उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ समपन्न हुआ आस्था का महापर्व छठ । ग्यारह सूर्य मंदिरों को ढूंढ़ा ज टुका है एक की तलाश अब भी जारी है। तमाम प....
धर्म-ज्योतिष

देश में ग्यारह सूर्य मंदिरों को पुरातत्ववेताओं ने खोजा,एक अभी भी है अज्ञात

 उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ समपन्न हुआ आस्था का महापर्व छठ । ग्यारह सूर्य मंदिरों को ढूंढ़ा ज टुका है एक की तलाश अब भी जारी है। पटना, जितेन्द्र कुमार सिन्हा। तमाम पाखंडों से दूर, प्रकृति से जुड़ने, सूर्य के साथ जीने, की हठ को ही महापर्व छठ व्रत कहते हैं। यह व्रत लोगों को बताता है कि जो अस्त होता है, उसका उदय भी होता है। इसलिए छठ पर्व में सबसे पहले अस्ताचलगामी सूर्य को तब उदयगामी सूर्य को अर्घ्य (अरग) दिया जाता है। इसलिए तो कहा जाता है कि जो मरता है, वो फिर से जन्म लेता है। छठ भी प्राकृतिक सिद्धांत का मूल है और भारतीय संस्कृति में इसी प्रकृति चक्र और जीवन चक्र को समझने का पर्व है।

छठ पर्व 2021

 लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा सनातन सभ्यता के सबसे प्राचीन त्यौहारों में से एक है। इस पर्व का उल्लेख ऋग्वेद में भी है। लेकिन अब यह पर्व समय के साथ क्षेत्र विशेष में सिमट गया है। ऐसे भी देखा जाय तो कार्तिक महीना प्रकृति में वनस्पति, औषधि, कृषि और उसके उत्पाद के ज्ञान की धारा है।

पटना में छठपूजा

  पटना के हर गली, मोहल्ला में स्वच्छता से यह महापर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया। आस्था के यब महापर्व श्रद्धा-भाव से ओत-प्रोत, सद्भावना और सहभागिता, निराजली का कठिन पर्व है, जिसमें कोई पंडित-पुजारी नहीं होता है, देवता प्रत्यक्ष रूप से दिखते रहते है, अस्ताचल सूर्य को भी पूजा जाता है, पर्व करने वाले व्रती किसी भी जाति समुदाय से परे रहते हैं और सिर्फ लोकगीत गाये जाते हैं, पकवान बनाने से लेकर, घाट पर भी कोई ऊंच-नीच, अमीर-गरीब का कोई भेदभाव नही रहता है और सभी श्रद्धा से स्वंय सहयोग करते हैं, प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस बार भी पूरे बिहार में गंगा सहित अन्य नदियों, गाँव-देहात के पोखर-तालाबों घर के आंगन और छतों  भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया गया।

छठ पर्व

 पटना के एजी कॉलोनी में पंकज कुमार विगत 10 वर्षों से लगातार भगवान भास्कर को पर्व छठ करते आ रहे हैं। उन्होंने अपने छत पर इसबार भी भगवान सूर्य को संध्या और प्रातः में भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। उन्होंने बताया कि देवासुर संग्राम के लिए शिव-पार्वती पुत्र कार्तिकेय को सेनापति बनाकर युद्ध भूमि में भेजा गया था तब माता पार्वती ने पुत्र कार्तिकेय और देवसेना की मंगलकामना हेतु अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन किया और निर्जला व्रत रखा। उन्होंने सूर्यदेव के समक्ष प्रण किया कि यदि मेरा पुत्र कार्तिकेय विजयी होकर लौट आएगा तब मैं पुनः आपकी पूजा विधिवत अर्घ्य देकर करुंगी, उसके बाद ही अपना निर्जला व्रत तोडूँगी। कार्तिकेय शीघ्र असुर संग्राम से विजयी होकर लौटे। अपने प्रण के अनुसार माता पार्वती ने पुनः निर्जला व्रत रखकर सूर्यदेव का पूजन किया और प्रातःकाल जब पूरब दिशा में सूर्यदेव अवतरित हुए तब जल और दूध से अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ा। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने छठ व्रत की यह पूजा बिहार के ही किसी गंगा घाट पर की होगी तभी अन्य प्रदेशों की अपेक्षा इसका प्रसार बिहार में ज्यादा हुआ है। इसे लोकपर्व की भी संज्ञा दी गई है।

देव में त्रिदेव के स्वरूप में हैं सूर्य देव। छठ व्रत के रूप में संपूर्ण भारत में औरंगाबाद का देव मंदिर प्रसिद्ध हैl यहां पौराणिक सूर्य मंदि...

