Shaktipeeth: देवी भगवत पुराण में 51 शक्तिपीठों का जिक्र किया गया है, लेकिन क्या आपको पता है कि 51 शक्तिपीठों में 9 ऐसे शक्तिपीठ हैं जो भारत में नहीं है। बल्कि विदेशों में हैं, उनमें से एक शक्तिपीठ तो पाकिस्तान में है, जबकि देवी के बाकी 8 शक्तिपीठ बांग्लादेश, श्रीलंका और तिब्बत में हैं. तो आइये जानते हैं वे कौन कौन से शक्तिपीठ हैं, जो विदेश की धरती पर है
- हिंग्लाज माता मंदिर देवी (Shaktipeeth) पाकिस्तान का हिंग्लाज माता मंदिर देवी का सिद्ध मंदिर हैं, कहा जाता हैं, इस मंदिर के प्रति हिंदुओं के अलावा स्थानीय मुस्लिमों की भी आस्था है. यह शक्तिपीठ वहां के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज की पहाड़ियों में मौजूद है। इस मंदिर में नवरात्रि का जश्न करीब-करीब भारत जैसा ही होता है। यह मंदिर हिंदू और मुस्लिम दोनों मजहब के लोगों में पूजनीय है। चूंकि हिंगलाज मंदिर को मुस्लिम ‘नानी बीबी की हज’ या पीरगाह के तौर पर मानते हैं, इसलिए पीरगाह पर अफगानिस्तान, इजिप्ट और ईरान के लोग भी आते हैं।
- इन्द्राक्षी शक्तिपीठ
इन्द्राक्षी शक्तिपीठ (Shaktipeeth) श्रीलंका में है. जाफना के नल्लूर में स्थित इस देवी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां देवी सती की पायल गिरी थी. यहां की शक्ति को इन्द्राक्षी कहा जाता है, यही वजह है कि इस शक्तिपीठ को इन्द्राक्षी शक्तिपीठ भी कहते हैं. मान्यता है कि भगवान राम और देवराज इंद्र ने भी यहां पर देवी की पूजा की थी. रावण के बारे में माना जाता है कि वो शिव और शक्ति का बड़ा उपासक था और उसने भी युद्ध से पहले यहां शक्ति पूजा की थी - मानस शक्तिपीठ
तिब्बत में मानस शक्तिपीठ स्थित है । यहां सती की बाईं हथेली गिरी थी. मानसरोवर के तट बने इस शक्तिपीठ को काफी प्रभावशाली माना जाता है और न केवल नवरात्र, बल्कि साल के सभी अच्छे मौसम में यहां आनेवाले भक्तों की भीड़ रहती है. तिब्बती धर्मग्रंथ ‘कंगरी करछक’ में मानसरोवर की देवी ‘दोर्जे फांग्मो’ का यहां निवास कहा गया है. - महाशिरा शक्तिपीठ
नेपाल में दो शक्तिपीठ हैं, उनमे से एक काठमांडू में स्थित है, जिसे गुजयेश्वरी मंदिर पीठ कहा जाता है. मान्यता है कि यहां देवी सती के दोनों घुटने गिरे थे. यहां की शक्ति को महाशिरा भी कहा जाता है. यह मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर के पास ही बागमती नदी के तट पर बना हुआ है. मंदिर को 17वीं सदी में नेपाल के राजा, राजा प्रताप मल्ल ने बनवाया था. - गंडकी शक्तिपीठ
नेपाल में ही दूसरा शक्तिपीठ है, जिसे गंडकी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां सती का कपोल गिरा था. यहां की देवी को गंडकी कहते हैं. - उग्रतारा देवी
पड़ोसी मुस्लिम-बहुल देश बांग्लादेश में देवी के चार शक्तिपीठ स्थित हैं. एक पीठ यहां खुलना नामक क्षेत्र में सुगंध नदी के तट पर बना हुआ है. इसे उग्रतारा देवी का मंदिर कहते हैं, जहां देवी की नासिका यानी नाक गिरी मानी जाती है. यहां की देवी को सुनंदा कहा जाता है - अपर्णा शक्तिपीठ
बांग्लादेश के भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के किनारे करतोयाघाट शक्तिपीठ है. मान्यता है कि यहां देवी सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी . इस मंदिर को अपर्णा शक्तिपीठ भी कहते हैं. यहां की देवी अपर्णा के रूप में पूजी जाती हैं. - यशोरेश्वरी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के ही जैसोर खुलना प्रांत में देवी का एक और पीठ है, जिसे यशोरेश्वरी शक्तिपीठ कहते हैं. मान्यता है कि यहां देवी सती की बाईं हथेली गिरी थी . इस जगह काली पूजा होती है. महाराजा प्रतापादित्य ने इस शक्तिपीठ को खोजा और मंदिर बनवाया था. - भवानी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के चटगांव में भी एक शक्तिपीठ है, जिसे चट्टल का भवानी शक्तिपीठ कहते हैं. मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की दाहिनी भुजा गिरी थी. यहां की देवी को भवानी के तौर पर पूजा होती है. इस मंदिर के प्रति स्थानीय लोगों के अलावा स्थानीय मुस्लिम भी आस्था रखते हैं. यहां गर्म पानी के प्राकृतिक सोते हैं, जिनमें नहाने से कई तरह की बीमारियों का इलाज हो जाता है. यही वजह है कि यहां नवरात्रि के अलावा पूरे साल भक्त आते रहते हैं और अपनी इच्छाएं पूरी कर लौटते हैं.
मृत्युंजय शर्मा