पटना/ संवाददाता। सूबे में Corona से थोड़ा रहत मिला ही था की Corona के दुष्प्रभाव के कारण ब्लैक फंगस के बाद एक नई बीमारी एमआइएस-सी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन) ने दस्तक दे दी है। अब तक पीडि़त सात बच्चे इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती हो चुके हैं। चपेट में वे बच्चे आ रहे हैं, जो Corona से उबर चुके हैं या जिनके घर में कोई संक्रमित हुआ था। इसका असर संक्रमण मुक्त होने के दो से छह सप्ताह बाद तक उभरता है।
पीएमसीएच में पटना व खगडिय़ा जिले के एक-एक बच्चे आए थे, जिनमें एमआइएस-सी की पुष्टि हुई है। उनकी हालत में सुधार है। वहीं, पांच बच्चे महावीर वात्सल्य में इलाज करा रहे हैं।
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क्या है लक्षण :
1. तीन या अधिक दिन से बुखार हो
2. त्वचा में चकत्ते,
3. कंजेक्टवाइटिस
4. हाथ-पांव ठंडा होना यानी शॉक सिंड्रोम
5. कॉर्डियक इन्वाल्वमेंट मार्कर पॉजिटिव हो या बीपी लो
6. उल्टी-दस्त, पेटदर्द व गंभीर निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
7.आंखों-जीभ में लाली, हाथ-पैर में सूजन या छिल जाना, थकान, सांस में तकलीफ, दिल की धड़कन तेज होना, होंठ या नाखून का नीला पडऩा में से कोई भी दो एक साथ हों तो यह एमआइएस-सी हो सकता है।
किसे होता है यह संक्रमण
18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को यह हो सकता है, लेकिन 12 वर्ष से नीचे वालों को खतरा ज्यादा है।
कोरोना मुक्त या संक्रमितों के संपर्क में आए बच्चों में से एक फीसद को ही यह रोग होने की आशंका होती है। इनमें से 99 फीसद बच्चे अस्पताल में कुछ स्टेरॉयड व अन्य सामान्य दवाओं से ठीक हो जाते हैं। एक फीसद को ही जान का खतरा होता है। इस बीमारी का कारण कोरोना वायरस के कारण शरीर में अधिक मात्रा में एंटीबॉडी बनना है। अधिक एंटीबॉडी से लिवर, किडनी, हृदय समेत कई अंग प्रभावित हो जाते हैं। सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर हृदय की धमनियां कमजोर हो जाती हैं और पर्याप्त रक्त नहीं मिलने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
बचाव के उपायों का सख्ती से पालन कर अभिभावक खुद को कोरोना संक्रमण से बचाएं, क्योंकि बच्चे उन्हीं से संक्रमित हो सकते हैं। यदि घर का कोई सदस्य संक्रमित हो तो बच्चों को वहां से दूर रखें। बच्चों को भीड़भाड़ वाली जगहों पर नहीं ले जाएं और अपनी बारी आने पर टीकाकरण जरूर कराएं। कोरोना मुक्त होने के बाद भी बच्चों की निगरानी करें, बीमार पड़ते ही डॉक्टर से परामर्श लें।