- कोविड के जंग में जुटे Dr. Anil Ray कीआप बीती
पटना,सुधीर मधुकर।कोरोना के इस भयावह संक्रमण काल में अपने और परिवार की जान की परवाह किये बिना लगातार 12-12 घंटा तक कोविद मरीजों के साथ आईसीयू में रोगियों के साथ उनके जीवन के लिए जंग लड़ना कोई आसन नही होता ।लेकिन ऐसे कई योद्धा डाक्टर अपना और मरीज का जीतने का हौसला बनाये रख कर जंग के मैदान में डटे हैं। इसीलिए डाक्टरों को धरती का भगवान कहा गया है। ऐसे ही एक कोरोना योद्धा हैं खगौल निवासी एवं छाती,पेट रोग विशेषग्य एमडी फिजिसियन Dr. Anil Ray ।
Dr. Anil Ray ऐसे तो सामजिक कार्यों में रूचि रखने और सरल स्वभाव वाले सबों से हंस बातें करने वाले व्यक्ति हैं।साथ ही अपने कर्तव्यों और मेडिकल सेवा के प्रति लगनशील भी हैं।डॉ. अनिल पटना के बड़े नर्सिंग होम अपनी सेवा दे रहे हैं।
डॉ.अनिल ने बताते हैं कि पिछले कोरोना काल से ही मेरी सेवा आईसीयू में भर्ती कोविद रोगियों के लिए लगा दी गई थी। तब से आज तक मैं वहीं सेवा दे रहा हूं। अधिकांश चिकित्सकों के कोरोना पॉजिटिव हो जाने से चिकित्सकों की कमी आदि कारणों से कभी-कभी तो लगातार 12-12 घंटा कोविद मरीजों के साथ गुजारना पड़ता है। फिलहाल तो अपने परिवार को भी बताना मुश्किल हो जाता है कि घर कब पहुंचेंगे,वह भी सुरक्षित ? बाद में भावुक होते हुए अपने अंतर्मन की पीड़ा शेयर करते हैं ।कहते हैं कि लोग डाक्टर को भगवान के रूप में देखते हैं।पर आज के दौर में हम डाक्टर भी कोरोना की कोई बचाने वाली कारगर दवा नहीं होने और संसाधनों की कमी के कारण विवश हैं।…और रोगियों की काफी ख़राब हालत के बाद अपनी पूरी सेवा देने के बाद भी असहाय हो कर जब बचा नहीं पाते हैं,मरीजों की जब सांसें छीन जाती हैं, तो कितनी पीड़ा मन में होती है,इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। उसके घर वालों को इसकी जानकारी देने में भी कितनी पीड़ा होती है, कहा नहीं जा सकता।
इस पीड़ा को सहन नहीं करने वाले रोगियों के परिजन अपना गुस्सा डाक्टररों के साथ मारपीट कर और अस्पतालों में तोड़-फोड़ कर निकालते हैं। ऐसे समय में वह नहीं सोचते हैं कि ऐसा कर वह अपरोक्ष में अपना और अस्पताल में भर्ती रोगियों का ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे समय में सोचना होगा कि सब कुछ के बाद भी अगर अस्पताल में डाक्टर और नर्सिंग स्टॉफ सेवा नहीं दें तो फिर क्या होगा जीवन-मौत से जूझ रहे उन कोविद मरीजों का ..? ऐसे लोगों को सोचना होगा कि हम मेडिकल स्टाफ अपने और परिवार की जान की परवाह किये बिना इतना कुछ के बाद भी अपनी सेवा दे रहे हैं। ऐसे समय में जब आप का यार,दोस्त ,पड़ोसी ही नहीं अपना खून भी साथ छोड़ दे रहा है। शव को जलने वाले मिल नहीं रहे हैं।
डॉ.अनिल अपनी अपने साथियों की पीड़ा का बयान करते हैं कि पूरे कोरोना काल में हम जब डयूटी कर घर लौटते हैं तो अपनी पत्नी,बच्चे,माँ,बाप से भी डर से मिल नहीं पाते हैं।साथ बैठ नहीं पाते हैं कि हम कोरोना संक्रमण तो नहीं हो गए हैं।सही में बताएं इस बार अस्पताल में कोरोना मरीजों के साथ-साथ उस के परिजनों की इतना भीड़ से दिन रात सामना करना पड़ा है कि काफी सावधानी के बाद भी मैं इस समय कोरोना संक्रमण से पीड़ित हो कर घर में कोरेंटाईन हूँ।
डॉ.अनिल ने लोगों से अपील करते हैं कि ऐसे संकट काल में धैर्य, साहस और सावधानी बनाये रखें। जरुरी नहीं हो तो घर से निकलने ही नहीं।अगर निकलते हैं तो सब से पहले डबल सर्जिकल मास्क पहन कर निकलें।भीड़ से बचें, सोशल डिस्टेंसिंग का हमेशा ख्याल रखें और समय-समय हाथ धोते रहें।चेहरे पर हाथ लगाने से बचें।साथ में वैक्सीन लगाने के बारे में कहा कि इसे हर हाल में बिना कोई झिझक के लगवाएँ। मैंने भी लगाया है,किसी तरह की परेशानी नहीं हुई है और कोरोना संक्रमण के बाद भी घर में बिलकुल ठीक हूँ। यह जान बचाने में मददगार साबित होता है।
डॉ.अनिल ने बताते हैं कि एमडी फिजिसियन, रूस से पूरा करने और अपनी सेवा मालदीप में देने के बाद ,अपने और परिवार वालों की भावनाओं को ध्यान में रख कर , अपना वतन लौटने का फैसला लिया था। वतन लौटने के बाद पटना कुर्जी में सेवा देने के बाद फ़िलहाल जेल और पटना के एक बड़े नर्सिंग अस्पताल में सेवा दे रहा हूँ।जब से मेडिकल सेवा में आया हूँ ,मेरे और मेरे पिता कृष्णा लाल यादव,माँ शिवरात्रि देवी,भाई सुनील राय,संजय राय,एमबीबीएस कर रही बेटी स्नेहा एवं बीडीएस कर रही बेटी सौम्या के साथ पत्नि सागरिका रॉय का एकमत राय है की अपने प्रदेश और समाज में रह कर ही लोगों की सेवा करूँ। खगौल में जगह के आभाव के बाबजूद एक छोटा सी जगह पर अपनी सेवा सौ रूपये से शुरू ही की थी। अब कोरोना संकट काल में दिन रात अपनी सेवा कोविड मरीजों के आईसीयू वार्ड में दे रहा हूँ।
डॉ.अनिल को पत्नि सागरिका रॉय का साथ ऐसे समय में मिलना मायने रखता है। सागरिका रॉय खुद भी एक बेहतरीन कवित्री होने के कारण अपने पति और पीड़ित मानव सेवा को जोड़ कर देखते हुए कहती हैं कि सौभाग्य है मेरा कि मेरा पति पीड़ित मानव की सेवा में दिन रात लगे हैं। इससे किसी की भी जान बचता है तो, मुझे भी ख़ुशी के साथ गर्व होता है ।