बिहार जाति आधारित गणना : पटना, संवाददाता। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज बिहार जाति आधारित गणना- 2023 के दूसरे चरण की शुरूआत अपने पैतृक आवास बख्तियारपुर से की। मुख्यमंत्री ने अपने पुश्तैनी घर जाकर एक सामान्य नागरिक की तरह बिहार जाति आधारित गणना – 2023 में भाग लिया और गणना कार्य के दौरान इससे संबंधित सभी आंकड़े दर्ज करवाए। जाति आधारित गणना कार्य कर रही प्रगणक सना ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके सुपुत्र निशांत कुमार से गणना से संबंधित सवाल पूछे और उनसे जानकारी लेकर कॉलम को भरा। इस दौरान मुख्यमंत्री के बड़े भाई सतीश कुमार और उनकी पत्नी ने भी प्रगणक को अपने और अपने परिवार के संबंध में जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने परिवार के प्रधान के रूप में घोषणा पत्र में हस्ताक्षर किया कि उनकी ओर से दी गई सूचना सही है। बिहार जाति आधारित गणना- 2023 के दूसरे चरण का गणना कार्य 15 अप्रैल से 15 मई 2023 तक चलेगा।
कार्यक्रम के पश्चात् पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से जाति आधारित गणना के दूसरे चरण की शुरुआत हुई है। जाति आधारित गणना से लोगों की जाति के साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति के बारे मे जानकारी मिलेगी। चाहे वो किसी भी जाति के हों, सभी लोगों की आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलेगी। सभी चीजों की जानकारी मिलने से राज्य के विकास के लिए आगे और काम करेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों को उपजाति नहीं बल्कि अपनी जाति बतानी है। कोई कंफ्यूजन होने पर पड़ोस में रहने वाले लोगों से इस संबंध में जानकारी लेनी है ताकि जाति आधारित गणना काम में कोई दिक्कत नहीं हो।
मुख्यमंत्री ने कहा जाति आधारित गणना पूरी होने के बाद इसकी रिपोर्ट पब्लिश की जायेगी। एक-एक चीज की जानकारी मिलने से लोगों की क्या स्थिति है, उन सब चीजों की जानकारी लेकर इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी जायेगी। किस जाति की कितनी आबादी है और उनकी आर्थिक स्थिति कैसी है, इसकी जानकारी मिल सकेगी। किसी जाति की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो इसे बेहतर करने का प्रयास किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि इस सब चीजों को ध्यान में रखकर जाति आधारित गणना करवाई जा रही है। जाति आधारित जनगणना कराये जाने को लेकर बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद से दो बार प्रस्ताव पास कर दिल्ली भेजा गया था। इसके बाद सभी पार्टियों के नेताओं के साथ हमलोगों ने प्रधानमंत्री जी से भी मुलाकात की थी और उनसे हमलोगों ने जातीय जनगणना कराने की मांग की थी। इसके बाद मेरे पास खबर आयी कि हमलोग जातीय जनगणना नहीं करायेंगे, अगर आप लोग अपने-अपने राज्यों में जाति आधारित गणना करवा लीजिए। हमलोगों ने सभी पार्टियों की एक बार फिर से मीटिंग करके तय किया कि बिहार जाति आधारित गणना करेंगे। जनगणना कराना केंद्र सरकार का अधिकार है, हमलोग जाति आधारित गणना करवा रहे हैं। लोगों की गिनती कर उनके संबंध में जानकारी लेकर राज्य के विकास और लोगों की सुविधा के लिए काम होगा।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्लियामेंट में भी इसको लेकर हमलोग बात कहते रहते थे। वर्ष 2011 में एक बार केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने की कोशिश की थी लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी प्रकाशित नहीं हुई। वर्ष 2014 के बाद जो सरकार केंद्र में आयी है उन लोगों ने कहा कि उसकी रिपोर्ट ठीक नहीं है। इसका मतलब है कि उस समय जो जनगणना हुई वो ठीक ढ़ंग से नहीं हुई। पहले हर 10 साल पर जनगणना का काम होता था लेकिन इतना साल बीत जाने के बाद भी अभी जनगणना नहीं शुरु हुई है। यह आश्चर्य की बात है।
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जाति आधारित गणना का असर आरक्षण के दायरे पर पड़ने को लेकर पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वो सब बाद की चीज है। एक बार जब जाति आधारित गणना का काम पूरा हो जायेगा तो इस सब चीजों के बारे में जो कुछ भी करना होगा वो किया जायेगा। लोगों की आर्थिक स्थिति भी देखी जायेगी और उनकी मदद की जायेगी। अपर कास्ट को भी 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया है। अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़े वर्गों के लिए करीब 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है। हमलोग जाति आधारित गणना करके केंद्र सरकार को भी बता देंगे कि लोगों की ऐसी स्थिति है। केंद्र को मदद करनी है या नहीं करनी है, वे लोग जानें लेकिन राज्य को अपने हिसाब से लोगों की जो भी मदद करनी है वो मदद की जायेगी।