हिंदी माध्यम में कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म कर जोश से लबरेज़ एक छात्र अगर देश की प्रशासनिक सेवा में जाना चाहता है, तो उसकी पहली और आख़िरी मंज़िल होती है दिल्ली का मुखर्जी नगर. सड़कों और गलियों तक 100 प्रतिशत सफलता के दावों से पटा पोस्टर उनके आत्मविस्वास को और बढ़ा देता है इसके साथ ही अभ्यर्थियों को लगने लगता है कि वो सही जगह आ गये हैं.
देर से पता चलता है ठग लिए गये
समय बीतने के साथ उन्हें ये धीरे-धीरे एहसास होने लगता है कि जो खेत बेच कर 1,50,000 रुपए फ़ीस के और उसके बाद लगभग 10,000 रुपए हर महीने पेट काट कर परिवार जो उन्हें खर्च के लिए दे रहा है, उससे कैसे कुछ सालों में इन कोचिंग संस्थाओं के मालिकों का करोड़ों का फ़्लैट वहीं तैयार हो जाता है और लगातार चान्स लेने के बाद भी छात्र Interview तो दूर UPSC Mains तक नहीं पहुँच पाते. हालाँकि इसमें सिर्फ़ दोष कोचिंग संस्थाओं का ही नहीं है, बल्कि 90 फ़ीसदी से ज़्यादा छात्र खुद भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं. यही वो मूल ध्यान हटाऊँ कारण है जिनके पीछे, पिछले कुछ सालों से इन संस्थाओं की चोरकटई छुपी हुयी है.
कैसे कोचिंग संस्थान करते हैं ठगी
जब तक ऑफ़लाइन पढ़ाई का वक्त था, छात्र को जब तक ये समझ आता था कि मैं ठग लिया गया, तब तक काफ़ी लेट हो जाता था. लेकिन धन्य हो कोरोना का जिसने मजबूर किया इस संस्थाओं को ऑनलाइन पर आने के लिए और इनके पर्दे धीरे-धीरे फ़ास होने लगे. Admission के वक्त बड़े बड़े टीचरों के नामों का प्रोमो के साथ फुल कोर्स का एलान, लेकिन महीने भर के अंदर ही सतही टीचरों का लेक्चर शुरू, जो अब बदलेगा नहीं बल्कि अलग-अलग कारण बताकर यही टीचर बन जाते हैं अब इन छात्रों की तैयारी का भविष्य. ये धोखा नहीं तो क्या है ? क्या ये सतही टीचर उन अनुभवी टीचरों की तरह प्रतियोगिता की तैयारी का टिप्स दे सकते हैं जिन्होंने अपने सालों के अनुभव के आधार पर अब तक देश को सैकड़ों अधिकारी तैयार करके दिए? बात साफ़ है अच्छे टीचर अच्छे पैसे लेंगे जो ये देना नहीं चाहते.
यहां लाखों के भाव बिकते हैं LBSNAA के सपने
ऑनलाइन में हद तो तब हो जाती है जब कुछ संस्थान IAS की तैयारी के नाम पर विषय वस्तु कम और सपने बेचना शुरू करता है. पूरे जोशीले अन्दाज़ और रोचक कहानियों से जोड़कर Lbsnaa तक की आपकी यात्रा का हरेक स्टाप समझाते हैं वो छात्र को, और क़ीमत सिर्फ़ 500 रुपए. इनका दावा है कि अगर छात्र “चाणक्य द्वारा चंद्रगुप्त को दिये गये रूटीन” फ़ॉलो करें तो दुनिया की कोई भी ताक़त उसे Lbsnaa पहुँचने से नहीं रोक सकती. और जब उनसे उनके पिछले कुछ सालों के छात्रों की सफलता पर बात करें तो कन्नी काट लेंगे.
मुखर्जी नगर…कल, आज और कल
पिछले साल भर से मुखर्जी नगर के इन संस्थानों पर नज़र डालते हुए मुझे एहसास हुआ, जैसे यहाँ के ज़्यादातर संस्थान विषय वस्तु के मामले में खोखले हो चुके हैं. और जब बुनियादी ट्रेनिंग सेंटर ही गर्त में होगा तो फिर हिंदी के दिन व दिन गिरते रिज़ल्ट पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. ऐसा नहीं है कि सभी ऐसे ही हैं. इन्हीं संस्थानों के बीच कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जिनके मुखिया का कोई भी विवेचन किसी भी विषय में YouTube पर देख लें तो खुद एहसास होगा. जितना लोगों से सुना और देखा उसके आधार पर उसमें है वो बात जो 1000 के भीड़ वाले क्लास में से कम से कम 100-50 को तो वहाँ तक पहुँचा ही देगा. और आख़िरी में मित्रों इन संस्थानो के “MOCK INTERVIEW” को देखकर कभी प्रभावित नहीं होना. ये हर संस्थान Open To All रखते हैं. ये पहले Record किए जातें हैं और नतीज़ा आते ही ऐसे दिखाया जाता है जैसे ये उन्हीं का छात्र हो.
Career चौक क्या कर रहा है खास
तो मित्रों एक बार फिर से महामारी के बाद मुखर्जी नगर का बाज़ार एक बार फिर से आबाद होने का इंतज़ार कर रहा है, आप सब वहाँ जाएँ ज़रूर लेकिन बुद्धि और विवेक से ही UPSC की तैयारी के लिए संस्थान का चयन करें. ऐसे में Career चौक की कोशिश है प्रतियोगिता परीक्षा जुड़े वैसे मसले जो सीधे छात्रों से जुड़ें उनपर खुलकर बहस हो, ताकि फ़ीस के रूप में दिया गया हमारा पैसा सही तरीक़े हमें तैयार करने में काम आ सके, क्यूँकि ये मेहनत के पैसे हैं, और आपकी मेहनत भी बे वजह बर्बाद न हो !!
Career चौक का ये है मकसद
अगर आप सच में इसे लेकर चिंचित हैं और समझते हैं कि इस पर एक खुली बहस होनी चाहिए, तो इंतज़ार न करें किसी और के पहल करने की, हमें मैसेज में अपना नम्बर डालें और अपना विचार Record करवायें. Recording का ये ऑप्शन छात्रों और संस्थानो दोनों के लिए खुला है, हमारा मक़सद हालात बदलना है सिर्फ़ बवाल करना नहीं !