- ” ऑनलाइन शिक्षा का महत्व ” विषय पर वेबिनार
पटना,संवाददाता। पटना विश्वविद्यालय और नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर (डॉ) रासबिहारी प्रसाद सिंह ने कहा है कि कोरोना काल में पठन-पाठन को सामान्य रखने में Online Education ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा बदलाव आया है जिसे सामान्य परिस्थितियों में आने में शायद वर्षों का समय लगता। लेकिन कोरोना काल में शिक्षक व शिक्षण संस्थाओं ने सरकार की मदद से चंद महीनों में ही इस चुनौती को अवसर में बदलने का एक बेमिसाल उदाहरण पेश किया है।
वे बुधवार को “Online Education का महत्व” विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में शिक्षकों व छात्रों को संबोधित कर रहे थे। पूर्व कुलपति प्रो सिंह ने कहा कि वर्तमान कोरोना काल ने यह साबित किया कि ज्ञान की धारा को रोका नहीं जा सकता और यह Online Education के माध्यम से ही संभव हुआ है। Online Education ” डिजिटल इंडिया ” को सपोर्ट करता है और वर्तमान 21 वीं शताब्दी ” नॉलेज रिवॉल्यूशन” का ही है। Online Education ज्ञान और विज्ञान को विस्तार दिया है।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (इग्नू) और अन्य विश्वविद्यालयों ने कई दशक पूर्व से ही इसका बेहतर इस्तेमाल किया है। लेकिन आज के दौर में या शिक्षा को जारी रखने का पठन-पाठन को जारी रखने का सबसे उपयोगी और कारगर माध्यम बन गया है।
जेडी विमेंस कॉलेज व नालंदा कॉलेज की प्राचार्य प्रो. (डॉ ) श्यामा राय ने कहा कि मौजूदा कोरोना काल में वस्तुतः Online Education छात्र और शिक्षकों के लिए जीवन रेखा के समान है। उन्होंने Online Education के माध्यम से अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करने के अवसर से लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाशास्त्र (बीएड) विभाग के अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि “ऑनलाइन शिक्षा” ने अध्ययन-अध्यापन की निरंतरता को बनाए रखने में काफी मदद की है, वरना अगर स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई ठप रहने की वजह से ज़ीरो सत्र घोषित कर दिया जाता तो इससे करोड़ों छात्र-छात्राओं में हताशा और निराशा होती, लेकिन Online Education के विकल्प ने ऐसा होने से बचा लिया।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह एक विकल्प के रूप में नहीं बल्कि एक जरूरत के रूप में उभर कर हमारे सामने आया है।
मुख्य वक्ता प्रो पुरूषोत्तम कुमार ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) के माध्यम से ऑनलाइन लर्निंग, डिस्टेंस लर्निंग, ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग के लिए साईट और उपयोगी लर्निंग मेटेरियल की उपलब्धता की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्राय सभी विषयों और कोर्स की लर्निंग मटेरियल भारत सरकार और राज्य सरकार ने निशुल्क उपलब्ध कराने का प्रयास किया है, जिसका लाभ छात्र-छात्राओं के साथ साथ अध्यापक भी उठा सकते हैं।
डा राजेश कुमार ने कहा कि बिहार में शिक्षकों ने Online Education को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और उसका बेहतर परिणाम मिला है।
डा. रंजन कुमार ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में सभी छात्र-छात्राओं के पास एंड्राइड फोन उपलब्ध नहीं है और Online Education में यह सबसे बड़ी बाधा है, इस पर राज्य सरकारों को ध्यान देने की जरूरत है।
इस अवसर पर सहायक प्राध्यापक पिंकी कुमारी, कृति स्वराज, अर्पणा कुमारी, इशिता कुमारी, उषा कुमारी, प्रशांत कुमार, संगीता कुमारी व दिलीप कुमार पटेल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।