Amrita choubey झारखंड की बेटी और बिहार की बहु। अमृता चौबे पिछले कई वर्षों से विदेश में रह रही हैं। पहले कई सालों तक यूएसए में फिर पांच सालों से लंदन में रहते हुए भी अमृता बिहार और झारखंड की मानवता के लिए सहयोग का संस्कार तो संजोए हुए हैं ही साथ ही यहां की कला और संस्कृति का परचम भी वहां फहरा रही हैं। उनके ऐसे ही एक कार्यक्रम में zoom meat पर उनसे मुलाकात के बाद xposenow.com के लिए मुकेश महान ने उनसे लंबी बातचीत की। यहां प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश-
Amrita choubey जब जूम ऐप पर आपसे मुलाकात हुई तो पता चला कि आप लंदन में रहते हुए भी पटना बिहार के एक ओल्डएज होम आश्रय के लिए फ्री मेडिकल कंसलटेंसी उपलब्ध करवा रही हैं। बिहार के प्रति आपका यह प्रेम ! कोई खास वजह?
– जी अच्छे और नेक काम करने की कोई वजह नहीं होती। सिर्फ नियत होनी चाहिए। और ऐसे काम करने के बाद जो सकून और सुख मिलता है, उसकी अनुभूति की क्षमता होनी चाहिए। बस काम तो होता चला जाता है। रही बात बिहार से विशेष प्रेम या लगाव की बात, तो मैं आपको बता दूं कि बिहार के भागलपुर में मेरा ससुराल है और झारखंड के जमशेदपुर में मेरा मायका। मेरे जन्म के समय तो झारखंड था ही नहीं, वह बिहार का ही हिस्सा हुआ करता था। इस लिहाज से भी बिहार के प्रति मेरी जिम्मेदारी तो बनती ही है। बस जब भी कोई मौका बिहार के लिए कुछ करने का आता है तो मैं कोई चूक नहीं करती ।
फिलवक्त आप लंदन में क्या कर रही हैं Amrita choubey जी?
– वैसे तो मैं पेशे से रेंट ऑन क्लाउड में एच आर मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं। मेरे पति भी यहीं एक मल्टीनेशनल कंपनी एसेंचर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। और यहीं सेटल्ड हैं। इसके अतिरिक्त मैं एक सामाजिक संगठन बिहारी कनैक्ट, UK की जॉइंट सेक्रेटरी और सोशल वेलफेयर ऑर्गेनइजेशन मिशन सहयोग की कम्यूनिकेशन और स्ट्रैटेजी मैनेजर भी हूं। इन्हीं संस्थओं के साथ मिलकर मैं सामाजिक कार्य भी करती रहती हूं।
ये बिहारी कनैक्ट क्या ?
– बिहारी कनैक्ट-UK में बिहारियों की एक संस्था है। यह ननप्राफिटेवल और सामाजिक संस्था है। इस संस्था के माध्यम से यूके में रहने वाले सभी बिहारी एक दूसरे से जुड़ते हैं या जुड़े रहते हैं।
क्या काम करती है यह बिहारी कनेक्ट संस्था?
-दरअसल बिहारी कनेक्ट यूके की एक संस्था है जो यूके में रहने वाले हर बिहारियों को आपस में एक दूसरे से जोड़ती है। साथ ही बिहार की संस्कृति को विदेशों में संचारित भी करती है। इसके साथ ही यह संस्था ढेर सारी सामूहिक और जनकल्याण का काम भी करती है। कोरोना संक्रमण के पहले और दूसरे फेज में जरूरतमंदों के बहुत काम आया बिहारी कनेक्ट। अब अच्छी बात ये है कि ये यूके से बाहर निकल कर ग्लोबल हो रही है। बिहारी कनेक्ट UK ज़रूरतमंदों को आत्मनिर्भर बनने के लिए भी सहायता करती है,, फंड रेजिंग की सहायता से।
और मिशन सहयोग क्या है Amrita choubey जी ?
