महाशिवरात्रि आदिदेव भगवान् शिव और माँ शक्ति के मिलन का महापर्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ...
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महाशिवरात्रि 2023 : जानें कब है मुहूर्त और क्या है पूजा विधि

महाशिवरात्रि आदिदेव भगवान् शिव और माँ शक्ति के मिलन का महापर्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जानेवाला यह महापर्व शिवभक्तों को मनोवांछित फल/धन/सौभाग्य/समृद्धि/संतान व आरोग्य प्रदान करने वाला है।

हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं में भगवान् शिव शंकर सबसे लोकप्रिय हैं। ये देवो के देव महादेव हैं। भगवान् शिव बहुत ही सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं। इसीलिए इन्हें भोले भंडारी के नाम से भी जाना जाता है। अतः सरल तरीकों से भी इन्हें शीघ्र ही प्रसन्न किया जा सकता है।

 वैसे तो इस महापर्व के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन पौराणिक ग्रन्थ शिवपुराण की विधेश्वर संहिता के अनुसार इसी पावन तिथि को महानिशा में भगवान् शिव का निराहार स्वरुप प्रतिक शिवलिंग का पूजन सर्वप्रथम ब्रह्मा और भगवान् विष्णु द्वारा किया गया था। जिस कारण इस तिथि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

 महाशिवरात्रि का व्रत शिवभक्तों के लिए बहुत ही कल्याणकारी और मनोवांछित फल देनेवाला है। महाशिवरात्रि के दिन उपवास का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान् भोलेनाथ की शादी माँ पार्वती के संग हुई थी। जिस कारण रात्रि के समय शिव भक्तों द्वारा भगवान् शिव की बरात निकाली जाती है और शिव भक्त इस दिन रात्रि जागरण भी करते हैं।

आपको जानकारी दे दें कि महाशिवरात्रि का व्रत महिलाओं के लिए विशेष लाभकारी है। कुँवारी लडकियां इस दिन भगवान् शिव के व्रत को करके मनचाहे वर को भी प्राप्त कर सकती हैं। और शादी शुदा महिलायें व्रत करके अपने पति के लिए लम्बी आयु का वरदान प्राप्त कर सकती हैं। साथ में पति के सौभाग्य और सफलता की कामना भी करती हैं। जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति नहीं हुई है, वे भी महाशिवरात्रि के दिन व्रत रख सकती हैं और भगवान् शिव से शीघ्र संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त कर सकती हैं।

 पूजा विधि

अब बात करते हैं महाशिवरात्रि की पूजा विधि के बारे में जो इस प्रकार है। इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत होकर मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल से/या दूध से या फिर पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए/शहद से भी आप अभिषेक कर सकते हैं।पंचामृत में आप दूध, दही, शक्कर, घी और शहद का इस्तेमाल करें।इसके बाद सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाएं। तत्पश्चात सफ़ेद फूल-माला चढ़ाएं। बाद में शिवलिंग पर अक का फूल/भांग/धतूरा/बेलपत्र आदि जरूर चढ़ाएं। इसका विशेष महत्व होता है। फिर इसके बाद आप ॐ नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप जरूर करें। इसके बाद धुप-दीप जलाकर शिव जी की आरती करते हुए विधिवत रूप से पूजा को संपन्न करें। इस दिन पूरे दिन का उपवास जरूर करें।इस दिन प्रातः और प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। साथ ही इस दिन रात्रि के चारों पहर में पूजा करने का विशेष लाभ होता है।

 महाशिवरात्रि के अवसर पर रुद्राभिषेक का भी विशेष महत्व बताया गया है। अगर संभव हो तो इस दिन पूरे परिवार के साथ रुद्राभिषेक का आयोजन करवाएं और इस दिन शिवजी के पाठ में शिव पुराण/शिव पंचाक्षर/शिव स्तुति/शिवाष्टक/शिव चालीसा और शिव रुद्राष्टक का पाठ करना अति शुभ रहता है।

 कब है 2023 में महाशिवरात्रि

आपको बता दें, महाशिवरात्रि का व्रत 18 फरवरी 2023  दिन शनिवार को मनाया जाएगा। फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 18 फ़रवरी 2023, शनिवार की शाम 8 बजकर 2 मिनट पर शुरू होगा और 19 फ़रवरी 2023, रविवार के दिन शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा।

साल 2023 महाशिवरात्रि का पूजा मुहूर्त

महाशिवरात्रि की पूजा चार प्रहर में की जा सकती है। भक्त अपनी सुविधानुसार एक बार या फिर रात्री के चारों प्रहर में महादेव शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकतें हैं।धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि निशिता काल में ही महादेव शिव अपने लिंग रूप में अवतरित हुए थे। इस कारण से निशिता काल में महाशिवरात्रि पूजा करना शुभ और उत्तम होता है। निशिता काल में महाशिवरात्रि की पूजा करना सबसे शुभ माना गया है। इसलिए सबसे पहले हम “निशिता काल” पूजा का ही शुभ मुहूर्त बता रहे हैं।

साल 2023 में फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को “निशिता काल शुभ मुहूर्त” 18 और 19 फरवरी की मध्य रात्रि, रविवार को 12 बजकर 9 मिनट पर आरम्भ होगा और 1 बजे समाप्त होगा ये कुल अवधि 51 मिनट का होगी। 

  जैसा की आप सब लोगों को जानकारी हो चुकी है की महाशिवरात्रि पूजा रात्रि के चारों प्रहर में या फिर किसी एक प्रहर में की जा सकती है।यहाँ हम महाशिवरात्रि पूजा के चारों प्रहर के समय की जानकारी दे रहे है। आप इनमें से किसी एक प्रहर या फिर चारों प्रहर में महाशिवरात्रि की पूजा कर सकतें हैं।

महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को शाम 6 बजकर 13 मिनट पर आरम्भ होगा और रात्रि 9 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा, ये कुल अवधि 3 घंटा 11 मिनट का होगी। 

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महाशिवरात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को शाम 9 बजकर 24 मिनट पर आरम्भ होगा और 19 फरवरी दिन रविवार को रात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगा ये कुल अवधि 3 घंटा 11 मिनट की होगी। 

महाशिवरात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 19 फरवरी 2023 दिन रविवार को रात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर आरम्भ होगा और 19 फरवरी दिन रविवार को 3 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा ये कुल अवधि 3 घंटा 11 मिनट की होगी 

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महाशिवरात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 19 फरवरी 2023 दिन रविवार को प्रातः 3 बजकर 46 मिनट पर आरम्भ होगा और 19 फरवरी दिन रविवार को प्रातः 6 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगा ये कुल अवधि 3 घंटा 10 मिनट की होगी।

महाशिवरात्रि व्रत का पारण व्रत के अगले दिन प्रातः काल स्नान करने के पश्चात पूजन करने के बाद ही करना चाहिए।  महाशिवरात्रि व्रत 2023 का पारण समय है 19 फरवरी 2023 दिन रविवार को प्रातः 6 बजकर 56 मिनट के पश्चात। अर्थात 6.56 बजे सुबह के बाद आप अपना व्रत समाप्त कर पारण कर सकते हैं।   

मृत्युंजय शर्मा, (लेखक वरिष्ठ पत्रकार और ज्योतिष के जानकार हैं।)
Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.