हरियाणा में भाजपा की तीसरी ऐतिहासिक जीत है, वहीं नायब सिंह सैनी का राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत। यह जीत और और यह नई सरकार कितना विशिष्ट और महत्वपूर्ण है, इसे ज्योतिष की नज़र से देखने का प्रयास कर रही हैं दिल्ली की ज्योतिषी, योग और आध्यात्मिक चिंतक बी कृष्णा।
नई दिल्ली। हरियाणा के पंचकुला दशहरा ग्राउंड में 17 अक्टूबर 2024 को दिन के 1 बजकर 21 मिनट में नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथ समारोह के समय पर आधारित कुंडली कैसी है ? कैसी रहेगी है यह सरकार ? हरियाणा के लिए कितना कुछ कर पाएंगे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ? किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है मुख्यमंत्री को ? कुंडली विश्लेषण के आधार पर यहां जानने-समझने की कोशिश की जा रही है।
गुरुवार का दिन और हर्षण योग में लिए गए शपथ ग्रहण के समय के अनुसार बनने वाली कुंडली मकर लग्न की है। द्वितीय भाव में शनि, तृतीय भाव में चंद्र, राहु, पंचम भाव में वक्री गुरु, छठे भाव में मंगल, नवम भाव में केतु, दशम भाव में बुध, सूर्य तथा एकादश भाव में शुक्र विराजमान हैं।
कुंडली की मजबूत कड़ी है- गुरुवार, हर्षण योग, वर्गोत्तम लग्न, वर्गोत्तम चंद्र एवं वर्गोत्तम सूर्य तथा मंगल। केंद्र एवं त्रिकोण में बुध तथा गुरु की उपस्थिति। द्वितीय भाव में द्वितीयेश की उपस्थिति एवं नवमेश का दशम के साथ संबंध।
कुंडली की कमजोर कड़ी है- चंद्र का सर्प द्रेष्कोण एवं विष नवांश में होना। शुक्र का मृत्यु भाग में होना।
दशमेश का मृत्युभाग में होना एवं अष्टमेश का दशम भाव में होना कमजोड़ कड़ी एवं मजबूत कड़ी दोनों है।
कुंडली में ग्रह स्थिति के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण संकेत इस प्रकार हैं-
राज्य के लगातार आर्थिक विकास के पथ पर गतिशील रहने की प्रबल संभावना दिख रही है। आर्थिक प्रबलता को बनाए रखने के लिए पहले से बनी नीतियों का समय समय पर अवलोकन, निरीक्षण, परीक्षण करके उन्हें परिष्कृत किया जा सकता है साथ ही कुछ नीतियों में परिवर्तण भी संभव है। कहा जा सकता है कि प्रतिमान बदलाव (PARADIGM SHIFT) एवं बहुआयामी रणनीति (Multifaced Strategy) का अच्छा संकेत मिल रहा है।शिक्षा एवं रोजगार सरकार की प्राथमिकताएं होंगी।कौशल विकास के लिए राज्य में नए संस्थानों की नींव भी रखी जाएंगी।
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चंद्र का सर्प द्रेषकोण एवं विष नवांश में होकर तृतीय भाव में होना यह संकेत दे रहे हैं कि बिगड़ता सामाजिक ताना बाना तथा लोगों की मनोदशा को विकृत होने से बचाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। सहयोगियों के साथ अंतर्संबंध बनाये रखना भी इनके लिए चुनौती होगी। नवम भाव का राहु केतु अक्ष में होकर मंगल तथा द्वादशेश से दृष्ट होना, राज्य के अंदर धार्मिक स्थिति को भी बिगाड़ सकता है। खासकर धर्मांतरण की जड़ों को फैलने से रोकना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती।
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द्वितीय भाव में वक्री शनि का होना तथा चंद्र का कमजोर होना, नशा मुक्ति, तीसरी बड़ी चुनौती सरकार के लिए हो सकती है। मंगल की छठे भाव में उपस्थिति, बॉर्डर पर चाक चौबंद आक्रामक प्रबंध किये जाने का संकेत दे रहे हैं। दशमेश का मृत्युभाग में होना एवं अष्टमेश का दशम भाव में होना जहां प्रदेश में सरकार विरोधी षड्यंत्रों में तेजी आने का संकेत दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार द्वारा प्रदेश को प्रगति के पथ पर गतिशीलता प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर सुधारवादी प्रयास किये जाने के भी साफ संकेत दिख रहे हैं। द्वादशेश एवं दशमेश की युति एक बहुत ही महत्वपूर्ण संकेत दे रही है और वह यह कि केंद्र के साथ लयात्मक संबंध रहेगा। केंद्र से सीख लेकर उसे वातानुकूल बनाकर प्रदेश में लोगों को विकृत होती मानसिकता से निकालकर लाने में अंततः यह सरकार अपनी सक्षमता साबित करेगी। पराक्रम में राहु कुछ दुःशाहसिक फैसले करवा सकती है जो वर्षों याद रखा जाएगा।
(नोट- इन संकेतों को मुख्यमंत्री की कुंडली तथा हरियाणा प्रदेश की कुंडली के साथ मिलाकर देखा जाना चाहिए। यहअपने विश्लेषण पर आधारित लेखक के निजी विचार हैं )