पटना, संवाददाता। स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में सुरेश कुमार हज्जु निर्देशित नाटक बाबूजी का मंचन साल 2022 के आखिरी दिन किया गया। यह प्रस्तुति राजधानी की प्रतिष्ठित नाट्य संस्था एचएमटी की ओर से की गई थी। नाटक बाबूजी मिथिलेश्वर की कहानी पर आधारित है। इसका नाट्य रुपांतरण विभांशु बैभव ने किया है। नाटक में संगीत परिकल्पना राजू मिश्रा की जबकि प्रकाश परिकल्पना राहुल कुमार रवि की थी।
नाटक बाबूजी को महज 22 दिनों में थियेटर वर्कशॉप के दौरान तैयार किया गया है। इस लिहाजन अधिकतर कलाकार नये थे, लेकिन 22 दिनों का कड़ा प्रशिक्षण का असर उनके अभिनय पर स्पष्ट रूप से दिख रहा था।
नाटक बाबूजी की कहानी मूलतः नौटंकी के एक कलाकार की कहानी है, जो समाज से लड़-झगड़ कर कला की साधना करता है। अपने मन मिजाज के अनुसार वह समाज की एक अपमानित लड़की से विवाह करता है। दिनभर कला के लिए और कला दिन भर बाबूजी के लिए काल बनकर आती है। पहले पत्नी फिर बच्चे उसके विरोधी होते हैं। कलह से ऊबकर बाबूजी अपनी संपत्ति बेच कर अपनी नौटंकी कपनी खोल लेते हैं। बाबूजी के लड़के की शादी एक बड़े घराने में तय होती है। जिसमें बाबूजी की कंपनी आती है। लड़के वाले नर्तकी से बदतमीजी करते हैं। इसका बाबूजी विरोध करते हैं। उनपर जानलेवा हमला होता है और उनकी मृत्यु हो जाती है।
मंच पर बाबूजी की भूमिका को कुमार स्पर्श, कौशल्या-अन्वेषा सम्यक, सुरसती- रेखा सिंह, बड़कऊ-गोपी कुमार, हर्ष कुमार, साजन कुमार, छोटकू- सुदर्शन शर्मा, बदल कुमार, हर्षित बसंती सहित प्रियंका कुमारी, नेहा, जया, चदंन उगना, प्रिंस, राहुल, जाहिद, नीतीश,सोनी, विवेक कुमार, सहित अन्य कलाकारों के अभिनय में तकनीक बारिकियां दिखी, यह और बात है कि अभी कुछ कलाकारों के अभिनय में परिपक्वता की जरूरत है।
इसके अतिरिक्त सुधीर कुमार , आयुष कुमार, अर्जुन कुमार, सुजाता कुमारी, नेहा कुमारी, आशु शुक्ला, धीरज कुमार,आर्यन चौधरी और राहुल कुमार ने भी दर्शकों के बीच अपनी अभिनय प्रतिभा की छाप छोड़ी है।
मंच से परे संगीत संयोजन एवं हारमोनियम रोहित चंद्रा, नगाड़ा- प्रेम पंडित, खंजरी/झाल- राकेश चौधरी, ने अपना बेहतर देकर प्रस्तुति को श्रृंगारिक बना दिया। गायन मंडली में राहुल कुमार राज, शब्दा हज्जु, मौसमी भारती, वर्षा कुमारी, सिमरन कुमारी, रजनी राय, ने प्रस्तुति के गायन पक्ष को मजबूत बनाया है।
मंच परिकल्पना सनुील कुमार, वेश-भूषा जितेन्द्र कुमार जीतू, वस्त्र विन्यास शब्दा हज्जु, राहुल कुमार राज, गोपी कुमार की थी। उदघोषणा राजीव रंजन श्रीवातव कर रहे थे।