- 14 मई अक्षय तृतीया पर विशेष
पटना ,अनमोल कुमार। बिहार राज्य के पटना जिला अंतर्गत मोकामा में अवस्थित एकमात्र bhagavaan parashuraam का मंदिर है। यहां के लोग भगवान परशुराम को इष्टदेव, ग्राम देवता, कुलदेवता और आराध्य देवता के रूप में श्रद्धा से पूजा अर्चना अनुष्ठान, मन्नत, वैवाहिक रीति रिवाज एवं सभी शुभ कार्य भगवान परशुराम के पूजन उत्सव के बाद ही करते हैं। इस वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष के अक्षय तृतीया को प्रत्येक वर्ष की भांति सादगी से परशुराम जन्मोत्सव कोरोना गाइड लाइन के अनुसार मनाया जाएगा।
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मान्यता है कि यज्ञ हवन अनुष्ठान और पूजन से इस महामारी पर नियंत्रण प्रारंभ हो जाएगा।14 मई को 1 बजकर 30 मिनट तक त्रयोदशी का योग है। पूर्वजों के अनुसार bhagavaan parashuraam मोकामा के तपोवन में जब ध्यान मग्न थे तभी जनकपुर से सीता स्वयंवर के धनुष टंकण की आवाज सुनकर क्रोधित होकर जनकपुर पहुंचे। जहां राम लक्ष्मण के साथ विवाद का संवाद चला।
बाद में श्रीराम के हस्तक्षेप और मनोहारी मधुर वार्ता ने भगवान परशुराम को शांत होने पर विवश कर दिया। जब भगवान परशुराम ध्यान मग्न हुए तो उन्होंने श्रीराम को भगवान विष्णु के 11 अवतारों में से एक के रूप में देखा। भगवान परशुराम स्वयं भगवान विष्णु के 10 वें अवतार माने जाते हैं।
कहा जाता है कि bhagavaan parashuraam का तपस्या स्थली होने के कारण इस जगह का नाम मुकाम पड़ा, जो आगे चलकर अपभ्रंशित होकर मोकामा के रूप में जाना गया। यहां भगवान परशुराम का पावन मंदिर अवस्थित है।
दंत कथा के अनुसार यहां पास के गांव छत्रपुरा का नाम पूर्व में मीठापुर था। यहां के नवाब मिट्ठू मियां थे। एक दिन उनका एक कर्मचारी हाथी के लिए पीपल का डाल तोड़ने आया। यहां पीपल का पेड़ नष्ट करना निषेध माना जाता है। मना करने के बाद भी उसने जबरन पीपल का डाल तोड़ना शुरू किया डाली जमीन पर गिरते ही जमीन पर रोपित हो जाती थी। थक हार कर वह कर्मचारी वापस चला गया। एक बार जब bhagavaan parashuraam का जन्मोत्सव मनाया जा रहा था तो नवाब मिट्ठू मियां वहां पहुंचे और कहा कि यह सब अंधविश्वास और ढकोसला है। उन्होंने कहा कि यहां के पुजारी को यहां की सत्यता सिद्ध करनी होगी। पुजारी विवश होकर तैयार हो गया। गौ हत्या हिंदू धर्म में पाप है परंतु उस नवाब ने अपने जल्लाद द्वारा एक गाय का गर्दन कटवा दिया और उसे जीवित करने के लिए पुजारी से कहा। पुजारी ने गाय के सर को धड़ से जोर कर लाल रंग के वस्त्र से ढक दिया और bhagavaan parashuraam की स्तुति करने लगा। देखते ही देखते गाय पुनः जीवित होकर खड़ी हो गयी।
इस घटना के बाद पुजारी ने उस स्थान से जाने का मन बना लिया। लोगों के मिन्नत करने के बाद उन्होंने कहा कि अब यहां याचना नहीं जांचना की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो समाज के लिए हितकर नहीं है। इसलिए मैं नहीं रुकूंगा। लोगों ने कहा कि आपके जाने के बाद कैसे पता चलेगा कि भगवान परशुराम का अस्तित्व हमारे बीच है ? उन्होंने कहा कि यह गिरा हुआ पीपल का वृक्ष जब तक हरा भरा रहेगा bhagavaan parashuraam का बास यहां रहेगा। आज भी वह पीपल का वृक्ष हरा भरा है।