आज से सावन महीना शुरु हो गया है। सनातन धर्म में मान्यता है कि यह महीना भगवान शिव का महीना होता है, क्योंकि इस महीने में भगवान विष्णु पाताल लोक में रहते हैं, इसी कारण इस महीने में भगवान शिव ही पालनकर्ता भी होते हैं और वही भगवान विष्णु के भी कामों को देखते हैं अत: सावन के महीने में त्रिदेवों की सारी शक्तियां भगवान शिव के पास ही होती है। आपको बताते है कुछ ऐसे काम, जिन्हें सावन में करने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।
वैसे तो घर में कभी भी कलह नहीं होना चाहिए, लेकिन सावन के महीने में किसी भी तरह का कलह नही होना चाहिए, जीवनसाथी के साथ खट-पट, वाद-विवाद और अपश्ब्दों का प्रयोग हानिकारक होता है, इन दिनों शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना से दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बढ़ता है, इसलिए किसी बात से मन-मुटाव की आशंका होने पर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करनी चाहिए ।
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इस माह मांस, मदिरा के सेवन से परहेज बेहद जरुरी है, क्योंकि भगवान शिव सावन में विष्णु जी के कार्य का भी संचालन करते हैं, इसलिए सावन का दूसरा मतलब सात्विकता होता है, मांस, मदिरा के परहेज से मन शांत और क्रोध पर नियंत्रण रखना आसान होता है।
इस महीने में भगवान शिव का दूध से अभिषेक किया जाता है क्योंकि इस महीने में दूध से वात संबंधी दोष होने की सम्भावना होती है। इसलिए इस महीने में दूध का सेवन अच्छा नही माना जाता है।
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बैंगन को अशुद्ध माना गया है अत: इस महीने में बैंगन नहीं खाना चाहिए और इसी कारण से द्वादशी, चतुर्दशी के दिन और कार्तिक महीने में भी बैंगन खाने की मनाही है।
शास्त्रों के अनुसार सावन में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करके शिव का जलाभिषेक करने से कई जन्मों के पाप का प्रभाव कम हो जाता है लेकिन देर तक सोने से और देर से उठने के कारण ये अवसर हाथ से निकल जाता है और आप शिव-कृपा पाने से वंचित रह जाते हैं।
मान्यतानुसार, इस महीने में शिव भक्तों का अपमान कभी नही करना चाहिए, क्योंकि यह महीना शिव जी का महीना होता है । इसी वजह से कई लोग कांवड़ियों की सहायता करते हैं क्योंकि शिव के भक्तों का सम्मान भी शिव की सेवा के समान ही फलदायी होता है ।
शास्त्रों के अनुसार इस महीने में साग का सेवन भी उचित नहीं माना जाता है क्योंकि इससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
सावन में सांढ़ अगर घर के दरवाजे पर आए तो उसे भगाने के बजाय कुछ खाने को दें, सांढ को मारना शिव की सवारी नंदी का अपमान माना जाता है। क्रोध में किसी को अपशब्द ना कहें और बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।
मृत्युंजय शर्मा