पटना, जितेन्द्र कुमार सिन्हा। हिन्दू धर्म में मांगलिक कार्यों करने से पहले शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। शुभ और अशुभ ग्रहों के लिए सूर्य की चाल पर भी ध्यान दिया जाता है। मांगलिक कार्य के लिए वर्ष में कुछ तिथि और दिन ऐसे होते है, जिनमें शुभ काम वर्जित होता है। इसमें एक है खरमास।
हिन्दू धर्म में खरमास के महीने को शुभ महीना नहीं माना जाता है। वर्ष 2022 का दूसरा खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है। क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं और सूर्य का धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत हो जायेगी, इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है। धनु संक्रांति का समय 16 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 11 मिनट है।
शास्त्रों के अनुसार, खरमास की अवधि में विवाह, जनेऊ संस्कार, नामकरण संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम करने की मनाही है। वर्ष 2022 के आखिरी महीने में 16 दिसंबर से खरमास लगने जा रहा है और इसका समापन 14 जनवरी 2023 को होगा।
सूर्य जब धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन खरमास खत्म होता है। खरमास की अवधि एक माह की होती है, क्योंकि सूर्य हर राशि में एक महीने तक रहते हैं। सूर्य जब मकर राशि में विराजमान होते हैं उसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति का समय 14 जनवरी, 2023 को रात 8 बजकर 57 मिनट है। इस प्रकार 16 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 11 मिनट से खरमास शुरू होगा और 14 जनवरी, 2023 को रात 8 बजकर 56 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, खरमास अवधि में सूर्य देव का प्रभाव कम होता है, इसलिए शुभ कार्य नहीं होते हैं, पूजा पाठ के लिए यह समय शुभ नहीं माना गया है। धनु राशि के स्वामी देव गुरु बृहस्पति होते है। मान्यता है कि सूर्य देव जब भी बृहस्पति की राशि पर भ्रमण करते है तो मनुष्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे में उनका सूर्य कमजोर हो जाता है। सूर्य के कमजोर होने को सूर्य का मलिन होना भी कहा जाता है। साल में दो बार खरमास लगता है। पहला मार्च से अप्रैल के मध्य तक और दूसरा मध्य दिसंबर से जनवरी के मध्य तक।