Nag Panchami 2021 Special पंडित आचार्य शुभ दर्शन / अनमोल कुमार :
प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को नागपंचमी (Nag Panchami) का पर्व पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। खास कर मिथिलांचल आदि क्षेत्रों में विशेष रूप से इस दिन नागों का पूजन व उत्सव भी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन नाग देव के विधिपूर्वक पूजन करने से वर्ष पर्यंत सर्पों से रक्षा होती है। और सर्पदंश इत्यादि का भय नहीं रहता, और धन धान्य की वृद्धि होती है।
नाग पंचमी (Nag Panchami) के अवसर पर गौमाता के गोबर से दीवार पर नौ नागों की आकृति बना कर यथा संभव खील (धान का लावा), कुमकुम, हल्दी से पूजन करना चाहिए, और दुध में खील डाल कर नाग देवता को अर्पित करना चाहिए।
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श्रीमद्भागवत महापुराण के एक कथा के अनुसार एक श्राप के कारण जब राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के दंश से हुई तब उनके पुत्र जनमेजय ने क्रोध में आ कर कहा कि अब मैं पूरे पृथ्वी को सर्पों से विहिन कर दुँगा, और तत्पश्चात वे विशाल यज्ञ करने लगे। परिणाम स्वरूप सभी नाग उस यज्ञ कुण्ड में आकर गिरने लगे। संपूर्ण नागलोक में हाहाकार मच गया। तब सभी सर्पों के गुरु महर्षि अस्तिक के हस्तक्षेप के बाद राजा जनमेजय ने उस यज्ञ को बंद किया।और महर्षि के आज्ञा से उन्होंने भगवान् शेषनाग का पूजन किया और क्षमा मांगा।
तब महर्षि अस्तिक ने प्रसन्न हो जनमेजय को वर दिया कि आपके कुल में आगे से किसी की भी मृत्यु सर्पों के काटने से नहीं होगी। और जो भी आज के दिन नागों की यथा संभव पूजन करेगा उसकी सदैव रक्षा होगी और धन, धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होगी। उस दिन श्रावण मास का शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि था। तब से हीं इस दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।