लंबी लड़ाई के बाद बचा जनता पार्टी का अस्तित्व और सिम्बल
बिहार राजनीति

लंबी लड़ाई के बाद बचा जनता पार्टी का अस्तित्व और सिम्बल


पटना / संवाददाता। लोक नायक जयप्रकाश नारायण की जनता पार्टी के अस्तित्व और उसके सिम्बल को बचाने के लिए पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश बंधु को एक लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी । लगभग 7 साल ये लड़ाई चली। वो भी राजनीति के दिग्गज सुब्रह्मण्यम स्वामी के साथ। दरअसल जब सुब्रह्मण्यम स्वामी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे थे, तब वो जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। तब बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी ने जनता पार्टी का ही विलय भारतीय जनता पार्टी में करने का निर्णय ले लिया था ।…और इसके लिए चुनाव आयोग में उन्होंने प्रक्रिया शुरू भी कर दी थी । साथ में सिम्बल भी सरेंडर कर दिया गया था ।

बंधु याद करते हुए कहते हैं कि 11 अगस्त 2013 को विलय प्रस्तावित था।एक तरफ़ स्वामी के समर्थक उनके साथ भाजपा में जाने को तैयार थे तो दूसरी ओर जनता पार्टी के मूल कार्यकर्ता और नेताओं में स्वामी के इस निर्णय से हड़कम्प मच गया ।लोग बेचैन हो गए ।तब पार्टी के एक नेता मुन्ना पाठक ने मुझे सहित सभी राज्यों के पार्टी पदाधिकारियों को इसकी सूचना दी और दिल्ली बुलाया।तब अलग अलग प्रदेश से आए लोगों की बैठक 4 अगस्त 2013 को की गई । बंधु कहते हैं कि उस बैठक में मैं भी था ।बैठक में निर्णय लिया गया कि विलय का विरोध किया जाएगा । इसी निर्णय के आधार पर 9 अगस्त 2013 को जनता पार्टी के विलय का चुनाव आयोग में विरोध किया गया। इसी दिन मुझे पार्टी का विधिवत संयोजक बनाया गया ।तब से पार्टी बचाने के लिए संघर्ष जारी रहा ।स्वामी जी और चुनाव आयोग के क़ानूनी दांव पेंच में साल दर साल गुज़रते चले गए ।और अंत में 19 मार्च 2019 को चुनाव आयोग द्वारा इसे फिर से मान्यता दिया गया ।फिर 9 अगस्त 2019 को सिम्बल हमें वापस मिला । इस तरह एक लंबे समय तक पार्टी को राजनीतिक गतिविधियों से तो दूर रहना पड़ा ।इससे पार्टी काफ़ी नुक़सान भी उठाना पड़ा।

ऐसा नहीं है कि जनता पार्टी के विलय की यह पहली कोशिश थी । इसके पहले भी 1988 में जनता पार्टी के विलय की एक कोशिश हुई थी । तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर हुआ करते थे । तब जनता दल का गठन होना था ।चंद्रशेखर को जनता दल में जाना था ,तो उन्होंने पार्टी विलय की ही घोषणा कर दी। लेकिन उस समय इंदू भाई पटेल और सुब्रह्मण्यम स्वामी ने विलय का विरोध किया था और पार्टी को विलय से बचा लिया था