था। वैसे धर्म-अध्यात्म की दुनिया में सूर्य को साक्षात देव माना जाता है जबकि विज्ञान भी सूर्य को उर्जा के स्रोत के रूप में स्वीकार करता है। मंदिर के पुजारी सच्चितानन्द पाठक एवं स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता रंजन सिंह और पिंटू कुमार साहिल बताते हैं कि मनुष्य के शरीर के मालिक सूर्य हैं और भगवान सूर्य को पवित्र सूर्य कुंड में स्नान के बाद अर्घ्य देने से शरीर से संबंधित सारे रोग दूर होते हैं। यही कारण है की प्रत्येक वर्ष लाखों लोग यहां आते हैं और इस सूर्यकुंड तालाब में स्नान करते हैं।