आर्यन सिंह. (Mokama Bhagwati sthan ) यूं तो पवित्र गंगा नदी के किनारे अनेक मंदिर व धार्मिक स्थल हैं, लेकिन मोकामा स्थित “भगवती” स्थान स्थानीय लोग के साथ दूर दराज के भक्तों के लिए आस्था लोक बन कर डेढ़ सौ सालों से एक मनोवांछित पारलौकिक क्षेत्र बना हुआ है। कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को सर्प काट ले तो भगवती स्थान का नीर उसके लिए नवजीवनदायनी है. प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती. सप्तपदी की तरह सप्तपिंडी में अगाध श्रद्धा, आस्था, समर्पण व अर्पण जाति,धर्म और संप्रदाय से उपर उठ कर है.
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निर्धन, नि:संतान, निर्बल, निशक्त समेत आस्थावानों को अपनी नैसर्गिकता से अनेक बार भगवती ने ओतप्रोत किया है फलस्वरूप भगवती स्थान की पौराणिकता के साथ प्रमाणिकता आज भी प्रासंगिक है । प्रत्येक वर्ष नागपंचमी,नवरात्र के साथ अन्य शुभ अवसर पर लोग मत्या टेकने जरूर आते हैं। मोकामा की हृदयस्थली सकरवार टोला के क्षेत्रपाल मां भगवती की आराधना के लिए विशेष आरती श्रृंगार के दौरान धंटा-घड़ियाल व शंखध्वनि प्रति दिन लोगों के मन को आध्यात्मिक सूत्र में पिरोया करती है.
दिव्य शक्ति के रूप में वर्षों से मोकामा में स्थापित भगवती स्थान ने कयी परिवारों को अपने सानिध्य सरोकार से रद्दी से गद्दी पर आसीन किया है. ऐसा लगता है मानो समीप ही कलखल बहती गंगा नदी की जल राशि भी भगवती की चरणों को पखारने के लिए हर समय व्याकुल सा रहती हो. आज जिस जगह मुख्य गर्भगृह है वह अतीत में निर्जन वन क्षेत्र हुआ करता था लेकिन भक्तों की आस्था से आज यहां माता का भव्य दरबार व वृहत परिसर लोक आस्था का पर्याय है.आवश्यक यह है कि इसे सांस्कृतिक तथा पौराणिक मान्यता मिले ताकि युगों तक आस्थावानों का मर्मस्थल भगवती स्थान मोकामा क्षेत्र की ऊर्जा का साक्षी बनी रहे .