मंत्र क्या है ? मंत्र ज्ञान या विज्ञान एक गूढ़ ज्ञान है। सद्गुरु की कृपा से एवं मन को एकाग्र कर इसे प्राप्त किया जा सकता है। जब कोई साधक...
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मंत्र रहस्य : जानें मंत्र क्या है और इसके कितने प्रकार होते हैं

मंत्र क्या है ? मंत्र ज्ञान या विज्ञान एक गूढ़ ज्ञान है। सद्गुरु की कृपा से एवं मन को एकाग्र कर इसे प्राप्त किया जा सकता है। जब कोई साधक इसे साध लेता है, जान लेता है, तब यह साधक की सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है।मंत्रागम के अनुसार दैवी शक्तियों का गूढ़ रहस्य मंत्र में अंतर्निहित है। व्यक्ति की प्रसुप्त या विलुप्त शक्ति को जगाकर उसकी दैवीशक्ति से सामंजस्य कराने वाला गूढ़ ज्ञान ही मंत्र कहलाता है।यह ऐसी गूढ़ विद्या है, जो साधकों को दु:खों से मुक्त कर न केवल उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है, बल्कि उनको परम आनंद तक ले जाती है। मंत्र विद्या विश्व के सभी देशों, मानवजाति, धर्मों एवं संप्रदायों में हजारों-लाखों वर्षो से आस्था एवं विश्वास के साथ प्रचलित है।

मंत्र क्या है, मंत्रों के प्रकार

मंत्र दो प्रकार के होते हैं- वैदिक मंत्र एवं तांत्रिक मंत्र। वैदिक संहिताओं की समस्त ऋचाएं वैदिक मंत्र कहलाती हैं, और तंत्रागमों में प्रतिपादित मंत्र तांत्रिक मंत्र कहलाते हैं। तांत्रिक मंत्र तीन प्रकार के होते हैं- बीज मंत्र, नाम मंत्र एवं माला मंत्र। बीज मंत्र भी तीन प्रकार के होते हैं — मौलिक बीज, यौगिक बीज तथा कूट बीज। इसी तरह माला मंत्र दो प्रकार के होते हैं- लघु माला मंत्र एवं बृहद माला मंत्र। बीज मंत्र दैवी या आध्यात्मिक शक्ति को अभिव्यक्ति देने वाला संकेताक्षर बीज कहलाता है। इसकी शक्ति एवं रूप अनंत माने गए हैं।

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बीज मंत्र विभिन्न देवताओं, धर्मों एवं उनके संप्रदायों की साधनाओं के माध्यम से साधक को भिन्न-भिन्न प्रकार के रहस्यों से परिचित करवाता है। शैव, शाक्त, वैष्णव, गाणपत्य, जैन एवं बौद्ध धर्मो के सभी संप्रदायों में ‘ह्रीं’, ‘कलीं’ एवं ‘श्रीं’ आदि बीजों का मंत्रसाधना में समान रूप से प्रयुक्त होना इसका साक्ष्य है। बीज मंत्र समस्त अर्थों का वाचक एवं बोधक होने के बावजूद अपने आप में गूढ़ है।

अपने आराध्य देव का समस्त स्वरूप इसके बीज मंत्र में निहित होता है। तीनों प्रकार के बीजमंत्र – मौलिक, यौगिक व कूट को  कुछ आचार्य एकाक्षर, बीजाक्षर एवं घनाक्षर भी कहते हैं। जब बीज अपने मूल रूप में रहता है, तब मौलिक बीज कहलाता है। ऐं, यं, रं, लं, वं, क्षं आदि।जब यह बीज दो वर्णों के योग से बनता है, तब यौगिक कहलाता है, जैसे-ह्रीं, क्लीं, श्रीं, स्त्रीं, क्ष्रौ आदि। इसी तरह जब बीज तीन या उससे अधिक वर्णों से बनता है, तब यह कूट बीज कहलाता है। बीज मंत्रों में समग्र शक्ति विद्यमान होते हुए भी गुप्त रहती हैं।

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 नाम मंत्र-बीज रहित मंत्रों को नाम मंत्र कहते हैं, जैसे  ‘ॐ नम: शिवाय’, ‘ॐ नमो नारायणाय’ एवं ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ आदि। इन मंत्रों के शब्द, उनके देवता, उनके रूप एवं उनकी शक्ति को अभिव्यक्ति देने में समर्थ होते हैं। इसलिए इन मंत्रों को भक्तिभाव से कभी भी सुमिरन किया जा सकता है। माला मंत्र कुछ आचार्यो के अनुसार 20 अक्षरों से अधिक और अन्य आचार्यो के अनुसार 32 अक्षरों से अधिक अक्षर वाला मंत्र माला मंत्र कहलाता है। जैसे- ‘ऊँ क्लीं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:। माला मंत्रों के वर्णों की पूर्व मर्यादा 20 या 32 अक्षर हैं, लेकिन इनकी उत्तर मर्यादा का मंत्र शास्त्र में उल्लेख नहीं मिलता। इसलिए माला मंत्र कभी-कभी छोटे और कभी-कभी अपेक्षाकृत अधिक लंबे होते हैंl

परा भौतिकी के विशेषज्ञ पुनीत आलोक छवि (लेखक परा भौतिकी विशेषज्ञ हैं।)

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.