‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ के अतिरिक्त विनोद कुमार सिन्हा (सीतामढ़ी), तेलुगु कवि डॉ. याकूब (हैदराबाद) एवं श्रीमती अंजू रंजन (जोहान्सबर्ग) वर्ष-2021 को मिलेगा ‘नई धारा रचना सम्मान’
पटना, संवाददाता। 1950 से निरंतर प्रकाशित हो रही चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘नई धारा’ ने 2021 के लिए अपने पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। वर्ष 2021 का पन्द्रहवां ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ प्रसिद्ध लेखिका सूर्यबाला को दिया जाएगा, जिसके तहत उन्हें 1 लाख रुपए सहित सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न आदि अर्पित किए जाएंगे। इसके साथ ही सुप्रतिष्ठ लेखक विनोद कुमार सिन्हा (सीतामढ़ी), चर्चित तेलुगु कवि डॉ. याकूब (हैदराबाद) एवं चर्चित लेखिका अंजू रंजन (जोहान्सबर्ग) वर्ष-2021 के ‘नई धारा रचना सम्मान’ से नवाजे जाएंगे। इन तीनों को 25-25 हजार रुपए सहित सम्मान-पत्र, प्रतीक चिह्न आदि अर्पित किए जाएंगे।
यह घोषणा ‘नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथराज सिंह ने की। उन्होंने बताया कि सम्मानों के चयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसके अन्य सदस्य थे, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. श्योराज सिंह ‘बेचैन’ तथा सुप्रतिष्ठ लेखक डॉ. हरिसुमन बिष्ट (दिल्ली)।
समिति को ‘नई धारा’ में अप्रैल, 2020 से मार्च, 2021 तक के अंकों में प्रकाशित रचनाओं में से ही रचनाकारों का चयन करना था। ‘नई धारा’ के संपादक डॉ. शिवनारायण ने बताया कि वर्ष 2021 का आयोजन एक दिसम्बर, 2021 को पटना में किया जाएगा, जिसमें सभी रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बीते 72 वर्षों से निरंतर प्रकाशित हो रही ‘नई धारा’ में सम्मानों का आरंभ 2007 से हुआ। यह सम्मान अब तक सर्वश्री रामदरश मिश्र, हिमांशु जोशी, कुंवर नारायण, चित्रा मुद्गल, विवेकी राय, महीप सिंह, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, अशोक चक्रधर, केदारनाथ सिंह, मैत्रेयी पुष्पा, मृदुला सिन्हा, मैनेजर पाण्डेय, नरेश सक्सेना एवं चंद्रशेखर कंबार आदि साहित्यकारों को दिए जा चुके हैं।
डॉ. शिवनारायण ने बताया कि 15वां ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ पाने वाली प्रसिद्ध लेखिका सूर्यबाला का जन्म 25 अक्टूबर, 1944 ई. को वाराणसी में हुआ। उनकी पी-एच.डी तक की शिक्षा वाराणसी में हुई और व्याख्याता पद पर प्रथम नियुक्ति भी बनारस विश्वविद्यालय डिग्री कॉलेज में हुई। इन दिनों वे मुंबई में रहती हैं। उन्होंने कहानी, उपन्यास, व्यंग्य आदि विधाओं में 25 से अधिक पुस्तकों की रचना की है, जिनमें दीक्षांत, यामिनी कथा, अग्निपंखी, सुबह के इंतजार तक, मेरे संधिपत्र (उपन्यास), इंद्रधनुष, दिशाहीन, थाली भर चांद, मानुषगंध (कहानी-संग्रह), भगवान ने कहा था, देश सेवा के अखाड़े में, अजगर करे न चाकरी (व्यंग्य) आदि महत्त्वपूर्ण हैं।
सुप्रतिष्ठ लेखक विनोद कुमार सिन्हा का जन्म 17 फरवरी, 1942 ई. को सीतामढ़ी (बिहार) के एक गांव बेलाही, नीलकंठ में हुआ। हिन्दी की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित होती रही है। इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें ‘लजता पंजाब मांग रहा आब, राष्ट्रभाषा हिन्दी कुछ विचार (निबंध-संग्रह), आठ कोठी बांस (कहानी-संग्रह), बेटी एक गांव की (काव्य-संग्रह) आदि प्रमुख हैं।
तेलुगु के चर्चित कवि डॉ. याकूब का जन्म 2 मार्च, 1962 को तेलंगाना प्रदेश के खम्मं जिला स्थित रोत्तमकु, रेवु नामक गांव में हुआ। तेलुगु साहित्य में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे एक कॉलेज में प्राध्यापक हो गए। वे छुटपन से ही कविताएँ लिखते रहे, जिन्हें प्रचुर ख्याति मिली। उनकी चर्चित काव्य-पुस्तकों में प्रवाहिंची ज्ञापकं, सरिहद्दु रेखा, येडतेगिनि प्रयान, नदीमूलम लांती आदि हैं। तेलुगु साहित्य की आलोचना पर भी उनकी अनेक पुस्तकें छपी हैं। वे इनदिनों हैदराबाद में रहकर साहित्य-साधना कर रहे हैं।
चर्चित लेखिका अंजू रंजन भारतीय विदेश सेवा की वरिष्ठ अधिकारी हैं और वे भारत के कॉन्सल जेनरल के रूप में जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रिका) में पदस्थापित हैं। वे कविता, कहानी, संस्मरण आदि विधाओं में निरंतर लिखती रही हैं। उनकी चर्चित पुस्तकों में ‘प्रेम के विभिन्न रंग’, ‘विस्थापन और यादें’ (दोनों कविता-संग्रह), ‘वो कागज की कश्ती’ (संस्मरण), ‘मेरी कोरोना डायरी’ आदि प्रमुख हैं।