वर्ष 2022 का ज्योतिषीय विश्लेषण। यह आलेख एक असहनीय पीड़ा में लिखा जा रहा है। अभी हाल ही एक दुर्घटना में देश ने अपने रक्षा प्रमुख के साथ साथ देश के अप्रतिम वीरों को खोया है। असहनीय पीड़ा इसलिए भी कि ग्रहों और प्रकृति द्वारा बार बार इस तरह की दुर्घटनाओं का संकेत मिलने के बाद भी हम कुछ नहीं कर पाते।
किसी चीज को जानना ज्ञान है, उसे पहचानना विज्ञान है और उसके साथ एकात्म स्थापित करना ज्योतिष है। समग्रता और विविधता के बीच का एकात्म ज्योतिष है। मैं समय समय पर विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म पर अपने आलेखों के माध्यम से ग्रहों के संकेत को सबके साथ साझा करती रही हूं।
ज्योतिषिय शोध बताते हैं कि भारतवर्ष जब भी इस तरह के संकट से गुजरा है तब तब, बृहस्पति, शनि और मंगल एक दूसरे के साथ खास संवाद स्थापित करते हैं। मेरे कुछ वर्षों के शोध में मैंने पाया है कि जब जब इन ग्रहों के बीच एक खास संवाद स्थापित होता है, तब तब देश को संकट की घड़ी से गुजरना पड़ता है। चाहे वह युद्ध हो, सीमा सम्बन्धी विवाद हो, आंतरिक अस्थिरता हो या दो पूर्व प्रधानमंत्रियों की हत्या।
फिलहाल ग्रहों की वर्तमान स्थिति के अनुसार मंगल सामने से राहु से प्रभावित तो दिख रहा है लेकिन वास्तव में उसने अपनी नजदीकी शनि के साथ बनाकर रखी है।मंगल शनि के इस अनोखे मेल के समय शुक्र भी धीरे-धीरे अस्त और अनुगामी होने की तैयारी कर रहा है। इन्हीं स्थितियों के आधाऱ पर आइये देखेते हैं वर्ष 2022 के लिए भारत में ग्रहों के संकेत क्या हैं।
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ग्रहयोग संकेत करते हैं कि—
1.वर्ष 2022 भी पूर्णरुपेन म संक्रमण और महामारी से मुक्त नहीं हो पाएगा।संक्रमण के नाम पर होने वाले षड्यंत्रों में वृद्धि हो सकती है। दिल्ली, पंजाब, काशी, कश्मीर में पित्त रोग का प्रकोप और आँखों का रोग बढ़ सकता है। 2 – आर्थिक मंदी- आर्थिक मंदी भी इस वर्ष बरकरार रहे सकती है। 3 – केंद्रीय सत्ता- केंद्रीय सरकार को कमजोर करने और केंद्रीय साख को धूमिल करने की पुरजोर साजिशें बाह्य ताकतों द्वारा की जाती रहेंगी। एक प्रकार से कहा जाये तो यह वर्ष केंद्रीय सरकार के लिए ह्रदय शूल देने वाला होगा। 4– नए साल में एक ऐस बदलाव की शुरुआत होगी, जो शताब्दियों में एक बार होता है। सिर्फ देश में न केवल अंदरूनी बदलाव के संकेत मिल रहे होंगे बल्कि सत्ता के स्तर पर विकेन्द्रीकरण भी संभव है। 5 – देश ही नहीं वरन विश्व राजनीति में Paradigm Shift का संकेत मिल रहा है। 6 – एक के बाद एक लगातार हर फ्रंट पर कई बदलाव महसूस किये जायेंगे। 7 – सीमावर्ती इलाकों और सीमा क्षेत्र में आधारभूत संरचना को मजबूत किया जाएगा। सिर्फ कूटनैतिक प्रयासों में ही तेजी नहीं लाई जाएगी, वरन रक्षा तंत्र को और मजबूत किया जाएगा। 8– खेती किसानी-खेती किसानी के लिए पिछले वर्ष की अपेक्षा बेहतर वर्ष होगा। 9 – कला के क्षेत्र में महिलाओं द्वारा नए कीर्तिमान गढ़े जायेंगे। 10 – मंगल शनि सूर्य के साथ को गुरु शुक्र का समर्थन प्राप्त होना और मंगल और शनि के साथ के समय राहु का मेष राशि में होना, शनि मंगल के साथ राहु का केन्द्रगत सम्बन्ध बनाना, देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने का संकेत तो दे ही रहे हैं, साथ ही साथ हम सभी को भी सतर्क और सचेत रहने का संकेत दे रहे हैं। एक महत्वपूर्ण संकेत यह कि इस प्रयास में हलकी सी ढिलाई भी देश को संकट में डाल सकता है, युद्ध जैसे हालात बनाया जा सकता है। सीमा सम्बन्धी विवाद भी तूल पकड़ सकता है। आंतरिक अस्थिरता भी महसूस की जा सकती है। 11– सीमा पर दुश्मनों से निपटने के लिए सरकार के पास पर्याप्त सेना है पर देश के भीतर के अराजक तत्वों से लड़ना सरकार के लिए एक अहम् चुनौती होगी। 12 – मिशन POK पर कार्रवाई तेज हो सकती है, इससे पाकिस्तान की परेशानी भी बढ़ेगी। 13 – महंगाई बढ़ती ही रहेगी। 14 – डाक्टरों एवं कलाकारों के लिए यह नया वर्ष कष्टकारी ही रहेगा। 15 – पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में राजनीतिक संघर्ष बढ़ेगा। 16 – जनवरी माह में आगजनी/ विस्फोट की घटनाओं के साथ साथ प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति भी बनी रह सकती है। 17 – दुराचार और आपसी द्वेष-भाव की प्रवृत्ति बढ़ती हुई दिखेगी। 18 – भारतीय शिक्षा व्यवस्था, भारतीय अर्थव्यवस्था, भारतीय न्याय व्यवस्था में आने वाले वर्ष में बृहष्पति के मार्गदर्शन में एक नया रंग मिलेगा। 19 – जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों में तेजी आएगी। 20 – संविधान के अनुच्छेद 25-30 में परिवर्तन कर अल्पसंख्यकों को नए सिरे से परिभाषित किया जा सकता है।
कृष्णा नारायण (लेखिका दिल्ली की प्रसिद्ध ज्योतिषी हैं)