Gupt Navratri Special : या देवी सर्वभुतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमःतस्यै नमःतस्यै नमः तस्यै नमो नमः। साधना और मंत्रणा की परीधि को गुप्त ही रखने में शक्ति उपासक विश्वास रखते हैं, यही कारण है कि तंत्रोक्त साधना व मंत्रणालय की खास मंत्रणा को तबतक गुप्त रखा जाता है जबतक दोनों सिद्ध न हो जाएं। तंत्र के साथ मंत्र रहस्य को प्रतिपादित करने केलिए शक्ति उपासक वार्षिक कृत्य में चार नवरात्र को शामिल करते हैं ।
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नवरात्र एक अनुष्ठान है। संकल्प के साथ अभीष्ट सिद्धि की कामना के बीच कलश स्थापन के साथ तिथि के अनुसार नवरात्र की शक्ति साधना की जाती रही है। कुमारी पूजन, वलिप्रदान के साथ लोकाचार में भिन्नता संभावित है,लेकिन उदेश्य शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आराधना ही है। विजया दशमी के साथ दस दिवसीय दुर्गा पूजा जयंती मंगलाचरण के बीच एक मंगलकामना है, जिसका विधान चारो संदर्भित शक्तिसाधना में एक समान है। प्राकट्य शक्ति साधना का दो रूप सभी जानते हैं।पहला वासंतिक व दूसरा शारदीय नवरात्र।वही माघ व आषाढ़ माह में की जाने वाली दुर्गा पूजा गुप्त नवरात्र के रूप में विख्यात हैं ।
इस वर्ष 2021 में 11 से लेकर 18 जुलाई तक गुप्त नवरात्र पर्व है। जिसमें सभी नियम पूर्ववत ही होते हैं,परंतु प्रकट की तरह तामझाम नहीं होता है इसमें।विधिविधान चारों में एक
समान ही होता है । लेकिन गुप्त नवरात्र कोई जान सका तथा कोई नहीं। दुर्गा सप्तशती, पाठी का न्यास विन्यास, सात सौ श्लोकों तक ही सिमित नहीं बल्कि एक साधारण सा दिखने वाले व्यक्ति साधक के असाधारण स्वभाव का रसिया समझा जाता है।दिव्यता, भव्यता के वाह्याडंबर से दूर एक साधक का समर्पण ही शक्ति साधना है।
शम्भु देव झा।