पटना,संवाददाता। बिहार संस्कृत विद्यापीठ में ब्रह्मलीन धर्माचार्य स्वामी हरिनारायणानंद की श्रद्धांजलि सभा में साधु, संत, महंत, प्रतिनिधि, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, रामकृपाल यादव, दीघा के विधायक संजय चौरसिया, जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पूर्व सांसद पप्पू यादव, विधान पार्षद महाचंद्र प्रसाद सिंह, अखलाक अहमद सहित कई राजनेता पहुंचे और स्वामी हरिनारायणनंद के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। विद्यापीठ के संचालक जगत नारायण शर्मा ने स्वामी जी के श्रद्धांजलि सभा में संत-महात्माओं का स्वागत किया।
श्रद्धांजलि देते हुए मथुरा के संत स्वामी हेमाकांन्त देवाचार्य ने कहा स्वामी हरिनारायणानंद का जीवन अलौकिक था, ऐसे संत विरले होते हैं, जो इस धरा धाम पर आ कर जन-जन की चेतना के उद्बोधक बनते हैं। अपनी त्याग तपस्या और सेवा से स्वामी हरिनारायणानंद ऐसे ही महापुरुष के रूप में स्मरणीय और वंदनीय हैं।
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देवाचार्य जी ने कहा कि सनातन धर्म की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए समस्त परंपराओं को एक मंच पर लाना और उसे जन जन तक पहुंचाने के लिए स्वामी जी ने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ऐसी विचारधारा और भावनाएं दी, जिससे सनातन धर्म ध्वजा आने वाली पीढ़ी के लिए भी अनुकरणीय प्रेरणा स्त्रोत रहेगा। स्वामी हरिनारायणानंद हमेशा समन्वय की बात करते थे। हर एक पक्ष को स्वामी जी अपना ही पक्ष मानते थे।
हरिद्वार से पधारे युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रवि देव जी महाराज ने कहा स्वामी हरिनारायणानंद जी महाराज ने सनातन संस्कृति को संपूर्ण विश्व में पहुंचाने का काम किया। साधु संतों को कर्तव्य बोध के बारे में जगाने का काम करते रहे। स्वामी जी विश्व पटल पर अमर कीर्ति कायम किया, जब जब मतों पंथों को एक मंच पर लाने का काम होगा तब तब स्वामी हरिनारायणानंद को याद किया जाएगा।
कबीर मठ फतुहा के महंत ब्रजेश मुनि ने कहा स्वामी हरिनारायणानंद संत परंपरा में बिहार के यशस्वी गौरव थे, जिनका लोहा सभी मानते थे, विभिन्न मतों के साधु-संतों को उनकी विरासत को आगे ले जाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनके मठों की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए जो लोभी लालची प्रवृत्ति के नकली सजायाफ्ता साधु वेश धारी लगा हुआ है, उसे दूर भगाइए स्वामी जी की विरासत को बचाइए। स्वामी जी के नाम पर बिहार संस्कृतिक विद्यापीठ में स्मृति भवन बनना चाहिए।
पप्पू यादव ने श्रद्धांजलि उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामी हरिनारायणानंद ऐसे ऋषि मुनि साधक संत थे, जो आडंबर अंधविश्वास और कर्मकांड से दूर रहकर खुद के निर्माण के साथ-साथ मानव निर्माण की भावना से अपने कर्म धर्माचारण का परिचय दिया, उन्होंने खुद के लिए और संपूर्ण मानव के लिए कल्याण का मार्ग बताया। सुधीर शर्मा ने स्वामी जी की विरासत की रक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि कोई कलंकित सजायाफ्ता स्वामी हरिनारायणानंद की विरासत पर कब्जा नहीं कर सकता। नालंदा, बिहार और देशभर में स्वामी जी के चाहने वाले ऐसा होने नहीं देंगे। चालबाज गुंडागर्दी से स्वामी जी की विरासत को खंडित नहीं होने देंगे। वरीय अधिवक्ता गिरीश प्रसाद सिंह, गोकुलपुर मठ के विजय सिंह धर्म जागरण समन्वय के प्रदेश संयोजक अवधेश कुमार, इंद्रदेव कुमार, हिंदू जागरण मंच के विनोद कुमार, संत विवेक मुनि सहित कई श्रद्धालुओं ने श्रद्धांजलि के उद्गार व्यक्त किए धन्यवाद ज्ञापन प्रबंधक देवेश शर्मा ने किया
बड़ी मठ गुरु धाम के महंत बने दिव्यानंद
इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के शिष्य स्वामी रामानंद जी महाराज भारत साधु समाज के संगठन मंत्री आशुतोष जी महाराज, फतुहा कबीर मठ के महंत ब्रजेश मुनि महाराज, युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रवि देवी शास्त्री, स्वामी हेमाकांत देवाचार्य सहित कई साधु संतों की उपस्थिति में विद्यापीठ के अध्यक्ष एवं बड़ी मठ धाम के महंत के रूप में स्वामी हरिनारायणानंद की कृपा पात्र स्वामी दिव्यानंद का चादर विधि संपन्न किया गया। स्तरिवचन पूर्वक अभिषेक करके दिव्यानंद को बड़ी मठ का महंत मान्य किया गया।
भारत सेवक समाज के उपाध्यक्ष डॉ कमल देव नारायण शुक्ला ने श्रद्धांजलि सभा में घोषणा करते हुए कहा कि बिहार संस्कृत विद्यापीठ का कुलपति निवास जिसमें स्वामी हरिनारायणानंद रहते थे, उसमें स्वामी हरिनारायणानंद स्मारक भवन सह संग्रहालय होगा। इसमें स्वामी जी के बाल काल्य से जीवन पर्यंत तक के चित्र सहित स्वामी जी के कीर्तियों से संबंधित दस्तावेज का संग्रह होगा। इसका समर्थन सचिव उमाशंकर प्रसाद एवं महंत ब्रजेश मुनि ने किया।