भगवान शिव का यह अद्भुत मंदिर बिहार के वैशाली जिले के कम्मन छपरा गांव में अवस्थित है। इस मंदिर में चौमुखी शिवलिंग वास करते हैं। इसे लेकर कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं।
देश में महादेव के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन इस मंदिर की अलग ही पहचान है। लोग यहां दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं। माना जाता है कि शिव का ऐसा अद्भुत शिवलिंग वाला मंदिर कहीं और नहीं है। यह चौमुखी (चक्रकार) शिवलिंग वाला मंदिर है। इसका अर्घा भी चक्राकार है। उस पर कुछ खुदा हुआ भी है। जो अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
माना जाता है कि यह मंदिर झारखंड के बाबा वैद्यनाथ मंदिर और वाराणसी के बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच में अवस्थित है। सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं की यहां काफी भीड़ जुटती है। एक कथा के अनुसार इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के समय वणासुर ने कराई थी।
मंदिर को लेकर मान्यता यह भी है कि जब भगवान श्रीराम, लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर जा रहे थे तो तीनों यहां ठहरे थे। इन तीनों ने यहां चौमुखी महादेव की पूजा भी की थी।
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कुएं की खुदाई में मिला था शिवलिंग
गांव में इस शिवलिंग के मिलने की कहानी भी अजीब दिलचस्प है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि करीब 125 साल पहले यहां पर एक कुएं की खुदाई चल रही थी। इसी खुदाई के क्रम में यह दुर्लभ शिवलिंग लोगों को दिखाई दिया। शिवलिंग देखते ही लोगों ने खुदाई बंद कर दी। कई सालों तक यह शिवलिंग यूं ही पड़ा रहा। स्थानीय लोग जरूर यहां अपने स्तर से पूजा पाठ करने लगे। गांवों के बीच यह शिवलिंग होने के कारण ग्रामीणों ने शुभ काम से पहले यहां मिट्टी के 5 ढेले रखने लगे। जो परंपरा बन गई और तब के बाद यह धीरे-धीरे ढेलफोरवा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।
समय के साथ-साथ इसका नाम भी बदलता गया। पहले यहां सिर्फ शिवलिंग हुआ करता था। वो भी धरातल से लगभग 10 फीट नीचे। तब नीचे जाने के लिए सीढ़ी भी नहीं हुआ करता था। लेकिन बाद में सीढ़ी बनाई गई। यहां आने वेले लोगों की मनौती पूरी होने लगी। तब इसे मनोकामना मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। फिर स्थानीय लोगों और नेताओँ की पहल से इसे मंदिर का स्वरूप दिया गया। अब यह चौमुखी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। लोग अब दूर दूर से यहां दर्शन करने और मनौती मांगने आते हैं।