भाई – बहनों के आपसी प्रेम का प्रतिक पर्व रक्षाबंधन इस बार 19 अगस्त को मनाया जाना है। लेकिन राखी बांधने का भी एक शुभ मुर्हूत होता है। इस आलेख में वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र कुमार सिन्हा बता रहे हैं कब है शुभ मुर्हूत
रक्षाबंधन 2024 : पटना। रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के बीच प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांध कर उनकी दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं, ताकि विपत्ति आने के दौरान वे उनकी (अपनी बहन की) रक्षा कर सकें। राखी बांधने के बदले में भाई, अपनी बहन की किसी भी अहित से रक्षा करने का वचन देते हैं। साथ ही पारम्परिक उपहार देते हैं। यूं तो रक्षाबंधन देशभर में मनाया जाता है। लेकिन उत्तर भारत में यह विशेष रूप से मनाया जाता है। भारत के अतिरिक्त दूसरे देशों में जैसे-नेपाल में भी भाई बहन के प्यार का प्रतीक मानकर खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
रक्षाबंधन के दिन बहन भाई को रक्षा (राखी) बाँधते समय यह प्रार्थना करती है कि महाबली एवं दानवेंद्र बलि राजा जिससे बद्ध हुआ था, उस रक्षा से मैं तुम्हें भी बाँधती हूँ। हे, रक्षा, तुम अडिग रहना। संस्कृत में इसे कहते हैं –
“येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्ष मा चल मा चल।।”
प्राचीन काल में अक्षत यानि चावल के कुछ दाने को श्वेत वस्त्र में लपेटकर रेशमी धागे से बांध कर रक्षा (राखी) के रूप में बांधा जाता था । ऐसे भी रक्षा (राखी) सात्विक होना चाहिए और इसमें ईश्वरीय तत्व आकृष्ट करने की क्षमता होनी चाहिए। मान्यता है कि सात्विक होने से सत्वगुण की वृद्धि होती है। इसलिए कहा गया है कि रक्षा (राखी) बाँधते समय बहन की मनोधारणा होनी चाहिए कि भाई में विद्यमान ईश्वर को रक्षासूत्र (राखी) बांध रही हूं, ऐसी धारणा रखने से रक्षा (राखी) में भक्तिभाव का वलय बन जाता है और भाई को शक्ति तत्व का लाभ होता है।
रक्षाबंधन की परंपरा का हमारे ग्रंथों में भी चर्चा मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, शिशुपाल वध के समय श्रीकृष्ण की तर्जनी में चोट आई थी तब द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी और श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया था। द्रौपदी के चीरहरण के दिन श्रीकृष्ण ने अपने दिये इस पूरा भी किया था। जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की अंगुली पर अपनी सारी का टुकड़ा बांधा था उस दिन श्रावण मास का पूर्णिमा का दिन था। माना जाता है कि इसी समय से राखी की परम्परा शुरू हुई।
रक्षाबंधन को लेकर एक एतिहासिक दंतकथा भी प्रचलित है। यह कथा रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूँ से जुड़ी है। इसके अनुसार चित्तौड़ के राजा की रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख हुमायूं को राखी भेजकर सहायता मांगी थी, तब हुमायूं ने राखी का लाज रखते हुए उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।
वर्तमान में रक्षाबंधन जीवन की प्रगति और मैत्री की ओर ले जाने वाली एकता का एक बड़ा पवित्र पर्व माना जाता है। रक्षा का अर्थ है बचाव, और मध्यकालीन भारत में जहां कुछ स्थानों पर, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थी, तो वे पुरूषों को अपना भाई मानते हुए उनकी कलाई पर राखी बांधती थी। इस प्रकार राखी भाई और बहन के बीच प्यार के बंधन को मजबूत बनाती है और भावनात्मक बंधन को पुनर्जीवित करती है।
धार्मिक स्तर पर रक्षाबंधन के दिन ब्राह्मण अपने पवित्र जनेऊ को बदलते हैं और एक बार पुन: धर्म ग्रंथों के अध्ययन के प्रति स्वयं को समर्पित करते हैं।
रक्षाबंधन 2024 : जानें कब है शुभ मुर्हूत
इस वर्ष ग्रह-गोचर ने भाई- बहन के रक्षाबंधन का समय बिगाड़ दिया है। लोगों के बीच यह संशय व्याप्त है कि रक्षाबंधन 19 अगस्त को कितने बजे से होगी। सर्वविदित है कि रक्षाबंधन श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इस वर्ष पूर्णिमा 18 अगस्त को रात 2 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 19 अगस्त को रात 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। लेकिन19 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक भद्रा रहेगा। भद्रा काल में रक्षाबंधन और होलिका दहन वर्जित है। इसे शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि भद्रा का असर स्वर्ग लोक में शुभ, पाताल लोक में धन और पृथ्वी लोक में मृत्यु होता है। इसलिए भद्रा काल में शुभ काम वर्जित होता है। इसलिए रक्षाबंधन इस वर्ष 19 अगस्त को मनाया जाना श्रेयस्कर और पुण्यकारी होगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, राखी बाँधने का शुभ मुहर्त दोपहर 01.32 बजे से 09.08 मिनट तक है, जिसमें शाम 6.56 बजे से रात 09.8 बजे तक प्रदोष काल रहेगा।
One Reply to “रक्षाबंधन 2024 : 19 अगस्त को दोपहर 1.30 बजे के बाद से मनाया जायेगा”