(Sawan Month Special) भगवान शिव अपने भक्तों की पूजा से बहुत जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं ।लेकिन आप अपने नवग्रह को अनुकूल बनाने और रोग निवारण के लिए इन ख़ास चीजों से शिव का रुद्राभिषेक कर अधिक से अधिक शुभ फल पा सकते हैं।
सूर्य
सरकारी नौकरी या सरकारी कार्यों में परेशानी, सिर दर्द, नेत्र रोग, हृदय रोग, अस्थि रोग, चर्म रोग, पिता से अनबन आदि की समस्या हो तो बैंगनी अंक( अकवन ) के फुल से (शिव संत नाम या सहस्त्रनाम से ) चढ़ाते हुए कुश जल से अभिषेक करें।
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चंद्र
मानसिक परेशानियां, अनिद्रा, दमा, कफ, सर्दी, जुकाम, मूत्र रोग, स्त्रियों को मासिक धर्म, निमोनिया की परेशानी हो तो दुध से अभिषेक करें।
मंगल
अधिक क्रोध आना, दुर्घटना, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, बवासीर, भाइयों से अनबन आदि होने पर गिलोय के रस से अभिषेक करें। शुभ फल की प्राप्ति होगी ।
बुध
गले, नाक और कान के रोग, स्मृति रोग, व्यवसाय में हानि, मामा से अनबन आदि की समस्या हो तो विधारा के रस से अभिषेक करने का प्रावधान बताया गया है।
गुरु
धन व्यय, आय में कमी, विवाह में देरी, संतान में देरी, उदर विकार, गठिया, कब्ज, गुरु व देवता में अविश्वास आदि जैसे लक्षण दिख रहे हों और परेशानी हो तो दही या दुध में हल्दी डाल कर अभिषेक करें ।
शुक्र
जीवन साथी के सुख में बाधा, प्रेम में असफलता, भौतिक सुखों में कमी व अरुचि, नपुंसकता, मधुमेह, धातु व मूत्र रोग आदि की समस्या हो तो पंचामृत या घी से रुद्राभिषेक करना या कराना चाहिए।
शनि
वायु विकार, लकवा, कैंसर, कुष्ठ रोग, मिर्गी, पैरों में दर्द, नौकरी में परेशानी आदि की समस्या से अगर आप ग्रसित हैं तो गन्ने के रस से या छाछ से अभिषेक करना चाहिए ।
राहु
त्वचा रोग, कुष्ठ, मस्तिष्क रोग, भूत प्रेत वाधा, दादा से परेशानी होने पर दूर्वा के रस से अभिषेक करना चाहिए ।
केतु
नाना से परेशानी, भूत-प्रेत, जादू टोने से परेशानी, रक्त विकार, चेचक आदि समस्या से परेशानी होने पर कुश के रस से अभिषेक करना चाहिए। इस प्रकार ग्रहों के कारकत्व को ध्यान में रखते हुए शास्त्र सम्मत उपाय करना अधिक फलदाई होता है।