anger of ancestors
धर्म-ज्योतिष

जानें पितरों के रूष्ट होने के लक्षण और दूर करने के उपाय


anger of ancestors: हमारे सनातन में जन्म, पुनर्जन्म और पूर्वजन्म की अवधारणा है। यह भी माना जाता है कि हमारे पूर्वज अपनी मृत्यु के बाद जब अपने सूक्ष्म और व्यापक शरीर से अपने परिवार को देखते हैं और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग न तो हमारे प्रति श्रद्धा रख रहे हैं और न ही मुझसे इन्हें कोई प्यार या स्नेह है। किसी भी अवसर पर ये हमें याद तक नहीं करते, और न ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं।

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पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। वे आपके आचरण से, किसी परिजन द्वारा की गई गलतियों से, श्राद्ध आदि कर्म ना करने से, अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण या पूर्व जन्म में पिता का अपमान करने से भी ये पितर नाराज या रुष्ट हो सकते हैं।

पितरों के नाराज होने के दुष्परिणाम (anger of ancestors)

अगर आपके पितर नाराज हैं और आपको शापित कर चुके हैं तो इसके दुष्परिणाम भी आपको भुगतने पड़ सकते हैं। इसके दुष्परिणाम के तौर पर डिप्रेसन, व्यापार में घाटा, परिश्रम के अनुसार फल न मिलना, विवाह या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, कैरिअर आदि में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। सच तो ये है कि जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है। पितरों के नाराज होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति, गोचर, दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते हैं। पूजा पाठ, देवी, देवताओं की अर्चना निश्फल ही रह जाता है।

पितरों के नाराज होने के लक्षण (anger of ancestors)

आप खुद से भी समझ सकते हैं कि आपके पितर या पूर्वज नाराज चल रहे हैं। इसके कई लक्षण आपको अपनी जिंदगी में महसूस होने लगेगा। लक्षण इस प्रकार हैं। पहला लक्षण है अक्सर खाने में से बाल निकलना। अक्सर खाना खाते समय यदि आपके भोजन में से बाल निकलता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। आप गौर करेंगे कि परिवार के किसी एक ही सदस्य के साथ बार बार ऐसा होता है कि उसके खाने में से बाल निकलता है।

दूसरा लक्षण है बदबू या दुर्गंध- कई लोगों की समस्या होती है कि उनके घर से लगातार दुर्गंध आती है। यह पता भी नहीं चलता कि आखिर दुर्गंध कहां से आ रही है। कई बार तो इस दुर्गंध के इतने अभ्यगस्तआ हो जाते है कि उन्हें यह दुर्गंध महसूस भी नहीं होता। लेकिन बाहर के लोग उन्हें बताते हैं कि आपके घर से दुर्गन्ध आ रही है।

तीसरा लक्षण है- स्वप्न में पूर्वजों का बार बार आना। पितरों या पूर्बजों के नाराज होने का यह सबसे मुख्य लक्षण है। आपके पिता या दादा जिनका कि स्वर्गवास हो चुका है, वे बार बार आपके स्वप्न में आते हैं। वे स्वप्न में आपको कुछ संकेत देना चाहते हैं।

चौथा लक्षण है आपके किसी भी शुभ कार्य में अड़चन का आना। कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कोई त्यौहार मना रहे होते हैं या आपके घर कोई उत्सव हो रहा है, ठीक उसी समय पर कुछ ना कुछ ऐसी घटना घटित हो जाती है, जिससे रंग में भंग डल जाता है। अचानक खुशी का माहौल दुःख में बदल जाता है। मतलब शुभ अवसर पर कुछ ना कुछ अशुभ का घटित होना पितरों के नाराज़ होने का संकेत है।

पाचवां लक्षण है घर के किसी एक सदस्य का कुंवारा रह जाना। बहुत बार आपने अपने आसपास अनुभव किया होगा कि बहुत अच्छाब युवक है, कहीं कोई कमी नहीं है। फिर भी शादी नहीं हो रही है। एक लंबी उम्र निकल जाने के पश्चात भी शादी नहीं हो पाना कोई अच्छाी संकेत नहीं है। यह भी पितरों के नाराज होने का ही लक्षण है।

छठवां लक्षण है प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में दिक्कत आना। आपने अपने आसपास देखा होगा कि एक बहुत अच्छी प्रॉपर्टी, मकान, दुकान या जमीन का एक हिस्सा किन्ही कारणों से बिक नहीं पा रहा है। यदि कोई खरीदार मिलता भी है तो बात नहीं बनती। अंतिम समय पर सौदा कैंसिल हो जाता है। इस तरह की स्थिति यदि लंबे समय से चली आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि इसके पीछे जरूर कोई ऐसी अतृप्त आत्माच है, जिसका उस भूमि या जमीन के टुकड़े से कोई ना कोई संबंध रहा हो।

सातवां लक्षण है संतान ना होनाः कई बार मेडिकल रिपोर्ट में सबकुछ नार्मल होता है, फिर भी संतानसुख की प्राप्ति नहीं होती। हालांकि आपके पूर्वजों का इससे संबंध होना जरुरी नहीं है। लेकिन ऐसा होना बहुत हद तक संभव है, जो भूमि किसी निसंतान व्यक्ति से खरीदी गई हो वह भूमि अपने नए मालिक को संतानहीन बना दे।

कैसे दूर की जाए पितरों की नाराजगी

अब जानते हैं कि आखिर पितरों की नाराजगी को शांत कैसे किया जाए। जिन लोगों को पितरों की नाराजगी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें षोडश पिंड दान, सर्प पूजा, ब्राह्मण को गौ -दान, कन्या -दान, कुआं, बावड़ी, तालाब आदि बनवाना, मंदिर प्रांगण में पीपल, बरगद आदि देव वृक्ष लगवाना चाहिए।

पौराणिक ग्रंथों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र, स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन है, जिसके नित्य पाठ करने से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों ना हो ,शांत हो जाती है। अगर नित्य पाठ संभव ना हो, तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या को तो अवश्य करना चाहिए।

भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठ कर ध्यान लगाएं और इस मंत्र का नित्य एक माला जाप करें- मंत्र है- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात। इस मंत्र की एक माला नित्य जाप करने से समस्त प्रकार के पितृ- दोष, संकट, बाधा आदि शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होती है। मंत्र जाप प्रातः या सायंकाल कभी भी कर सकते हैं। अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक बनाया गया भोजन तथा चावल भूरा, घी एवं एक रोटी गाय को खिलाने से पितरों की नाराजगी दूर होती है।

अपने माता -पिता सहित सभी बुजुर्गों का सम्मान करें, सभी स्त्री कुल का आदर-सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।
पितृ दोष जनित संतान कष्ट को दूर करने के लिए “हरिवंश पुराण ” का श्रवण करें या स्वयं नियमित रूप से पाठ करें। प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या सुन्दर काण्ड का पाठ करने से भी इस दोष में कमी आती है।

सूर्य पिता है, अतः ताम्बे के लोटे में जल भर कर, उसमें लाल फूल, लाल चन्दन , रोली आदि डाल कर सूर्य देव को प्रतिदिन अर्घ्य दें और और अर्ध्य देते समय 11 बार “ॐ घृणि सूर्याय नमः ” मंत्र का जाप करें । ऐसा करने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं। प्रत्येक अमावस्या वाले दिन अपने पूर्वजों के नाम दुग्ध, चीनी, सफ़ेद कपडा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में अथवा किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए। पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य करें। अगर 108 परिक्रमा करना ज्यादा कारगर होता है।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.