Holi special: हम सभी जानते हैं कि होली का अर्थ ही होता है रंगों की हो ली, मतलब बुराई पर अच्छाई की होली, दुष्प्रवृत्ति एवं अमंगल विचारों का ...
धर्म-ज्योतिष

Holi special: भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

 Holi special: हम सभी जानते हैं कि होली का अर्थ ही होता है रंगों की हो ली, मतलब बुराई पर अच्छाई की होली, दुष्प्रवृत्ति एवं अमंगल विचारों का नाश की होली, अनिष्ट शक्तियों को नष्ट कर ईश्वरीय चैतन्य प्राप्त करने और सदप्रवृत्ति मार्ग दिखाने वाला उत्सव है होली। मनुष्य के व्यक्तित्व, नैसर्गिकता, मानसिकता और आध्यात्मिकता से भी होली का संबंध माना जाता है।आध्यात्मिक साधना में अग्रसर होने हेतु बल प्राप्त करने से भी इसे जोड़ा जाता है।

 वसंत ऋतु के आगमन और अग्नि देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन भगवान महादेव की नगरी वाराणसी में रंगों की होली के अलावे रंगभरी एकादशी पर चिताभस्म की होली खेली जाती है। मान्यता है कि भगवान महादेव के अनन्य भक्त औघड़-संतों हरिश्चन्द्र घाट पर एकत्र हो कर चिता के भस्म (राख) की होली खेलते हैं।

 रंगभरी एकादशी को क्रींकुण्ड से काशी तक महाकाल की बारात निकाली जाती है और  हरिश्चंद्र घाट पहुँच कर वहां भगवान महादेव के भक्त औघड़ चिता भस्म से होली खेलते हैं। बारात की शोभायात्रा में बग्‍घी, ऊंट, घोड़ा आदि शामिल रहता है और ट्रकों पर भक्तजन शिव तांडव नृत्य करते हुए नर-मुंड की माला पहने रहते हैं। भगवान महादेव के श्रद्धालु लोग बाबा मशान नाथ का जयकारा लगाते रहते हैं। हर हर महादेव का गगनभेदी जयकारा रास्‍ते भर गूंजता रहता हैं। इस प्रकार रंगभरी एकादशी के दिन वाराणसी में लोग मस्ती में सराबोर होकर पूरी निष्ठा एवं हर्षोल्लास के साथ बारात में शामिल होते हैं।

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Holi special:  यह भी मान्यता है कि काशी पुराधिपति महादेव बाबा विश्वनाथ रंगभरी एकादशी पर गौरा (माता पार्वती)का गौना (विदाई) करवाने आते हैं और वाराणसी के टेढ़ी नीम से महादेव माता गौरा (पार्वती) का गौना करवा कर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लिए चल देते हैं। इसी खुशी में भगवान महादेव के भक्त औघड़ संतों ने हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म की होली खेलते हैं और गाते हुए नाचते रहते हैं।  भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी। इस समय जो नाच होता है वह शिव तांडव नृत्य के अंदाज में रहता है।

रंगभरी एकादशी के दिन वाराणसी के रविन्द्रपुरी स्थित भगवान महादेव की कीनाराम स्थली क्रींकुंड से औघड़ सन्तों के साथ हरिश्चंद्र घाट तक एक विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है। इस शोभायात्रा में उस क्षेत्र के लोग महिलाओं के साथ सक्रिय रुप से भाग लेते हैं।

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 शोभायात्रा में सबसे आगे रथ पर बाबा मशान नाथ का विशाल चित्र रहता है और उसके पीछे  महिलाएं और पुरुष शिव तांडव स्त्रोतम का पाठ करते हुए चलते रहे हैं। उसके पीछे रथों पर सवार होकर भगवान के भक्त-संत भस्म की होली खेलते रहते हैं, जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

 Holi special: काशी मोक्षदायनी समिति के लोगों का कहना है कि रंगभरी एकादशी पर चिताभस्म की होली खेलने की परम्परा कुछ वर्ष पहले ही शुरु हुआ है। उनका कहना है कि क्रींकुण्ड से काशी के महाकाल की बारात निकाली जाती है और बारात यहाँ से हरिश्चंद्र घाट तक जाता हैं। जहां धधकती चिताओं के बीच  चिता भस्म से बाबा के भक्त होली खेलते हैं। शोभायात्रा रविन्द्रपुरी से होकर पद्मश्री चौराहा, शिवाला चौराहा होते हुए हरिश्चंद्र घाट पहुंचती है।, जहां भक्तों के राग विराग का यह दृश्य देखकर घाट पर मौजूद लोग बाबा मशाननाथ और हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष भी करते रहते हैं।

जितेन्द्र कुमार सिन्हा
जितेन्द्र कुमार सिन्हा (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.