मिशन सहयोग– जैसा नाम वैसा ही इसका काम है। इसका मकसद ही जरूरतमंदों को ढूंढना और उन्हें मदद करना है। हाल ही में इस संस्था की स्थापना डा. सानिया शर्मा ने की है। अभी सानिया जी भी यूके में ही रह रही हैं। मतलब अभी ये संस्था यूके से ही संचालित होती है। यह अभी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में है। लेकिन रजिस्ट्रेशन के पहले ढेर सारे सहयोग के काम अबतक इसने कर दिये हैं। हां. यह जरूर है कि फंड की कमी अक्सर संस्था महसूस करती है। लेकिन संस्था से जुड़े लोग आपस में ही मैनेज कर लेते हैं। और दूसरी बात ये भी है कि कई ऐसे सामाजिक और कल्याणकारी कार्य होते हैं जिनके लिए पैसे की कम, सिर्फ चाहत और इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। थोड़ा सा समय लगता है और थोड़ा सा एफर्ट लगाना पड़ता है बस।
जैसे कोई उदाहरण दे सकती हैं आप…
सुना है कि आप बिहार और झारखंड का संस्कृति और लोक कला का प्रचार-प्रसार वहां भी लंदन में करती रही हैँ?
रही बात संस्कृति की तो मैं यूएसए में और यूके दोनों ही जगह अपना व्रत त्योहार मनाती रहती हूं। तीज जैसे पर्व तो मैं करती ही हूं, छठ करने वाली दूसरी बिहारी औरतों के साथ मैं खुद से जुड़ी रहती हूं, छठ के लोक गीतों को मैं खुद ही बड़े मनोयोग से गाती हूं, पकवान बनाती हूं और वाटर टैंक में सूर्यदेव को अर्घ्य भी देती हूं। इस तरह आप कह सकते हैं कि बिहार की संस्कृति का निर्वहन जरूर मैं अपनी ओर से करती हूं।
अपने बारे में कुछ और बताइए…?
-मैं टाटा नगर में पली बढ़ी हूं। मेरी प्रारंभिक शिक्षा, शिक्षा निकेतन हिंदी मीडियम से हुई है और मैंने रसायन विज्ञान ऑनर्स विषय के साथ स्नातक की शिक्षा जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज से की है। स्नातकोत्तर की पढ़ायी मैंने जॉब के साथ साथ सिम्बायोसिस सेंटर फ़ॉर डिसटेंस लर्निंग के तहत ग्रेड ए से सम्पूर्ण की है।
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जमशेदपुर में IIHT & ICA में जॉब के दौरान मुझे काफ़ी कुछ सिखने को मिला। यहाँ 3 साल कुछ महीने मैंने कार्य भी किया। जहाँ मेरा प्रमोशन प्लेसमेंट अफ़सर से सेंटर हेड के पद पर हुआ। मैंने हर साल 3 से 4 बार जॉब फ़ेयर ऑर्ग्नाइज किया और भारी मात्रा में स्टूडेंट्स को लाभान्वित किया। इसके बाद मेरी शादी तय हो गई और मैंने जॉब छोड़ अपने परिवार के साथ वक़्त बिताने का निर्णय लिया। 1 साल इंगेजमेंट के पश्चात् मेरा विवाह 24 नवम्बर 2012 को अमेरिका में कार्यरत साफ्टवियर इंजिनीयर अमल अरिदम के साथ हुआ। विवाह के बाद मुझे USA जाना पड़ा। वर्क परमिट न होने की वजह से मुझे करियर ब्रेक लेना पड़ा। इस बीच मैंने पति के सहयोग से U.S में भी अपनी हॉबी गायन और नृत्य को विकसित किया।
मुझे कुकींग्स का भी बड़ा शौक़ है। यह सही है कि शादी से पूर्व मुझे सिर्फ़ सादा भोजन बनाना आता था। में तब सिर्फ अपने पिता राजेन्द्र प्रसाद चौबे के स्वादानुसार सादा भोजन बनाया करती थी। लेकिन शादी के बाद मैंने विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाना अपने पति, अपनी नानी सास, कल्याणी देवी एवं अपनी सास से सिखा। क़रीब 4 साल US में रहने के पश्चात मैं अपने पति के साथ 2016 में लंदन आयी। अपनी सास रीना पांडे की प्रेरणा से लंदन में वेस्ट हर्डस् कॉलेज में फिर से मैनेजमेंट की पढ़ायी भी मैंने पूरी की और आज एचआर मैनेजर के पद पर रेंट ऑन क्लाउड यूके में कार्यरत हूं। राजनीति की बात करें तो फिलहाल मेरा कोई लगाव राजनीति से नहीं है। लेकिन मैं राजनीतिक परिवार से रही हूं। पूर्व विधायक स्वर्गीय दीनानाथ पाण्डेय जी मेरे नाना जी हैं। मेरे श्वसुर स्वर्गीय सुभाष चंद्र पांडे मशहूर वकील रहे हैं।