फतुहा,अमरेद्र। शहर के पुनपुन नदी पर स्थित ऐतिहासिक लोहा पुल को क्षतिग्रस्त हुए नौ माह बीत गए लेकिन अभी तक इसके मरमती का कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। स्थानीय लोग अपनी जिंदगी को दाव पर लगा कर नदी पार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल 20 मई 2021 को शहर सम्मसपुर को शहर से जोड़ने वाली लोहे का पुल टूट गया था। यह पुल अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। बाईपास पुल (नया) पुल के बनने से पहले यही एकमात्र पुल से आवागमन होता था। लेकिन बाईपास पुल बनने के बाद से इस इस लोहे के पुल के मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया गया था। ओभरलोड कोयला लदा 14 चक्का वाला ट्रक गोविंदपुर से पुल पर घुसा था और ट्रक पुल को धंसाते-तोड़ते पुल के बगल में उलट गया था।
Read also-अधिकारी क्यों देते हैं व्हाट्सएप पर आदेश, जबकि गाज गिरती है कनीय कर्मचारी पर
जानकारी हो कि गंगा दशहरा, छठ, पूर्णिमा सहित अन्य शुभ अवसरों पर लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने इसी पुल से जाते हैं। वहीं सम्मसपुर स्थित श्मशान घाट भी पैदल जाने का यही रास्ता है। लोहे का पुल टूटने से लोगों को चार किलोमीटर दूर घूमकर शहर के बैंक, अस्पताल, डाकघर, हाई स्कूल सहित अन्य जगहों पर जाना पड़ रहा है।
कुछ समाज सेवियों द्वारा आपसी सहयोग से क्षतिग्रस्त स्थान पर मिट्टी और लकड़ी डाल कर पैदल चलने योग्य बनाया गया है, लेकिन पुल कभी भी और धंस कर क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे किसी बड़ी अनहोनी की आशंका लगातार बनी हुई है। इसकी जानकारी हर संबंधित विभाग को और राज्य सरकार को दी जा चुकी है। इसको लेकर लगतार गुहार लगाया गया, लेकिन कहीं से कोई उम्मीद जनता को नजर नहीं आ रही है। इस संबंध में टीम सोशल सर्विस के राजन पासवान और अनिल राज ने बताया कि पुल से प्रभावित लोगों का वोट सांसद-विधायक सहित सभी नेताओं को चाहिए। लेकिन पुल की समस्या सिर्फ पुल से प्रभावित लोगों का है पूरे फतुहा की समस्या नहीं है। इस समस्या को लेकर दूसरी ओर वार्ड पार्षद केशर प्रसाद के नेतृत्व में 27 मार्च को सांकेतिक धरना दिया जाएगा। केशर प्रसाद ने बताया कि अगर सरकार उसके बाद भी नहीं सुनेगी तो 21 अप्रैल से अनिश्चित कालीन अनशन किया जाएगा।