संविधान निर्माण का श्रेय डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को राजीव रंजन प्रसाद। पटना,संवाददाता। कायस्थ विभूतियो पर आयोजित व्याख्यानमाला में पर डा. सच्चिदानंद सिन्हा को मरनोपरांत भारत रत्न देने की जीकेसी ने की मांग। आजादी के अमृत महोत्सव पर जीकेसी कायस्थ विभूतियों पर चरणवद्ध व्याख्यानमाला का आज से आगाज हो गया। पटना में आयोजित पहला व्याख्यानमाला आधुनिक बिहार के जनक डा. सच्चिदानंद सिन्हा पर आधारित था।
दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। विषय प्रवेश करते हुए आधुनिक बिहार के निर्माण में डा. एसएन सिन्हा का अतुलनीय योगदान है। बिहार के एक स्वतंत्र राज्य के रूप कल्पना करने से लेकर स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तीत्व स्थापित करने तक सच्चिदा बाबू की महती भूमिका रही है।
बिहार के इतिहास में श्री सिन्हा अमिट हैं। अनके नाम के बिना बिहार स्वतंत्र राज्य की चर्चा बेमानी है। इसके साथ ही ग्लोवल अध्यक्ष ने विस्तार से डा. एसएन सिन्हा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा है कि भारत का संविधान दुनिया के अन्य सभी देशों से बेहतर तथा मजबूत है और इसका पूरा श्रेय संविधान सभा के पहले कार्यकारी अध्यक्ष बिहार निवासी डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को जाता है। सच्चिदानंद सिन्हा उच्च कोटि के विद्वान, कानून विद तथा महान शिक्षाविद थे और उनकी देखरेख में भारत का ऐसा संविधान तैयार किया गया कि यहां का लोकतंत्र अन्य देशों से कहीं अधिक मजबूत है। लेकिन दुखद है कि अंग्रेजियत से प्रभावित इतिहासकारों ने संविधान निर्माण में सच्चिदानंद बाबू के योगदान को सही स्थान नहीं दिया।
कार्यक्रम के मुख्य़ अतिथि पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया के लेखक उदय सहाय ने कहा कि महान शिक्षाविद डा सच्चिदानंद सिन्हा बिहार के जनक थे। बिहार को बंगाल से पृथक राज्य के रूप में स्थापित करनेवालों में भी उनका नाम प्रमुखता से लिया जाता है। बंग-भंग का आंदोलन उन्होंने हीं आरंभ किया था।
व्याख्यानमाला सत्र में मौजूद जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डॉ नम्रता आनंद ने कहा बिहार एक अलग राज्य के लिए शुरू किए गए आंदोलन के सफल प्रणेता थे सच्चिदा बाबू। इन्होंने ही ‘बिहार’ को अलग राज्य बनाने की माँग उठाई, उसके लिए संघर्ष किया, जिसने बंग-भंग कराकर ‘बिहार’ को अलग राज्य का अस्तित्व दिलाया। डा.नम्रता ने डा. एसएऩ सिन्हा को मरणोपरांत भारत रत्न से विभूषित करने के लिए एक अभियान चलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जीकेसी मीडिया प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव मुकेश महान ने कहा कि तब बिहार में बंगला भाषियों का वर्चस्व था, सरकार में, विश्वविद्यालय समेत बिहार के सभी प्रतिष्ठानों में बड़े पद पर बंगलाभाषी कार्यरत थे। उनकी नजरों में बिहारी लोग दोयम दर्जे के नागरिक हुआ करते थे। जो सच्चिदाबाबू को एकदम रास नहीं आया। और बंग भंग का आंदोलन शुरु कर बिहार को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाया। इसलिए प्रत्येक बिहारी कोउनका ऋणि होना चाहिए। कार्यक्रम में कई अन्य वक्ताओं ने भी विस्तार से डा. सिन्हा के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर जीकेसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक अभिषेक, किशोर कुमार, संजय सिन्हा, प्रेम कुमार, राजेश सिन्हा संजू, दिलीप सिन्हा, नीलेश रंजन, सुशील श्रीवास्तव, संजय कुमार सिन्हा, प्रियदर्शी हर्षवर्धन, बलिराम,रवि सिन्हा, शैलेश कुमार, सुशांत सिन्हा, रंजीत सिन्हा, अनिल दास ,पीयूष श्रीवास्तव, शुभम कुमार, चंदू प्रिंस, संजय कुमार सिन्हा, मनोज कुमार सिन्हा, प्रसुन श्रीवास्तव धनंजय प्रसाद, शशि भरत भी सहित कई लोग उपस्थित थे।