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होरोस्कोप देखना बहुत रोमांचक होता हैःमृत्युंजय शर्मा

यह दुर्भाग्य ही है कि अपने ही देश में ज्योतिष विवादित विषय रहा है। इसके फलित और उपाय पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं।ऐसे में आपके लिए मुकेश महान ने दिल्ली के सुप्रसिद्ध ज्योतिषी मृत्युंजय शर्मा से विस्तार से बात की। यहां प्रस्तुत है उसके प्रमुख अंश-


आप देश के एक जाने-माने ज्योतिषी हैं। कैसा लगता है दूसरों का भविष्य पढ़ कर या बता कर?
किसी का होरोस्कोप देखना बहुत रोमांचक होता है खासकर उनलोगों का जिनके जीवन में अप एंड डाउंस बहुत होते हैं, लेकिन एस्ट्रोलॉजर के साथ एक समस्या आती है। लोग डॉक्टर के पास जब जाते हैं तो अपनी समस्या बताते हैं, वकील को अपनी समस्या बताते हैं लेकिन एस्ट्रोलॉजर से उम्मीद रखते हैं कि वो होरोस्कोप देखकर ही सबकुछ बता दें / अगर लोग एस्ट्रोलॉजर को भी अपनी समस्या बताएं तो समस्या का समाधान बेहतर होगा। वैसे मेरे ज्यादातर क्लाइंट विदेशी होते हैं, जो टार्गेटेड सवाल पूछते हैं और उसका जवाब भी सीधा सीधा होता है। जबकि भारत के ज्यादातर लोग एक ही बार में भूत/ वर्तमान / भविष्य सबकुछ जान लेना चाहते हैं। कई बार तो गुस्सा भी आता है जब किसी बच्चे के जन्म लेते ही उसके परिवारवाले उसका पूरा भविष्य जानना चाहते हैं।


पत्रकार से ज्योतिषी बनने की यात्रा कैसी रही?
मूलतः अभी भी मै पत्रकार ही हूं और यूट्यूबर और ब्लॉगर के रूप में कार्य कर रहा हूं। ज्योतिषी के रूप में मैं बहुत ही सेलेक्टिव लोगों की कुंडली देखता हूं। चूंकि भारत में ज्योतिष के साथ हिन्दू माइथोलॉजी का बहुत गहरा जुड़ाव है, जबकि मेरा सब्जेक्ट अलग है। मैं एस्ट्रोलॉजी में मॉडर्न तकनीक / कॉस्मिक एनर्जी / पॉजिटिव और नेगेटिव एनर्जी / एनर्जी बैलेंसिंग / इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फिल्ड / ग्रहों के गोचर पर कार्य करता हूं,जो इस समय यूरोप / अमेरिका सहित पूरे विश्व में चल रहा है।
पत्रकार मृत्युंजय ज़्यादा संतुष्ट थे या ज्योतिषी मृत्युंजय?
वक्त-वक्त की बात है। तब भी खुश था। अब भी खुश हूं। हां, ज्योतिष में मेरी दिलचस्पी मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में है, तो उसके रिसर्च में ज्यादा ख़ुशी मिलती है।
दोनों ही जॉब ग्लैमरस और सम्मानित है, फिर आपको क्या अंतर महसूस होता है?
ऐसा नहीं है। पत्रकारों से लोग खुलकर मिलते हैं, लेकिन एस्ट्रोलॉजर से सम्मानित लोग छिपकर मिलते हैं। खासकर भारत में एस्ट्रोलॉजर से कोई आदमी मज़बूरी में ही मिलता है, जो समाज के सम्मानित लोग हैं, वे तो छुपकर ही मिलते हैं।

स्व अध्याय से ज्योतिष सीखना कितना मुश्किल है या कितना आसान?
सफल ज्योतिष बनने के लिए स्वाध्याय ज्यादा जरुरी है। साथ ही मोटिव होना चाहिए, पैशन होना चाहिए और सबसे ज्यादा जरुरी है आपके थ्रोटचक्र, त्रिनेत्र चक्र और क्राउन चक्र बैलेंस हों। तभी आप एक सफल ज्योतिष बन सकते हैं।
ज्योतिषी होने का कोई अलग से लाभ मिला आपको?
जब विदेशों से फ़ोन आते हैं तो ख़ुशी मिलती है। वैसे मैं आम लोगों की कुंडली देखता ही नहीं, बल्कि उन्हें सलाह देता हूं कि वे एस्ट्रोलॉजी से दूर रहें और अपना कर्म करें। क्योंकि आज बाज़ारवाद है। अगर किसी को ओपल स्टोन की जरुरत है, साथ ही घर में रेनोवेशन (सफाई/पेंटिंग) जरुरी है और उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो ओपल खरीद सकें। घर में एनर्जी बैलेंस कर सकें तो उसे एस्ट्रोलॉजी से दूर ही रहना चाहिए।
इसका मतलब ज्योतिष महंगा है। सबके वश की बात नहीं।
मेरे हिसाब से तो महंगा भी है और सबके वश की यह बात भी नहीं है।
कब आपको ज्योतिषी होने ओर सकून या गर्व महसूस हुआ?
एक बार एक डॉक्टर फॅमिली की कुंडली एक मित्र के माध्यम से आई। मैं फोटो भी नहीं देखा था। कुंडली देखते ही मैंने फ़ोन पर कहा कि डॉक्टर साहब आपके लिवर के आस पास कैंसर जैसी बीमारी की शुरुआत हो चुकी है और आपकी डॉक्टर पत्नी भी इस समय थायरायड बीमारी से बहुत परेशान हैं। डॉक्टर दंपत्ति ने इसे स्वीकार किया कि हां ये तो सही है। तब लगा कि ज्योतिष के द्वारा भी लोगों की सहायता की जा सकती है।
कभी अफ़सोस हुआ अपने ज्योतिषी होने पर?
अफ़सोस मेरे डिक्सनरी में नहीं है
जब कोई ज्योतिष विद्या का मज़ाक बनाता है या ख़ारिज करता है तो आप कैसे उसे संतुष्ट करते हैं?
मैं बहस नहीं करता, क्योंकि मेरा मानना है कि करीब साठ प्रतिशत लोग की जिंदगी नार्मल चलती रहती है। थोड़े बहुत कष्ट आते हैं, जिसे वे झेल लेते हैं। उनकी जिंदगी में बहुत ज्यादा अप एंड डाउन नहीं होते हैं। ज्योतिष की जरुरत उन्हें ही होती है, जिनके जीवन में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव होते हैं।रही बात ज्योतिष को खारीज करने की तो जो करते हैं वो अपनी वला से।मुझे क्या पड़ी है उसे संतुष्ट करने की।
आप एक पत्रकार भी रहे हैं, आप बताएं कि ज्योतिष में कितनी सच्चाई है, मतलब आम आदमी कितना भरोसा करे ज्योतिष पर?

