यंत्र-तंत्र और मंत्र का विज्ञान भी रोगों के इलाज में होता है कारगर। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने चाहे जितनी प्रगति कर ली हो, पर बीमारियों पर ...
धर्म-ज्योतिष

यंत्र-तंत्र और मंत्र से भी ठीक हो जाती हैं लाइलाज बीमारियां

यंत्र-तंत्र और मंत्र का विज्ञान भी रोगों के इलाज में होता है कारगर। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने चाहे जितनी प्रगति कर ली हो, पर बीमारियों पर नियंत्रण का उसका सपना आज तक अधूरा ही है। आंकड़े तो यहां तक बयान करते हैं, कि दवाओं के अनुपात में-रोगों की वृद्धि अधिक तेजी से हो रही है। किन्तु ऐसी विकट स्थिति में भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है। प्राचीन समय में भारत में यंत्र-तंत्र और मंत्र के रूप में एक ऐसे विज्ञान का प्रचलन रहा है, जो बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारी है। आज जिन बीमारियों को लाइलाज माना जा रहा है, उनका मंत्रों के द्वारा स्थाई निवारण संभव है।

  महामृत्युंजय मंत्र ऐसा ही एक रोग निवारक मंत्र माना जाता है। कहा जाता है कि यह मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी असीम कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से आने वाली अथवा मौजूदा बीमारियां तथा अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव तो समाप्त होता ही है, यह भी माना जाता है कि इस मंत्र के माध्यम से अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है। हमारे चार वेदों में से एक ऋग्वेद में महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार दिया गया है।

ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।

 इस मंत्र को संपुटयुक्त बनाने के लिए इसका उच्चारण इस प्रकार किया जाता है।

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।

  ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

 इस मंत्र का अर्थ है-हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए, जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं।

 यही नियम ओर तथ्य ग्रह आराधना में भी लागू होती है। मंत्रों से बीज जोड़े जाने पर इसका प्रभाव अनेक गुना बढ़ जाता है। प्रसंगवश यहां नवग्रहों के मूल मंत्रों की चर्चा भी की जा रही है।

सूर्य : ॐ सूर्याय नम:

चन्द्र : ॐ चन्द्राय नम:

गुरू : ॐ गुरवे नम:

शुक्र : ॐ शुक्राय नम:

मंगल : ॐ भौमाय नम:

बुध : ॐ बुधाय नम:

शनि : ॐ शनये नम: अथवा ॐ शनिचराय नम:

राहु : ॐ राहवे नम:

केतु : ॐ केतवे नम:

इन नवग्रहों के बीज मंत्र इस प्रकार है-

सूर्य : ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:

चन्द्र : ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम:

गुरू : ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:

शुक्र : ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:

मंगल : ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

बुध : ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:

शनि : ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:

राहु : ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:

केतु : ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:

 हालाकि सर्व प्रचलित शिव का पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमःशिवाय अथवा दुर्गा का नवारण मंत्र अपने में अनेक अद्भुत रहस्यों के समाये हुये है। बिना किसी बीज के मंत्र प्राणवान और प्रभावी नहीं बनता, बस गुरु मुख से उचित कामना, संगत योग्य बीज मंत्र का आराधना करना ही कल्याण का प्रसार माना गया है। 

आलोक पुनित छवि परा भौतिकि के जानकार
पुनीत आलोक छवि (लेखक परा भौतिकी विशेषज्ञ हैं।)

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.