पटना,जितेन्द्र कुमार सिन्हा। पटना में स्थित इंदिरा आईवीएफ में नए इम्यूनोलॉजी डिपार्टमेंट का उद्घाटन किया गया। दावा यह है कि यह डिपार्टमेंट दम्पतियों के माता-पिता बनने के मुश्किल सपने को सच करने में और मददगार साबित होगा। बार-बार गर्भपात होना, बिना किसी स्पष्ट कारण के बांझपन, कई बार आईयूआई का असफल होना और इम्प्लांटेशन और आईवीएफ का भी बार-बार असफल होना, इन दिक्कतों का सामना कर रहे दम्पतियों की मदद के लिए ही पैटर्नल लिम्फोसाइट इम्युनाइज़ेशन (पीएलआई) थेरपी की शुरुआत की गई है।
संस्था के चीफ क्लिनिकल ऑपरेशनस डॉ. विपिन चंद्रा ने उक्त अवसर पर वर्चुअल माध्यम से कहा कि पैटर्नल लिम्फोसाइट इम्युनाइज़ेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पिता के लिम्फोसाइट्स या सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को माता के शरीर में डाला जाता है। इससे माता के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संवेदनशील बनाने और भ्रूण को स्वीकार करने की क्षमता को विकसित करने में मदद मिलती है। कई मामलों में पीएलआई इलाज के बाद जन्म के मामलें बढ़े हुए पाए गए हैं।
इंदिरा आईवीएफ के सीईओ और सह-संस्थापक डॉ क्षितिज मुर्डिया ने कहा कि पटना के हमारे सेंटर में इम्यूनोलॉजी डिपार्टमेंट का उद्घाटन करके हमें बहुत ख़ुशी हो रही है, क्योंकि इससे न केवल बिहार बल्कि पूरे पूर्वी इलाके के दम्पतियों को माता-पिता बनने का अपना सपना पूरा करने में मदद मिलेगी।
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पीएलआई इलाज महत्वपूर्ण है इस बात पर प्रकाश डालते हुए डॉ दयानिधि कुमार ने कहा कि इम्यूनोलॉजी डिपार्टमेंट शुरू करते हुए हमें बहुत ख़ुशी हो रही है। बार-बार गर्भपात होना, बिना किसी स्पष्ट कारण के बांझपन, कई बार आईयूआई असफल होना और इम्प्लांटेशन और आईवीएफ का बार-बार असफल होना, इन दिक्कतों का सामना कर रहे दम्पतियों की मदद हम यहां कर पाएंगे। अनुसंधान में पता चला है कि इस तरह की जटिलताओं वाले मरीज़ों में प्रेग्नेंट होने की संभावना 97% अधिक होती है। उदयपुर और बोरिवली (मुंबई) के सेंटर्स में मरीज़ों को पीएलआई की मदद मिलती है और अब पटना सेंटर में भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी इलाकों के दम्पतियों के लिए इस समाधान को उपलब्ध कराया गया है, जिससे वह आर्थिक खर्च और मानसिक तनाव से बच सकेंगे।
इंदिरा आईवीएफ में चीफ इम्यूनोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट डॉ प्रिया धुरंधर ने बताया कि “कई मामलों में प्राकृतिक तरीके से या असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक से भी दम्पतियों को माता-पिता बनने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मौजूदा बीमारियां, दम्पति की उम्र, क्रोमोसोमल अनोमलिज़ और भ्रूण के विकास में दिक्कतें आदि कई कारण हो सकते हैं। लेकिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी बांझपन की वजह हो सकती है। यह बात कई लोगों को पता ही नहीं होती है। इस पहल द्वारा उन दम्पतियों से अनुरोध करना चाहती हूँ जो माता -पिता बनने का सपना छोड़ चुके है, कि आशावादी बने रहें और हमें उनकी मदद करने दें।”
पटना सेंटर की डॉ अनुजा सिंग ने कहा कि पटना में हम देश में हो रही तकनिकी उन्नति के साथ फर्टिलिटी इलाजों की उपलब्धता और सुगमता को बढ़ाकर वास्तव में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है कि रिप्रोडक्टिव इम्यूनोलॉजी थेरपी, और खासकर पीएलआई के द्वारा हम क्षेत्र के और भी कई ज़्यादा दम्पतियों की सहायता कर पाएंगे। उक्त अवसर पर डॉ सुनीता कुमारी, डॉ मिशिका जैन और डॉ रितिका प्रकाश भी उपस्थित थी।