 अनीसाबाद की रूबी सिन्हा ने अपने छत पर अर्ध्य देने के बाद बताया कि लोक आस्था का प्रतीक “छठ पर्व” हिंदुओं के  प्रमुख त्योहार में से एक है। इस व्रत में थोड़ी सी भूल होने पर दंड तुरंत मिल जाता है। इसलिए छठ पूजा करने वाले बडी़ सावधानी एवं पवित्रता के साथ पर्व को करते हैं। इस पूजा में छठि मइया (सूर्यदेव की बहन) की आराधना और सूर्यदेव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इन राज्यों के निवासी देश के विभिन्न हिस्सों सहित नेपाल, मॉरिशस आदि देशों में भी रहते हैं और वहाँ भी अब इस पर्व को मनाया जाता है।

छठपूजा 2021

 पटना के गांव में छठपूजा

जैवर ग्राम में लंका कछुआरा पंचायत के पूर्व पंच, नीलम सिन्हा ने अर्ध्य देने के बाद बताया कि देवी भगवती पुराण की एक कथा के अनुसार राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने राजा को पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने की सलाह दी। ऋषि ने यज्ञ की आहुति के लिए बनायी गयी खीर राजा की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी। इससे उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई लेकिन वह पुत्र मरा हुआ उत्पन्न हुआ। मृत पुत्र को लेकर प्रियंवद श्मशान पहुंचे और पुत्र वियोग में अपना प्राण त्यागने लगे। उसी समय ब्रह्मा जी की मानस कन्या ‘देवसेना’ प्रकट हुई और बोली कि सृष्टि की मूल प्रकृति छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूँ। हे! राजन आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के लिए प्रेरित करें। राजा ने पुत्र ईच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया। देवी षष्ठी की असीम कृपा से कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तभी से छठ व्रत पुत्र एवं पति के दीर्घायु के लिए किया जाता है। लोक परंपरा के अनुसार सूर्यदेव और छठि मइया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ पूजा में सूर्यदेव के साथ-साथ छठि मइया की भी पूजा-अर्चना की जाती है।

छठपूजा 2021

कंकड़बाग के अधिवक्ता वीणा जायसवाल ने भी अपने छत पर ही अर्ध्य दी और बताया कि कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र राजा साम्ब को सौन्दर्य पर अभिमान था। सौंदर्य के अभिमान में चूर रहने के कारण एक बार ऋषि गंगाचार्य ने उन्हें श्राप दे दिया, जिसकी वजह से वे कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए। कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए देवर्षि नारद ने राजा साम्ब को अलग- अलग स्थानों पर जाकर प्रतिमाह सूर्य की बारह राशियों की पूजा करने का सुझाव दिया था। नारद जी के परामर्श को मानकर उन्होंने अलग-अलग स्थानों पर सूर्य की बारह राशियों की पूजा की और कुष्ठ रोग से मुक्त हुए। सभी बारह स्थलों पर उन्होंने सूर्य मंदिर और सरोवरों का निर्माण कराया था। जिन बारह मंदिरों का उन्होंने निर्माण करवाया था उनमें से ग्यारह मंदिरों का पता तो हमारे पुरातत्ववेत्ताओं ने खोज निकाला पर एक का पता अभी तक नहीं लगा पाया है।

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उपलब्ध ग्यारह सूर्य मंदिरों के नाम

 उन्होंने बताया कि ग्यारह सूर्य मंदिरों में, पटना जिला के दुल्हिन बाजार स्थित उलार्क, पण्डारक (बाढ़) के पुण्यार्क, नालंदा जिला के औंगारी क्षेत्र में अंगार्क एवं बड़गाँव क्षेत्र बालार्क, औरंगाबाद जिला के देव क्षेत्र में देवार्क (ऐसी मान्यता है कि यहाँ के सरोवर में स्नान करने से चर्मरोग और कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है), बनारस में लोलार्क,  उड़ीसा में कोणार्क, चन्द्रभागा (महाराष्ट्र) नदी के किनारे वर्णार्क, अयोध्या में दर्शनार्क, मार्कण्डेयार्क, वेदार्क और एक मंदिर अज्ञात है।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.