अगले साल उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने वाला है, इससे पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे का कई राजनीतिक मायने हैं. सबसे पहले पूरी घटनाक्रम को देख लें. उत्तराखंड के CM Trivendra Singh Rawat ने आज करीब 4.15 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उत्तराखंड में दो दिनों से चल रहे सियासी कयासबाजी पर तत्काल विराम लग गया और विपक्ष को एक नया मुद्दा भी हाथ लग गया. वहीं बीजेपी आलाकमान की ओर से बुधवार को नए सीएम के नाम पर खुलासा हो सकता है.
बता दें कि नए मुख्यमंत्री के लिए सांसद अनिल बलूनी, अजय भट्ट और प्रदेश सरकार के मंत्री धन सिंह रावत प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. इन तीनों में धन सिंह रावत का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. सूत्रों की माने तो इससे पीछे उनका आक्रामक तेवर माना जा रहा है. बता दें कि आज (मंगलवार) देर रात तक केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह और दुष्यंत गौतम के देहरादून पहुंचने की संभावना है. बुधवार या गुरूवार को उत्तराखंड बीजेपी विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम का फैसला लिया जाएगा.
त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा मिलने के बाद राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ‘उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजभवन में भेंट कर मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र सौंपा. श्री रावत का इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनसे राज्य में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होने एवं पदभार ग्रहण करने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है.’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री @tsrawatbjp ने राजभवन में भेंट कर मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र सौंपा। श्री रावत का इस्तीफ़ा स्वीकार करते हुए उनसे राज्य में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होने एवं पदभार ग्रहण करने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है। pic.twitter.com/DLObwrUkCX
— Baby Rani Maurya(modi ka parivar) (@babyranimaurya) March 9, 2021
सूत्रों कि माने तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला केंद्रीय नेतृत्व ने पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर लिया था. पर्यवेक्षकों ने कोर ग्रुप के साथ विधायकों-सांसदों के साथ चुनाव की रणनीति को लेकर चर्चा की तो उन्हें सीएम रावत के नेतृत्व में चुनाव होने से चुनाव को लेकर स्थिति बहुत अच्छी नहीं होगी. केंद्रीय नेतृत्व को सौंपे गए पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की ओर इशारा करने लगी थी.
कैसे हुआ दिल्ली में उत्तराखंड का खेल
सोमवार देर शाम जब सीएम रावत अपनी कुर्सी बचाने के लिए दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. उनका दिल्ली पहुंचना उनके दांव को उल्टा कर दिया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट का हवाला दिया और जल्द से जल्द इस्तीफा देने का भी निर्देश दे दिया. दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद रावत मंगलवार दोपहर देहरादून पहुंचते ही कुछ घंटों बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
कौन-कौन है रेस में आगे
उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं. इनमें राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत रेस में सबसे आगे हैं. इसके अलावा सतपाल महाराज का नाम भी इस रेस में लिया जा रहा है. बता दें कि उन्होंने हाल ही में संघ के प्रमुख नेताओं से इस सिलसिले में मुलाकात की थी. गौरतलब है कि साल 2000 में राज्य गठन के बाद से कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया.
….तो क्या इस वजह से गई कुर्सी
सूत्रों की माने तो उत्तराखंड में असंतुष्ट नेताओं के साथ बेलगाम होती ब्यूरोक्रेसी और जनता के बीच घटती लोकप्रियता कुर्सी जाने की अहम वजह है, लेकिन एक और मामला सत्ता के गलियारों में चर्चा में है. इसे भी त्रिवेन्द्र सिंह रावत की कुर्सी जाने से जोड़ा जा रहा है. मामला गंभीर भ्रष्टाचार से जुड़ा है जिस पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.
कहीं भ्रष्टाचार का आरोप तो नहीं ले डूबा…
सीएम रावत पर एक पत्रकार ने आरोप लगाया था कि उन्होंने 2016 में अपने करीबी रिश्तेदार के खाते में घूस के पैसे ट्रांसफर कराये. नोटबंदी के समय झारखण्ड में भाजपा की सरकार थी और त्रिवेन्द्र सिंह रावत वहां के प्रभारी थे. रावत ने एक व्यक्ति को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनवाने के एवज में घूस की रकम ली थी. आरोप लगा कि इस पैसे को उन्होंने अपनी पत्नी की बहन के खाते में ट्रांसफर करवाया. इस आरोप के बाद पत्रकार पर देहरादून में कई मुकदमें दर्ज किये गये थे. इन मुकदमों को रद्द करने के लिए पत्रकार ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे.