पटना,संवाददाता। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज एकबार फिर से नगर निकाय चुनाव को लेकर बिहार सरकार को घेरा है। पटना स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्व मंत्री भीम सिंह और भाजपा उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सरकार द्वारा बनाए गए पिछड़े आयोग पर सवाल उठाया।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व मंत्री भीम सिंह ने शनिवार को मांग करते हुए कहा कि पहले पिछड़ी, अति पिछड़ी जातियों की सूची से फारवर्ड मुस्लिम को बाहर निकाला जाए, फिर आरक्षण लागू किया जाए तब चुनाव कराया जाए। श्री सिंह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों के विपरीत आयोग का गठन किया गया। जिस आयोग का गठन किया गया, वह न ही डेडिकेटेड है और न ही इंडिपेंडेंट है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के सिटिंग न्यायाधीश की अध्यक्षता में या सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया जाए।
संवाददाता सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार का रवैया जनता की समझ से बाहर है। उन्होंने के कहा कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में भी इसी आधार पर हाल में ही चुनाव कराया गया, उसे देखते हुए चुनाव कराया जाए।
उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट का कई बार फैसला आ चुका है कि पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग को तभी आरक्षण दिया जा सकता है जब राज्य सरकार एक डेडिकेटेड कमीशन बनाये, जो राजनीतिक तौर पर दोनो वर्गों की पहचान करे और उसकी सिफारिश पर आरक्षण का प्रावधान किया जा सकता है। लेकिन सरकार ने अपने पुराने अति पिछडा वर्ग आयोग को ही डेडिकेटेड आयोग बता रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की सरासर अवमानना है।
हैरान करने वाली बात है कि राज्य निर्वाचन आयोग अपनी अधिसूचना में पिछडा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड आयोग करार दे रहा है। वह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट उसे डेडिकेटेड आयोग मानने से इंकार कर दिया है। इससे निर्वाचन आयोग पर सरकार द्वारा दबाव डाले जाने की शंका गहराती है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट को पहले कैबिनेट में जाना था, लेकिन बिना कैबिनेट द्वारा पारित किये ही सरकार द्वारा रिपोर्ट को निर्वाचन आयोग को भेज दिया गया, जो बिल्कुल गलत परंपरा है। उन्होंने सवाल उठाया कि कमीशन जो बनी नहीं वह कैसे तय कर सकती है कि कितनी प्रतिशत आबादी है और कितनी प्रतिशत आबादी पर आरक्षण दिया जाए।
केंद्र सरकार का नियम है कि आरक्षण 50 प्रतिशत होना चाहिए, लेकिन सरकार ने 37 प्रतिशत आरक्षण दिया और 13 प्रतिशत को आरक्षण दिया ही नहीं। यानी साफ़ है कि बिहार सरकार में अतिपिछड़ों के लिए तय 18 प्रतिशत आरक्षण को इन्होने 20 प्रतिशत कर दिया। वहीं पिछड़ों के आरक्षण को समाप्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार किसी भी मुद्दे पर बारीकी नजर रखते हैं लेकिन पता नहीं किस गलत जानकारी पर सुप्रीम कोर्ट का दिशा निर्देश को मान नहीं रहे। इस संवाददाता सम्मेलन में भाजपा प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल और प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश कुमार सिंह मौजूद रहे।