विषम परिस्थितियों में केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को पहली चुनी हुई सरकार मिली। इसके साथ ही उमर अब्दुल्ला के रूप में पहला सीएम भी मिला है। उमर अब्दुल्ला ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली है। राजनीतिक अनुभव भी उन्हें विरासत में मिली है। ऐसे में उनकी नई सरकार पर लोगों की नजर स्वाभाविक रूप से रहेगी। ज्योतिषी, योग और आध्यात्मिक चिंतक बी कृष्णा ने भी उनकी नई सरकार के शपथ समारोह के समय पर आधारित कुंडली का विश्लेषण किया है। यहां प्रस्तुत है उसके सार-
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने दूसरी बार बुधवार दिनांक 16 अक्टूबर 2024 को दिन के 11 बजकर 35 मिनट में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया। चतुर्दशी एवं रिक्ता तिथि में लिए गए शपथ ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति अनुसार बनने वाली कुंडली धनु लग्न की है। तृतीय भाव में शनि, चतुर्थ भाव में चंद्र, राहु, छठे भाव में वक्री गुरु, सप्तम भाव में मंगल, दशम भाव में सूर्य, केतु, एकादश भाव में बुध तथा द्वादश भाव में शुक्र हैं।
उमर अब्दुल्ला सरकार के शपथ समय पर आधारित कुंडली
कुंडली का कमजोर पक्ष है– पृष्ठोदय लग्न का उदय एवं लग्न का गण्डान्त में होना। लग्नेश का छठे भाव में होना। लग्न पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का होना। चंद्र का राहु के साथ होकर मृत्यु भाग में होना तथा शुक्र का सर्प द्रेष्काण में होना। अष्टमेश का चतुर्थ भाव में होना तथा चतुर्थेश का छठे भाव में होना।
कुंडली का मजबूत पक्ष है- तृतीयेश का तृतीय भाव में होना। नवमेश का दशम भाव में होना। दशमेश का एकादश भाव में होना, दशम भाव पर गुरु की दृष्टि होना तथा दशम में दिग्बली सूर्य का होना।
लग्न का मूल नक्षत्र में होना, चन्द्रमा का ऊर्ध्वमुखी नक्षत्र में होना, मृत्यु भाग में होना, दशम भाव पर गुरु की दृष्टि होना कुंडली को बल प्रदान कर रहे हैं। लग्नेश और एकादशेश की युति में द्वादश भाव का मिलना इसको और भी बल प्रदान कर रहा है। चंद्र का राहु के साथ होना तथा इससे केंद्र में मंगल का होना इनके आक्रामक तेवर का संकेत दे रहा है।
क्या संकेत मिलते हैं?
क्या उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर में चुनौतीपूर्ण एवं सशक्त अध्याय लिखने में कामयाब हो पाएंगे? योग, लग्न, वार, तिथि एवं ग्रहों के योग से बनने वाले योगों के अनुसार कई महत्वपूर्ण संकेत दिख रहे हैं।
मसलन पहला तो उमर अब्दुल्ला को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी होगा।(यह संकेत शपथ समारोह की कुंडली के से दिख रहा है। इसे उनकी कुंडली के साथ मिलाकर देखे जाने से ही सही स्थिति सामने आ पाएगी।) इसके अतिरिक्त स्वयं में व्यापक बदलाव लाने की जरूरत पड़ सकती है। पहले से चली आ रही चुनौतियों का पुनर्विश्लेषण और पुनर्विचार भी जरूरी होसकता है। दुश्मनों से निपटने में आलस्य त्यागने और त्वरित कार्रवाई की जरूरत होगी अन्यथा नुकसान झेलना पड़ सकता है। धर्म से संबंधित समस्याएं अपना सिर उठाएंगी और मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। केंद्र के साथ भी संतुलन बनाए रखने की जरूरत होगी।
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ग्रहों संकेतों को समझते हुए यदि वे ऐसा कर पाएंगे तो तमाम विषम परिस्थितियों से प्रदेश को बाहर निकालने वाले तो वो होंगे ही एक नया एवं सशक्त अध्याय लिखने का श्रेय भी उन्हें मिल सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस बार उमर अब्दुल्ला का एक नया और बदला हुआ रूप से लोगों का परिचय होगा।
(यह लेखक का अपने विश्लेषण पर आधारित निजी विचार है।)
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