ज्योतिषीय आकलन के अनुसार यह वर्ष एक अद्भुत संयोग का वर्ष है। भारत में महापरिवर्तन के संकेत साफ दिख रहे हैं। इस वर्ष आज़ादी महोत्सव के समय सावन अधिक मास है और वर्ष 1947 में जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी तब भी सावन अधिक मास बीत रहा था। इस वर्ष भारत की कुंडली का लग्नेश शुक्र वक्री होकर अभी अभी सिंह राशि से कर्क राशि में आया है। नवमेश एवं दशमेश शनि, शतभिषा नक्षत्र में वक्री चल रहा है। द्वितीयेश बुध 24 अगस्त को पुनः सिंह राशि में वक्री होगा, जहाँ वह 15 सितंबर तक रहेगा।
दिसंबर माह में एक बार फिर से धनु राशि में बुध वक्रत्व को प्राप्त करेगा जबकि गुरु मेष राशि में 5 सितम्बर को वक्री होगा। राहु केतु के तो चाल ही वक्री ही रहते हैं। ये दोनों भी अक्टूबर माह में ००* का होकर मेष और मीन राशि गण्डान्त में रहेंगे । इस तरह देखें तो अधिकत्तर ग्रहों के वक्री प्रभाव देश दुनिया को झेलना पड़ेगा।
चंद्र / शुक्र की दशा में ग्रहों की तेजी से परिवर्तित होती गति एवं वक्री होकर पृथ्वी से उनकी बढ़ती नजदीकी, मानो ग्रहों ने सामूहिक रूप से देश ही नहीं दुनिया को बदलने की ठानी है। महापरिवर्तन की शुरुआत एवं राजनैतिक उथल पुथल का मंच शुक्र ने कर्क राशि में आकर तैयार कर दिया है,अब इसके मंचन में तेजी हमलोग अक्टूबर, नवंबर माह से दिखना शुरु होगा।
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भारत में महापरिवर्तन की ग्रह स्थिति
ग्रहों के वक्री होने के क्रम में ध्यान देने योग्य बात यह है कि शनि को छोड़कर अन्य सभी ग्रह धर्म राशि,अग्नि तत्व राशि में वक्री हो रहे हैं। साथ ही साथ 2023 को जोड़े – 2 +0 2+3 तो 7 अंक प्राप्त होगा जो की केतु का अंक है। फिर से अग्नि की प्रधानता।अग्नि तत्व का उभर कर आना विकास एवं विनाश दोनों का सूचक है। अच्छी बात यह है कि धर्म का सहारा है।
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कहा जा सकता है कि यह वर्ष ‘धर्मों रक्षति रक्षितः’ को चरितार्थ करनेवाला हो सकता है। आधुनिकता के अंध दौर से परे आत्मावलोकन का वर्ष होगा। संस्कारों से जुड़कर मूल की ओर लौटने का वर्ष होगा। संयमित और अनुशासित होकर दृढ संकल्प से विश्व को अपनी नीतियों से चकित करने वाला वर्ष होगा।
गुरु का भरणी नक्षत्र में वक्री होना एवं शनि का इस वर्ष तीन नक्षत्रों, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपद से संचार करते हुए वृश्चिक, धनु एवं मकर नवांश से गुजरना निश्चित ही एक बड़े बदलाव के सूत्रपात का संकेत दे रहे हैं। यह बदलाव विश्वस्तर पर हो सकता है। बहुप्रतिक्षित हो सकता है। आंतरिक, राजनैतिक,, संवैधानिक या सीमा पर भी हो सकता है। यह परिवर्तन भारत में महापरिवर्तन के रूप में देशवासियों को देखने क मिलेगा।
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