ज्योतिष विद्या से ६० – ७० प्रतिशत तक ही सही भविष्वाणी की जा सकती है। वैसे भारत में रिसर्च कम हो रहे हैं और टीवी के कारण बाज़ारवाद का कब्ज़ा हो चुका है। टीवी पर लाखों रूपए में टाइम स्लॉट खरीदकर जो लोग अपना प्रोग्राम चला रहे हैं, वे लोगों को भ्रमित कर पैसा भी कमा रहे हैं। ऐसे में ज्योतिष विद्या का नुकसान हो रहा है ये दुर्भाग्य है कि टीवी मिडिया के कारण लोग ऐसे ज्योतिषी के प्रति आकर्षित भी होते हैं। जबकि जो विद्वान् एस्ट्रोलॉजर हैं उन्हें नुक्सान हो रहा है। भारत में एक दिक्कत और है। ज्योतिष को धर्म से जोड़ दिया गया है। इस कारण भी इस विद्या का नुक्सान हो रहा है।वैसे आम लोग भरोसा कर सकते हैं बस उन्हें टीवी पर ग्लैमर वाले बाबा से बचने की जरुरत है।

ज्योतिषीय उपाय किस हद तक कारगर होते हैं?
भविष्य में घटनेवाली घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है। अगर आप रोक रहे हैं, तो ईश्वर की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं। हां ज्योतिषीय उपाय से कष्ट को थोड़ा कम किया जा सकता है। पहली बात तो अच्छे एस्ट्रोलॉजर की सलाह पर आप किसी घटना के लिए मेंटली तैयार रहते हैं। जिसके कारण कष्ट में कमी हो जाती है। दूसरा ज्योतीषीय उपाय ठीक इसी तरह है जैसे तूफानी और अँधेरी रात में आपके हाथ में एक छोटी सी टॉर्च आ जाय। ये आप पर निर्भर है कि आप कितना संभलकर चलते हैं। अपने लिए उस टार्च का कितना इस्तेमाल कर पाते हैं।

रत्न जो है वो कलर थरेपी का काम करता है आपके लिए। ये आपके आभामंडल में पॉजिटिव ऊर्जा को बैलेंस करता है। लेकिन ये बहुत महंगा है। आम लोगों के लिए खरीदना थोड़ा मुश्किल होता है। मंत्र की बात करें तो मंत्र के साथ ध्यान भी लगाना पड़ता है। और इसका असर पुरे शरीर पर तुरंत पड़ता है। सबसे पहले तो आपकी डेली लाइफ रूटीन ठीक होती है इससे। फिर मैडिटेशन के कारण आपके शरीर के सातों चक्र बैलेंस हो जाते हैं।जिसके कारण आप एनर्जेटिक होते हैं। आप में पॉजिटिव ऊर्जा की वृद्धि होती है। मनोवैज्ञानिक तरीके से भी आप अपने टारगेट को प्राप्त करने की कोशिश करने लगते हैं। जो जड़ है, वो भी आपके निगेटिव ऊर्जा को ख़त्म करता है और पॉजिटिव ऊर्जा को बढ़ाता है।
मंत्र, रत्न, जड़ी में से कौन सा उपाय ज़्यादा कारगर होता है?
सभी उपायों के अलग अलग महत्व हैं। सभी कुछ न कुछ कारगर होते ही हैं। यह निर्भर करता है कि उपाय करने का तरीका कितना सही है।
विदेशों में एनर्जी संतुलन पर ज़्यादा काम होता है इस बारे में कुछ बताएं
अगर भारत की बात करें तो यहां भी एनर्जी बैलेंस पर ही काम होता था। उदाहरण के लिए आपको बताऊं कि गांव में किसी के घर में अगर मृत्यु हो जाय तो १३ दिन तक परम्परा के बहाने ४ – ५ बार घर में गाय के गोबर से लिपाई – पोताई होती है। दरअसल ये घर से निगेटिव एनर्जी को बाहर करने का मजबूत तरीका है क्योंकि जिस घर में मृत्यु होती है, वहां निगेटिव एनर्जी बहुत ज्यादा होती है। इसी तरह किसी की शादी में हल्दी का उबटन लगाया जाता है। दरअसल इस परम्परा से उसके आभामंडल को क्लीन किया जाता है। हां यहां हर चीज में धर्म का चोला पहना दिया जाता है। विदेशों में इसे साईंटिफ़िक तरीके से किया जाता है। वंहा एस्ट्रोलॉजी और धर्म का आपस में कोई लेना देना नहीं होता है।