हमारा पहला स्वतंत्रता दिवस श्रावण अधिक मास में पड़ा था और इस बार का स्वतंत्रता दिवस भी अधिक श्रावण मास में मनाया जायेगा। यह एक अद्भुत संयोग है। वक्री शुक्र अर्थात अनुगामी शुक्र – सोच विचार कर लें निर्णय।
7 अगस्त को वक्री शुक्र कर रहे हैं कर्क राशि में प्रवेश। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि क्या करेंगे वक्री शुक्र। ज्योतिषीय गणना के आधार पर हम यहां जानने का प्रयास करते हैं कि कर्क राशि में गोचर करते हुए वक्री शुक्र हमारे देश और मानसून से संबंधित क्या प्रभाव डालेंगें।
वक्री शुक्र का गोचर कर्क राशि में भारत की कुंडली के तृतीय भाव में लग्नेश शुक्र के साथ साथ सूर्य, शनि, चंद्र और बुध के ऊपर से होगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शुक्र का इस प्रकार का गोचर 1966,1985 और 2004 में हुआ था। ये वर्ष भारतीय राजनीति के मद्देनजर काफी उथल पुथल भरा वर्ष रहे हैं। अभी भी देश में एक ओर राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है, दूसरी ओर पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में लोग गर्मी से बेहाल हैं और अच्छी बारिश के लिए प्रतीक्षारत हैं।
शुक्र का अग्नि तत्व राशि से निकलकर जल तत्व राशि में प्रवेश करना,मौसम, राजनीतिक तापमान एवं बदलते परिदृश्य में विश्व पर भारत के प्रभाव को लेकर क्या संकेत दे रहे हैं? पहले हम बात करते हैं मौसम की।
मौसम- 4 /5 /6 /7और 14/15/16अगस्त को जहाँ एक तरफ उत्तरी पश्चिमी, पश्चिमी इलाके में प्राकृतिक उत्पात की तरफ इशारा कर रहे हैं, तेज बारिश, चक्रवातीय तूफ़ान की स्थिति के निर्माण का संकेत दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ गांगेय प्रदेश में भी छिटपुट ही सही पर तेज बारिश की स्थिति बना रहे हैं।
हालाँकि शुक्र का प्रवेश जल तत्व राशि में हो रहा है परन्तु बुध ग्रह से इसकी बढ़ती दूरी और मंगल ग्रह का इन सबसे आगे होना, मानसून की रफ़्तार पर ब्रेक लगाने वाला साबित हो सकता है। सामान्य से कम बारिश की स्थिति बन रही है। सूखाग्रस्त इलाके में वृद्धि करने वाले योग निर्मित हो रहे हैं। मध्यम और निम्न वर्गीय लोगों के बीच भय और असमंजस क स्थिति भी बने रहने का संकेत है।
सात ग्रहों का संबंध प्रत्यक्ष /परोक्ष रूप से अग्नि नाड़ी से जुड़ा हुआ है इसलिए कुछ जगहों को छोड़कर लगभग लगभग सभी जगहों पर बारिश के पश्चात् भी गर्मी से निजात मिलने की संभावना नहीं है या काफी कमजोर है।
भारतीय राजनीति- 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले भारत में इस साल और भी चुनाव होने हैं। इस साल के अंत में पांच राज्यों – मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होंगे। कोई भी घटना रातों रात नहीं होती । इस वर्ष के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र शुक्र का यह संचार इन राज्यों में उम्मीद के विपरीत परिणाम मिलने की स्थिति निर्मित कर रहा है।
Read also- शिव उपासना से ही स्वतः हो जाती है ब्रह्मा और विष्णु की उपासना
थोड़ा ठहरकर आत्ममंथन करने एवं सिंहावलोकन करने का समय है। लोगों के बीच बढ़ रहे असंतोष और भय, फसल का हानि, धन की हानि आदि का प्रतिकूल प्रभाव राजनीति पर पड़ेगा। कलिंग,कश्मीर, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान प्रदेश में राजनैतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है। 14 से 29 अगस्त के बीच देश को अस्थिर करनेवाली एवं हिंसक गतिविधिओं में तेजी आ सकती है। शुक्र का अन्य अशुभ ग्रहों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है, इसलिए इन गतिविधियों से जान माल के ज्यादा नुकसान की संभावना नहीं है।
Read also-शिव अवतार: महादेव के आठवें अवतार थे ऋषि दुर्वाषा
खास बात-आईटी इंडस्ट्री में मंदी और बढ़ सकती है। बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव के सूत्रपात का संकेत है।फिल्म और फैशन इंडस्ट्री मंदी और विवादों में रह सकते हैं। मी टू जैसे आरोप के घेरे में कुछ सेलेब्रेटी आ सकते हैं। सेक्सटार्सन के मामले में बढ़ोतरी हो सकती है।
Read also- वक्री शुक्र: आज से शुक्र हुए वक्री, देश और दुनिया की राजनीति बंटेगी दो खेमे में
वैश्विक पटल पर भारत का प्रभाव- वैश्विक पटल पर भारत की दमदार उपस्थिति महसूस की जाएगी परंतु देश में विदेशी कंपनियों के निवेश में कुछ समय के लिए बाधा उत्पन्न होने की स्थिति है।
बी कृष्णा (ज्योतिषी,योगऔरअध्यात्मिकचिंतक)