डॉ॰ मनोज कुमार ने प्रशिक्षण शीविर में बताया मानसिक स्वास्थ्य के बारे में । पटना,संवाददाता। आज बिहार लीगल नेटवर्क के तत्वावधान में आयोजित अधिवक्ताओं का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न हुआ। दो दिवसीय इस प्रशिक्षण में बिहार के सभी जिले से अधिवक्ताओं ने शिरकत की।कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आज सभी एडवोकेट को विपरीत परिस्थितियों और न्याय की लंबी प्रकिया से होनेवाले तनाव और इससे उत्पन्न समस्या के निराकरण कौशल पर डॉ॰ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक चिकित्सक द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर प्रशिक्षक की भूमिका निभा रहे डॉ. मनोज कुमार ने सूबे के वकीलों से उनके प्रोफेशनल जीवन के साथ समाजिक जिम्मेदारी के बीच तालमेल रखने की बात कही। इस कार्यशाला में डॉ मनोज ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि लोगों की नजर में अधिवक्ता न्याय दिलाने वाले ऐसे मसीहा हैं, जो समाज में अपने बौद्धिक संपदा के लिए जाने जाते हैं। संविधान के प्रहरी होते हुए वकील समाज के हर वर्ग के लिए कार्य करते हैं। ऐसे में न्याय की आस लिए लोगों में अनेक प्रकार के स्ट्रैश आधारित समस्या हो जाती हैं।
इस अवसर पर उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की चर्चा के आलावा वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर रखने के तरीके पर भी चर्चा की। अपने संबोधन में डॉ मनोज ने कह कि न्याय के लिए केस लङने वाले लोगों के पास ज्यादातर नकारात्मक महौल और उदासीनता होती है। वकील भी इसी नकारात्मक प्रभाव से ग्रसित होते रहते हैं। अगर अधिवक्ता अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख करें तो वह अपने क्लायंट की बेहतर मदद कर सकते हैं। एक अच्छा अधिवक्ता, एक बढिया काउंसलर भी हो सकता है, जिससे रेप, मर्डर, अन्य जघन्य अपराधों से ग्रसित लोगों के परिजनों को उनकी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर बचाया जा सकता है।
बिहार के अधिवक्ताओं के लिए आयोजितदो दिवसीय इस कार्यशाला में पहले दिन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से जुड़े, कानून, मुआवजा और मैला ढोने की कुप्रथा को लेकर कानूनी चर्चा की गयी। दूसरे दिन मेंटल हेल्थ और जेंडर भेदभाव, कोरोना में महिलाओं पर घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी से संबन्धित चर्चा एवं प्रशिक्षण कार्य संपन्न हुआ।
अधिवक्ताओं की संस्था बिहार लीगल नेटवर्क ने दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर, ” स्टेट लेवल कैपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग ऑफ एडवोकेट्स ” कार्यक्रम 29-30 दिसंबर तक राजधानी पटना के संपतचक स्थित प्रशिक्षण केंद्र “ईगल व्यू” के सभागार में हुआ। आज कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार लीगल नेटवर्क की प्रोजेक्ट डायरेक्टर एवं पटना हाई कोर्ट की अधिवक्ता सविता अली ने की।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर सविता अली ने बिहार लीगल नेटवर्क के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि बिहार लीगल नेटवर्क वकीलों और सामाजिक कानूनी पेशेवरों का एक नेटवर्क है, जो समाज के कमज़ोर वर्गो को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है। बिहार लीगल नेटवर्क के प्रोग्राम को ऑर्डिनेटर आमिर सुबहानी ने बताया कि यह नेटवर्क कैसे जिलों में काम करता है। जबकि दलित अधिकार कार्यकर्ता राजेश्वर पासवान ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से जुड़े कानून और मुआवजा को लेकर अपने अनुभव बताए।
पटना हाईकोर्ट अधिवक्ता नंद कुमार सागर ने मॉब लिंचिंग, मैला ढोने की कुप्रथा से जुड़े कानून और मुआवजा के बारे में चर्चा की। महाराष्ट्र से आए वरिष्ठ अधिवक्ता राव मोहन ने धर्म और जाति के परिप्रेक्ष्य में कोर्ट के फैसले और संवैधानिक मूल्यों की जानकारी दी।
लखनऊ से आई अधिवक्ता आलिमा जैदी और रांची से आई अधिवक्ता बबली ने महिलाओं और बच्चों से जुड़े पोक्सो कानूनों के बारे में बताया। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सैयद निगरिश ने न्यायायिक प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियां और सुप्रीम कोर्ट के रूलिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी।