conch for prosperity infinite: सनातन धर्म व संस्कृति आज भी आम और खास लोगों के लिए कौतुहल का विषय है. अण्वेषण, विश्लेषण व तथ्यपरक बातों में शद्धालुओं की अभिरुचि को सहसा नकारा नहीं जा सकता. समुद्र मंथन से जनसामान्य का लगाव इसी से समझा जा सकता है कि धारावाहिक निर्माताओं या रूपहले पर्दे पर जबकभी इसकी बात की गई तो दर्शकों ने बड़े ही मनोयोग से उसे आत्मसात किया. 14अनमोल रत्नों की प्राप्ति का संदर्भ है समुद्र मंथन.आठवां रत्न शंख के रूप में स्वीकार हुआ.
conch for prosperity infinite : प्राकृतिक शोध से प्राप्त शंख को जब मानवीय परीक्षण की तपिश लगी तो प्राकृतिक उपहार रुपी शंख को भी तीन खंडों में कर दिया गया. वामवर्ती,दक्षिणवर्ती, मध्यवर्ती वा गणेश शंख.पुनः शोध चलता रहा व पांचजन्यं, देवदत्तं, महालक्ष्मी, कौरी, पौण्ड्र, हीर, मोती, अनंत विजय, मणिपुष्पक, वीणा, सुघोष, अन्नपूर्णा, एरावत, विष्णु व गरुड़ शंख के साथ अति दुर्लभ कामधेनु शंख की प्राप्ति मानव के लिए कौतुक भरा माना जाता है। कहा यह भी जाता है कि महर्षि पुलस्त्य तथा ऋषि वशिष्ठ ने भी अभिष्ट सिद्धि के लिए कामधेनु शंखा को वांछित आधार बनाया. विद्वतमतों के आधार पर गोमुखी व कामधेनु गाय के मुखआकार से युक्त शंख का प्रयोग करने वालों की संख्या कम है.
पराविज्ञान शोधकर्ताओं में शुमार पद्मशिवा कांत ने दुर्लभ गोमुखी कामधेनु शंख ध्वनि श्रवण कराते हुए कहा कि इसे बजाना आसान है.यानि बिना किसी अतिरिक्त श्रम के कर्णप्रिय ध्वनि वायुमंडल में सार्थक ऊर्जा को प्रवाहित कर, अपनी उपस्थिति का आभास करना होता है. उन्होंने बताया कि अनुष्ठान,पूजा-अर्चना के साथ तार्किकता बढाने के लिए भी इस महत्वपूर्ण शंख का प्रयोग किया जाता है . धन व ऐश्वर्य लक्ष्मी साधना से जुडे साधक इस शंख की तलाश में हमेशा लगे रहते हैं.
विशेषज्ञ यह बताते हैं कि कामधेनु शंख को मंत्र से अभिमंत्रित कर प्रयोग में लाया जाना चाहिए जो इस प्रकार से है.. “ऊं नमःगोमुखी कामधेनु शंखाय मम् सर्वकार्य सिद्धि कुरु-कुरु नमः पद्मशिवा कांत ने कहा कि आज बाजार में प्लास्टरऑफ पेरिस से निर्मित शंखों की भी भरमार है. उन्होंने नकल से बचने की सलाह दी.
शंभुदेव झा