- विद्यालयों और शिक्षकों की भूमिका भी अति महत्वपूर्ण : डॉ ध्रुव
पटना, संवाददाता। जेडी वीमेंस कॉलेज एवं नालंदा कॉलेज की प्राचार्य Prof. Shyama Rai ने कहा है कि समाज में लैंगिक असमानता, चतुर वर्ग द्वारा सोच-समझकर बनाई गई एक ऐसी खाई है, जिससे समानता के स्तर को प्राप्त करने का सफर बहुत मुश्किल हो गया है जबकि समानता एक सुंदर और सुरक्षित समाज की वह नींव है जिस पर विकासशील समाज की सुदृढ़ और गगनचुंबी इमारत बनाई जा सकती है।
Prof. Shyama Rai बुधवार को नालंदा कॉलेज शिक्षा विभाग द्वारा “भारत में लैंगिक असमानता” विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान माला में शिक्षकों और छात्रों को संबोधित कर रही थीं। Prof. Shyama Rai ने कहा कि सामाजिक सोच और राजनैतिक इच्छाशक्ति से इस असमानता को खत्म किया जा सकता है।
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अध्यक्षता करते हुए बीएड विभाग के अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक मानकों पर महिलाओं की स्थिति पुरुषों की अपेक्षा कमज़ोर है। हालाँकि लड़कियों के शैक्षिक नामांकन में पिछले दो दशकों में वृद्धि हुई है, लेकिन उच्च शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी स्थिति संतोष जनक नहीं है।
डॉ ध्रुव ने कहा कि बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण सहित ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं, ‘महिला हेल्पलाइन योजना’, ‘महिला शक्ति केंद्र’ जैसी योजनाओं के माध्यम से इसे दूर करने की कोशिश की गई है, जिसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने लैंगिक असमानता दूर करने में विद्यालयों और शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को मह्त्वपूर्ण बताया।
मुख्य वक्ता सहायक प्राध्यापक डॉ रंजन कुमार ने कहा कि भारतीय समाज में प्रायः महिलाओं का मुख्य कार्य भोजन की व्यवस्था करना और बच्चों के लालन-पालन तक ही सीमित है। घर में लिये जाने वाले निर्णयों में भी महिलाओं की कोई भूमिका नहीं रहती है जबकि महिला और पुरुष समाज के दो मूल आधार हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सहायक प्राध्यापक अपर्णा कुमारी ने कहा कि परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमज़ोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है, जबकि यह सच नहीं है। उन्हें जब भी मौका मिला है उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की है।
सहायक प्राध्यापक डा राजेश कुमार, प्रशान्त, पिंकी कुमारी, इशिता कुमारी, उषा कुमारी व संगीता कुमारी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं को सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक रुढ़ियों के कारण विकास के कम अवसर मिलते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है।
इस अवसर पर सौरभ तिवारी ,स्मृति और अर्चना कुमारी, साहिल सिंह टायरनी, सोनिका सुमन, नन्दिनी भारती, पूनम सिंह, दीप ज्योति गुप्ता, श्वेता कुमारी, और अंजनी पटेल ने अपने विचार व्यक्त किए।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए श्रीमती कृति स्वराज ने कहा कि लैंगिक असमानता का सीधा प्रभाव समाज में महिला तथा पुरुष के समान अधिकार, दायित्व तथा रोजगार के अवसरों के पर पड़ता है।