15 अक्तूबर से हो रहा है। कलश स्थापना। कलश स्थापना का मुहूर्त 7 बजकर 16 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट तक और सर्वोत्तम अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक। अष्टमी या दुर्गाष्टमी 22 अक्टूबर को।
पटना, जितेन्द्र कुमार सिन्हा। शारदीय नवरात्र 2023 का शुभारंभ 15 अक्तूबर से हो रहा है। कलश स्थापना 15 अक्तूबर को पूरे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। जहां तक अमृत मुहूर्त का प्रश्न है तो वह समय प्रातः 7 बजकर 16 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट तक तथा सर्वोत्तम अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि कलश स्थापना यथासंभव पूजा घर के ईशान कोण में बेहतर माना जाता है।
देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा इस वर्ष नवरात्र में कैलाश से धरती पर पधारेंगी, इसलिए उनका आगमन हाथी की सवारी पर होगा। यह आगमन शुभ माना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो माता का हाथी पर आगमन वर्ष भर के लिए देश में समृद्धि और उन्नति का कारक माना जाता है। माता का कैलाश प्रस्थान इस वर्ष चरणायुध (मुर्गे) की सवारी पर होगा। यह प्रस्थान लोगों में विकलता और तबाही का प्रतिक है।
इस वर्ष शारदीय नवरात्र 2023 की अष्टमी तिथि या दुर्गाष्टमी 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसी दिन मां के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। नवरात्रि में अष्टमी-नवमी की संधि-पूजा को विशेष माना गया है। संधि पूजा का मुर्हूत 22 अक्टूबर को ही रात्रि 8 बजकर 45 मिनट से 9 बजकर 31 मिनट तक है। महानवमी तिथि का मान 23 अक्टूबर को होगा। इस तिथि को संध्या 6 बजकर 52 मिनट तक नवरात्र व्रत के अनुष्ठान से संबंधित हवनादि कार्य किया जा सकेगा।
नवरात्रि में पाठ का प्रारम्भ प्रार्थना से करना चाहिए। उसके बाद दुर्गा सप्तशती किताब से सप्तश्लोकी दुर्गा, उसके बाद श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम, दुर्गा द्वात्रि शतनाम माला, देव्याः कवचम्, अर्गला स्तोत्रम, किलकम, अथ तंत्रोक्त रात्रिसूक्तम, श्री देव्यर्थ शीर्षम का पाठ करने के बाद नवार्ण मंत्र का 108 बार यानि एक माला जप करने के उपरांत दुर्गा सप्तशती का एक-एक सम्पूर्ण पाठ करना चाहिए। यदि किसी भी व्यक्ति के लिए यह सम्भव नहीं हो तो वह निम्न प्रकार भी पाठ कर सकता है।
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जो व्यक्ति एक दिन में संपूर्ण पाठ नहीं कर सकते हैं, वे नवरात्रि में पाठ का प्रारम्भ प्रार्थना से शुरू करें, इसके बाद दुर्गा सप्तशती किताब से सप्तश्लोकी दुर्गा, उसके बाद श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम, दुर्गा द्वात्रि शतनाम माला, देव्याः कवचम्, अर्गला स्तोत्रम, किलकम, अथ तंत्रोक्त रात्रिसूक्तम, श्री देव्यर्थ शीर्षम का पाठ करने के बाद नवार्ण मंत्र का 108 बार यानि एक माला जप करने के बाद
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नवरात्रि में भोजन के रूप में केवल गंगा जल और दूध का सेवन करना अति उत्तम माना जाता है। कागजी नींबू का भी प्रयोग किया जा सकता है। फलाहार पर रहना भी उत्तम माना गया है। यदि फलाहार पर रहने में कठिनाई हो तो एक शाम अरवा भोजन में अरवा चावल, सेंधा नमक, चने की दाल, और घी से बनी सब्जी का उपयोग किया जाता है।
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इस वर्ष शारदीय नवरात्र 2023 10 दिनों का होगा, इसलिए दुर्गा पूजा -अनुष्ठान 15 अक्टूबर 2023 (रविवार) को पहला दिन प्रथम मां शैलपुत्री की पूजा, 16 अक्टूबर 2023 (सोमवार) को दूसरे दिन द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, 17 अक्टूबर 2023 (मंगलवार) को तीसरा दिन तृतीया मां चंद्रघंटा की पूजा, 18 अक्टूबर 2023 (बुधवार) को चौथा दिन चतुर्थी मां कुष्मांडा की पूजा, 19 अक्टूबर 2023 (गुरुवार) को पांचवा दिन पंचमी मां स्कंदमाता की पूजा, 20 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार) को छठा दिन षष्ठी मां कात्यायनी की पूजा, 21 अक्टूबर 2023 (शनिवार) को सातवां दिन सप्तमी मां कालरात्रि की पूजा, 22 अक्टूबर 2023 (रविवार) को आठवां दिन अष्टमी दुर्गा महा अष्टमी की पूजा, 23 अक्टूबर 2023 (सोमवार) को नौवां दिन दुर्गा महानवमी, मां सिद्धिदात्री पूजा और 24 अक्टूबर, 2023 (मंगलवार) को दसवां दिन नवरात्रि पाटणा, दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी होगा।
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नवरात्रि में योगिनियों की पूजा करने का भी विधान है। पुराणों के अनुसार, चौसठ योगिनियाँ होती है। सभी योगिनियों को आदिशक्ति माँ काली का अवतार माना गया है। किवदंती है कि घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते समय योगिनियों का अवतार हुआ था और यह सभी माता पार्वती की सखियां हैं। इसीलिए दशहरा में इनकी पूजा का विधान हैं।
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