बिंदी और चूड़ियां : सनातन धर्म में कई परंपराएं और मान्यताएं हैं, इन्ही में एक है सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार। यह श्रृंगार धार्मिक महत...
धर्म-ज्योतिष

बिंदी और चूड़ियां सिर्फ सुहाग ही नहीं, स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी

बिंदी और चूड़ियां : सनातन धर्म में कई परंपराएं और मान्यताएं हैं, इन्ही में एक है सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार। यह श्रृंगार धार्मिक महत्व, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और शास्त्रों से जुड़ा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, सुहागिन महिलाएं सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मंगलसूत्र, पायल और बिछिया को श्रृंगार में शामिल करती हैं। ऐसा इसलिए भी है कि ये सभी चीजें भारतीय परंपरा में सुहाग के प्रतीक मानी जाती हैं।

बात बिंदी से शुरू करते हैं। बिंदी का अर्थ बूंद या कारण से होता है। सनातन धर्म में शादीशुदा महिलाएं लाल रंग की बिंदी लगाती हैं, ऐसा इसलिए कि लाल रंग का संबंध माता लक्ष्मी से होता है और ज्योतिष में लाल रंग मंगल ग्रह का कारक माना जाता है। साथ ही लाल रंग शुभता का प्रतिक भी है। मान्यता यह भी है कि लाल रंग की बिंदी लगाने से सौभाग्य बड़ता है। जीवन में खुशहाली आती है।

 यह बिंदी दोनों भौंह की बीच में लगाई जाती है। बिंदी लगाने का यह स्थान शरीर का छठा चक्र होता है। सामान्यतः इस स्थान को आज्ञा चक्र, भौंह चक्र और तीसरा नेत्र भी कहा जाता है। इस स्थान पर लाल बिंदी लगाने से आंतरिक ज्ञान को बढ़ाने वाली शक्तियों का विकास होता है। काले रंग नाकारात्मक माना जाता है। इसलिए काली बिंदी लगाना सुहागिनों के लिए अपशकुन माना जाता है।

 वैज्ञानिक आधार यह है कि माथे के बीचों बीच पिनियल ग्रंथि होती है। बिंदी लगाते समय दबाव पड़ने से यह ग्रंथि तेजी से काम करती है। इससे दिमाग शांत होता है और काम में एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही इससे गुस्सा और तनाव भी काम होता है।

 एक्युप्रेसर सिद्धांत के अनुसार, माथे पर जहां बिंदी लगाई जाती है, वहां पर एक विशिष्ट बिंदु होता है। यह बिंदु सिर दर्द में राहत देता है। यहां बिंदी लगाने से नसों और रक्त वाहिकाओं का अभिसरण होता है। शिरोधरा विधि के अनुसार, माथे के इस बिंदी वाले स्थान पर दबाव बनाने से अनिद्रा की समस्या दूर होती है।

बिंदी जिस स्थान पर लगाई जाती है उस स्थान से कान से संबंधित नस भी गुजरती है जिस पर दवाब पड़ने से सुनने की क्षमता बढ़ती है और साइनस जैसी समस्याओं में भी फायदा मिलता है।

 कुछ ऐसा ही लाभ चूड़ियों को पहनने से भी मिलता है। सुहागिन महिलाओं को चूड़ियां पहनना भी श्रृंगार का अहम हिस्सा है। हाथ में चूड़ी पहनने की परंपरा वैदिक युग से ही चली आ रही है। कहा जाता है कि चूड़ियां पहनने से उसकी खनखन से कई बाधाएं दूर होती हैं। इस खनखनाहट से ही घर के पुरूषों को बिना उन्हें देखे भी उनकी गतिविधियों उपस्थिति के बारे में सहज ही पता चल जाता है। इसके साथ ही मान्यता है कि चूड़ियों के पहनने से वैवाहिक जीवन में प्यार बढ़ता है और पति की आयु भी बढ़ती है।

बिंदी और चूड़ियां : देवी दुर्गा के श्रृंगार के सामानों में भी सिंदूर, चूड़ी, बिंदी अवश्य रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हरी चूड़ियों के दान से बुध देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुहागिन महिलाओं को पुण्य फल प्राप्त होता है। वहीं वास्तुशास्त्र के अनुसार, चूड़ियों की खनखन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है।

 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जो महिलाएं चूड़ियां पहनती हैं, उनका स्वास्थ्य अनुकूल बना रहता है।क्योंकि चूड़ी पहनने से सांस और दिल संबंधित होने वाली परेशानियां कम होती है। चूड़ी पहनने से मानसिक संतुलन भी ठीक रहता है और इससे महिलाओं को कम थकान महसूस होती है। विज्ञान के अनुसार, कलाई से नीचे 6 इंच तक एक्युप्रेशर प्वाइंट्स होते हैं। इन पर दवाब पड़ने से शरीर स्वस्थ रहता है। ऐसे में हाथों में चूड़ियां पहनने से महिलाएं ऊर्जावान बनी रहती हैं।

जितेन्द्र कुमार सिन्हा (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.