पटना। किसान कानून के विरोध में पिछले करीब दो महीने से दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन को अब बिहार में महागठबंधन का साथ मिल गया है। 26 जनवरी को दिल्ली में हुए हिंसा के कारण आंदोलन की धार कुंद पड़ने के बाद अब महागठबंधन के घटक दल इसे फिर से तेज करने में जुट गए हैं। शुक्रवार को 10 सर्कुलर रोड में आयोजित महागठबंधन नेताओं की बैठक में चेतावनी दी गई कि किसानों की मांगे नहीं मानी गई तो प्रधानमंत्री सरकारी आवास 7 लोक कल्याण मार्ग को खाली कराने के लिए आंदोलन चलाया जायेगा। बैठक में ये तय हुआ कि 30 जनवरी को पूरे राज्य में मानव शृंखला बनाकर किसानों के आंदोलन के प्रति समर्थन जताया जाएगा। बैठक के बाद पत्रकार सम्मेलन में राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अन्नदाता को जो सम्मान मिलना चाहिए वो कानून में नहीं है। कानून अन्नदाताओं के लिए नहीं फंडदाताओं के लिए बना है। भाजपा ने जवान और किसान के बीच लड़ाई लड़वा दी है। जवान किसान परिवार से ही आते हैं, इसलिये वो भी नाराज हैं।
2006 कानून से किसान मजदूर बने, अब उनको भिखारी बनाने की चल रही साजिश : तेजस्वी
मांग- बिहार में बाजार समिति वाली मंडी व्यवस्था फिर से लागू हो
तेजस्वी ने कहा कि बिहार सरकार ने मंडी समाप्त करने वाला एक्ट 2006 में लागू किया जिसके बाद किसान मजदूर बन गए। अब उन्हें मजदूर से भिखारी बनाने की साजिश चल रही है। उन्होंने सीएम से पूछा- किसान आंदोलन पर चुप्पी कब तोड़ेंगे? फिर आरोप लगाया कि राज्य में सत्ता को कायम रखने का अभियान चल रहा है। यही कारण है कि कोई भी नीतिगत फैसला नहीं हो पा रहा। इस सरकार में कोई कॉन्फिडेंस नहीं है। बिहार में बिचौलिए सक्रिय हैं और राज्य सरकार इस बात का दावा नहीं कर सकती कि किसानों से उनका सभी अनाज एमएसपी के रेट पर खरीदा गया है। उन्होंने मांग की कि बिहार में बाजार समिति वाली मंडी व्यवस्था फिर से लागू की जाये।
आज की मानव शृंखला ऐतिहासिक होने का दावा
तेजस्वी के साथ-साथ इस मौके पर कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और माले के नेताओं ने कहा कि 30 जनवरी को महागठबंधन की मानव शृंखला ऐतिहासिक होगी। सिर्फ कृषि कानून को लेकर किसान ही नहीं बल्कि सभी युवा, बेरोजगार और अन्य लोग भी हाथ से हाथ मिला कर केंद्र और बिहार सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे। मौजूदा कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। पश्चिम बंगाल चुनाव से जुड़े सवाल पर तेजस्वी यादव ने कहा कि अभी राजद ने वहां चुनाव लड़ने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। दो-तीन दिनों में फैसला लिया जायेगा। हालांकि राजद चाहता है कि वहां टीएमसी लेफ्ट और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ें। इस अवसर पर कांग्रेस के अजीत शर्मा, माले के धीरेन्द्र झा, सीपीएम के अवधेश कुमार और सीपीआई नेता भी उपस्थित थे।