● क्षेत्रीय भाषाएं हिंदी के लिए बोझ नहीं है वो तो हिंदी का संवाहक बन सकती हैं। अरुण कुमार
● पुस्तक वो कॉमरेड स्स्स्सा… के लेखक श्रवण कुमार निर्भिक और निडर पत्रकार रहे हैं तभी इस विषय पर और इस शिर्षक से पुस्तक लिखने का दुःसाहस किया हैः मुकेश महान
●कॉमरेड जैसे विषयों पर इस तरह की पुस्तकों की कमी थी जिसे पत्रकार श्रवण कुमार ने अपनी लेखनी से पूरी कीः आलोक नंदन
पटना संवाददाता। पढ़ने की मेरी आदत छूट चुकी है लेकिन जब पुस्तक वो कॉमरेड स्स्स्सा… मेरे हाथों में पड़ी तो मैं इसे शुरु से अंत तक पढ़ गया। और तब मुझे लगा कि मैं भी कहीं न कहीं इस किताब का किरदार हूं। सच में ये पुस्तक उन तीन दशकों का जीवंत चित्रण है। ये बातें पत्रकार श्रवण कुमार लिखित पुस्तक वो कॉमरेड स्स्स्सा… के विमोचन अवसर पर पूर्व सांसद अरुण कुमार ने कही। पुस्तक बिहार की तीन दशक की राजनीतिक परिस्थियों पर आधारित है।
हिन्दी दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम के अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाएं हिंदी के लिए बोझ नहीं है। ये हिंदी के लिए संवाहक का काम करती हैं। हिन्दी की जीवंतता तभी बनी रह सकती है, जब हम जितनी भी स्थानीय भाषा है उसको भी सम्मान दें।
कार्यक्रम संस्था साहित्य इन सिटी और यूथ हॉस्टल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाॉवधान में आयोजित किया गया था। समारोह में मौजूद जेडी वीमेंस कॉलेज की जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष डा. आभा रानी ने कहा कि नयी पीढ़ी को हिंग्लिश के बजाय हिंदी को प्राथमिकता देना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत प्रत्यूष ने पत्रकारों को निर्भीकता से कार्य करने का आग्रह किया।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश महान ने कहा कि पुस्तक वो कॉमरेड स्स्स्सा… के लेखक श्रवण कुमार निर्भिक और निडर पत्रकार रहे हैं, तभी इस विषय पर और इस शिर्षक से पुस्तक लिखने का दुःसाहस किया है। पत्रकार आलोक नंदन ने कहा कि कॉमरेड जैसे विषयों पर इस तरह की पुस्तकों की कमी थी, जिसे पत्रकार श्रवण कुमार ने अपनी लेखनी से पूरी की।
Read also- जातीय गणना सभी के लिए जनकल्याणकारी योजना का माध्यम: तेजस्वी प्रसाद यादव
अतिथियों का स्वागत यूथ हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहन कुमार ने किया। मौके पर डॉक्टर शाह अद्वैत कृष्णा, प्रेम चौधरी, सुधीर मधुकर, मुकेश महान समेत अन्य वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार मौजूद रहे. धन्यवाद ज्ञापन जीतेंद्र सिन्हा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मृणालिनीकर रही थी।
इस भी पढ़ें- छह स्वर्ण पदक विजेता कीर्ति राज सिंह बनीं दीदीजी फाउंडेशन की ब्रांड एम्बेस्डर
कार्यक्रम में ‘ सोशल मीडिया: हिंदी के लिये चुनौती? ‘ विषय पर परिचर्चा का आयोजन भी हुआ। पत्रकारिता की छात्राओं ने इस अवसर पर सवाल भी किये, जिसका जवाब पत्रकारों ने दिया।
2 Replies to “पुस्तक वो कॉमरेड स्स्स्सा… उन तीन दशकों का जीवंत चित्रण हैः अरुण कुमार”