कैमूर (Kaimur) जिले के भगवानपुर अंचल स्थिति पवड़़ा पहाड़ी के शिखर पर विराजमान हैं मां मुंडेश्वरी। 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मूल साधना स्थली के प्रति श्रद्धा से दूर दूर से उपासना करने वाले साधक आते हैं। Kaimur का यह यह मंदिर आज भी ढ़ेरों रहस्यमय ज्ञान अपने गर्भ में छुपा कर रखे हुए है। इसके पुरातात्विक महत्व एक अलग आनंद का विषय है। रामायण काल से लेकर उदयसेन शासक के कालखंड के उधेड़बुन में विद्वान इसके रहस्य को लेकर आज भी उलझे हुए हैं। अष्टकोणीय मंदिर, शिवलिंग तथा मां मुंडेश्वरी की प्रतिमा लोगों को बरबस अपने परिसर में खींच कर ले आती हैं।युनेस्को के लिस्ट में भी यह स्थान शामिल किया जाना है। श्रद्धालु बताते हैं कि यहां शिवअभिषेक से शुरु पूजा अर्चना के बाद ही अन्य प्रतिमाओंकी पूजा की जाती रही है। यह मंदिर बहुत ही पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। पुरातात्विक महत्व को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इसके उत्थान योजना पर कार्य कर रहा है।
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2008 से माई मुंडेश्वरी ट्रस्ट काम कर रहा है। अभी मंदिर बिहार धार्मिक न्यास परिषद के अधीन है। भगवान शिव का पंचमुखी रुप तथा मां मुंडेश्वरी का सौम्य रूप भक्तों के आकर्षण का केंद्र है, जहां तांडुलम भोग की महत्ता है।यह परंपरा 108 ईस्वी से जारी होना बताया जाता है। शक्तिधाम में शुमार इस पौराणिक स्थल पर बली की प्रथा भी है लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि जिस छागल की बलि दी जाती है उसका अहित नहीं होता।
यानि वह छागल मुर्छित हो कर रह जाता व पल भर बाद सामान्य स्थिति में आ जाता है । इसे ही बली का स्वीकार हो जाना माना गया है। यह माता का चमत्कार ही है। नारायण विष्णु की उपासना का प्रमाण से इनकार नहीं किया जा सकता है।नवरात्र के दौरान इस स्थान पर अद्भुत मेला लगता है। काफी दूर से पूजन-अर्चन करने श्रद्धालु यहां आते हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको दुर्गम पहाड़ी से गुजरना पड़ता है, और इस यात्रा के क्रम में आपको वैष्णो देवी की चढ़ाई याद आयेगी।
पवड़ा पहाड़ी में नयी सड़क मार्ग के साथ सीढियां मार्ग भी है। पैदल तथा वाहन दोनों से वहां जाया जा सकता है। नजदीकी रेल स्टेशन भभुआ रोड है।
मान्यताओं तथा मार्कंडेय पुराण के अनुसार भगवती ने यहां असुर का मुंड मर्दन किया था, जिससे देवी मुंडेश्वरी के रुप में जानी गयीं।लंकापति रावण का लगाव व हेलीपैड, आयुधभंडार, कुबेर के
सहयोग से स्वर्ण जड़ित स्थल और आक्रांताओं से भी यह मंदिर चर्चाओं में रहा। पटना, कोलकाता
संग्रहालय में भी इस मंदिर के आलेख रखें मिलेंगे। एक बार मुंडेश्वरी क्षेत्र में आने वाले अनेक बार आते हैं।सुरम्यता व भव्यता के साथ भक्ति का अनोखा केन्द्र है मां मुंडेश्वरी धाम।