गुरु चांडाल योग - इस वर्ष की खगोलिय गणना और ज्यातिषीय आकलन के अनुसार 22 अप्रैल से गुरु का प्रवेश मेष राशि में होने पर उस का संपर्क राहु के...
धर्म-ज्योतिष

गुरु चांडाल योग से डरें नहीं, जानें इसका सच,जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की कुंडली में भी था यह योग

 शनि की साढेसाती,  गुरु चांडाल योग, काल सर्प योग, मांगलिक दोष जैसे  कई योग-दुर्योग के नाम पर लगातार कुछ ज्योतिष आमलोगों को खास कर कुंडली या ज्योतिष विद्या पर भरोसा कर रहे लोगों को भय दिखाकर आर्थिक दोहन करते रहे हैं। एक बार फिर यह खेल शुरु हो चुका है। गुरु चांडाल योग के नाम पर । सोशल मीडिया पर इस योग के नाम पर खूब डराया धमकाया जा रहा है। ऐसे में जरूरी है इस योग की सचाई जानने की। ज्योतिषाचार्य बी कृष्णा अपने लेख के माध्यम से बता रही हैं गुरु चांडाल योग का सच। पढ़िए और आप भी जानिए  

गुरु चांडाल योग – इस वर्ष की खगोलिय गणना और ज्यातिषीय आकलन के अनुसार 22 अप्रैल से गुरु का प्रवेश मेष राशि में होने पर उस का संपर्क राहु के साथ आने की स्थिति में खास किस्म का योग बना है। इसे गुरु चांडाल योग  का नाम दिया गया है। यह युति 29 नवंबर तक रहेगी। कुछ  ज्योतिषियों के द्वारा यह आकलन किया गया है कि पांच राशियों. मेष, मिथुन, कन्या, धनु और मकर राशि को यह विशेष तौर पर प्रभावित करेगी, इसके जरिए उपाय बता कर व्यावसायिक दृष्टिकोण को हवा देने की पूरी कोशिश की जा रही है। दूसरे शब्दों में पीड़ित जातकों को इस योग का भय दिखाकर उनका आर्थिक दोहन किया जा रहा है। इन तथाकथित ज्योतिषियों के अनुसार  यह योग इन पांच राशियों के लोगों पर जहां   नकारात्मक प्रभाव देने वाला होगा,वहीं इसके प्रभाव से व्यक्ति के पारिवारिक और सामाजिक जीवन में  विसंगतियाँ  पैदा होंगी। सचेत करते हुए हिदायत तक दी गई है कि गुरु चांडाल योग का अगर समय पर उपाय न किया गया, तो कुंडली में जितने भी शुभ योग होते हैं वे सब अप्रभावित हो जायेंगे। माना जाता है कि इस योग के होने से व्यक्ति का चरित्र भी कमज़ोर हो सकता है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी आ सकती है।

 ज्योतिषियों द्वारा किया गया इसका विश्लेषण किसी भी सामान्य व्यक्ति को आशंकित कर सकता है और उसके दिमाग में कुंठा और नकारात्मक भाव उतपन्न हो सकता है।

  गुरु चांडाल योग के ऊपर अपने पहले आलेख में हमलोगों ने इस योग के बारे में विस्तार से जाना था।उसका यहां लिंक फिर से दिया जा रहा है। इसे भी पढ़ें –गुरु चांडाल योग गोचर में 22 अप्रैल से शुरु, डरें नही,सतर्क रहें  

आइये, आज उस योग के संदर्भ में कुंडलियों के माध्यम से इस योग के सच को जानने का प्रयास हम सब करते हैं।

 राहु और गुरु के संबंध से निर्मित होने वाला गुरु चांडाल योग ऐसा नहीं है कि इसी वर्ष निर्मित हुआ है यह एक निश्चित अंतराल पर भूतकाल में भी निर्मित होता रहा है और भविष्य में भी इसका निर्माण होगा ही।

भूतकाल में इसकी निर्मिति में से कुछ वर्ष की चर्चा हम यहाँ कर रहे हैं। वर्ष1856, वर्ष 1893, वर्ष 1973 वर्ष 1980, ये वो वर्ष हैं जब गोचर में गुरु चांडाल योग बने थे।

अब कुछ वैसी जन्म कुंडली पर भी नजर दौराते हैं जिसमें गुरु चांडाल योग बने हुए हैं।

1.जॉर्ज बर्नार्ड शॉ- वर्ष 1856 के जुलाई माह में जन्में नोबेल पुरस्कार साहित्य विजेता।  महान नाटककार व कुशल राजनीतिज्ञ मानवतावादी जॉर्ज बर्नार्ड शॉ से कौन नहीं परिचित होगा। लेखन इन्हें ईश्वर से ही उपहारस्वरूप प्राप्त हुआ था। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय फलक पर इनकी जबर्दस्त पहचान बनी। और वो पहचान भी ऐसी कि अपने जीवन काल में तो ये सराहे गए ही मरनोपरांत भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये ससम्मान याद किये जाते हैं।

आर्म्स एंड द मैन इनके प्रसिद्ध नाटको में से एक है। 1879 इनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत मानी जाती है। अपने जीवन काल में इन्होंने राहु और गुरु दोनों की दशा भोगी। राहु की दशा में जहाँ इन्होने अपनी लेखनी से अपनी पहचान बनाई, वहीं गुरु की दशा  क्रियेटिव बेस्ट दशा के रूप में जानी गयी। इस दशा में इन्होंने लगभग 22 नाटक लिखे।

Woodrow Wilson

2.वुडरो विल्सन- वर्ष 1856 के दिसंबर माह में जन्में शांति का नोबेल पुरस्कार विजेता वुडरो विल्सन एक अकादमिक विद्वान, कुशल प्रशासक, प्रखर राजनीतिज्ञ, अच्छे इतिहासकार, विधिवेत्ता तो रहे ही अमेरिका के राष्ट्रपति भी रहे।

 अपने जीवन काल में इन्होंने भी राहु और गुरु दोनों की दशा भोगी। राहु की दशा में इन्होंने पीएचडी किया। इनकी पहली रचना का प्रकाशन हुआ। भिन्न भिन्न कॉलेज में राजनीती विज्ञान के प्रोफेसर रहे। प्रिंसटन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बनें। गुरु की दशा में  इनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत हुई जो धीरे धीरे इनको आगे ले जाते हुए अमेरिका की सत्ता के शिखर तक ले गया।अमेरिका के राष्ट्रपति भी बने।

 3.आर के डालमिया- वर्ष 1893 के अप्रैल माह में जन्में  खरबपति सेठ रामकृष्ण डालमिया को कौन नहीं जानता। एक विजनरी इंडस्ट्रीयलिस्ट के रूप में ये जाने जाते हैं।अपने जीवन काल में इन्होंने भी राहु और गुरु की दशा भोगी। इस दशा में इन्होंने जनकल्याण के साथ साथ व्यापार के क्षेत्र में दिन दुनि रात चौगुनी तरक्की की।

4.राहुल द्रविड़ वर्ष 1973 के जनवरी माह में पैदा हुए राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट जगत के इस सितारे का कौन नहीं जानता। राष्ट्रीय ही नहीं वरन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक क्रिकेटर के रूप में इन्होनें अपनी पहचान स्थापित की। भारतीय क्रिकेट जगत के एक मजबूत स्तंभ तो ये थे ही क्रिकेट  पीच पर टिके रहने की इनकी अद्भूत क्षमता के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनको The Wall कहा जाता था। इन्होने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक शानदार क्रिकेटर के रूप में अपनी पहचान शुक्र की दशा में बनाई। शुक्र कुंडली में गुरु चांडाल योग में शामिल ग्रह गुरु और राहु के साथ बैठा है।

अब तक हमलोगों ने गुरु चांडाल योग वाली जो कुंडलियां देखीं उसके आधार पर हम यह भली भांति समझ गए होंगे कि यह योग डरानेवाला योग तो बिलकुल भी नहीं है। जीवन को विनाशकारी बनानेवाला भी नहीं है और न ही कुंठा और नकारात्मकता से भरनेवाला योग है।

 हमने देखा की इस योग के भागीदार चाहे राहु की दशा हो गुरु की दशा हो या इस योग के साथ बैठे ग्रह की दशा हो, वे सभी कुंडली में अपनी उपस्थिति अन्य ग्रहों के साथ अपने संबंध तथा चलनेवाली दशा के अनुरूप ही फल देने वाले साबित हुएहैं।

भारतीय जनता पार्टी की कुंडली

5.भारतीय जानता पार्टी- इस पार्टी के बारे में कुछ कहे जाने की जरूरत है क्या। इसकी कुंडली में भी गुरु चांडाल योग बन रहा है। जबकि यह पार्टी पिछली दो बार से केंद्रीय सत्ता में है।बहुमत पाने का रिकार्ड बना चुकी है। इसके पहले भी अटल बिहारी बाजपेई की अगुवाई में केंद्रीय सत्ता में रह चुकी है। कई राज्यों में भाजपा लगातार सत्ता में रहती रही है। साफ है कि गुरु चांडाल योग  उपलब्धियों को हासिल करने में बाधक नहीं होता है। बल्कि कई बार राहु और गुरु की दशा ही सहयोगी साबित होती है।     

  यह और बात है कि ज्योतिष के नाम पर अवैध कमाई करने वाले कुछ लोग इस योग को बदनाम करके अपनी रोटी सेंक रहे हैं। ऐसे में आपको सतर्क और सचेत रहने की जरूरत है।  

B krishna
(लेखिका दिल्ली की प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य हैं)